-पहले भी हो चुके हैं अनमैंड क्रॉसिंग पर हादसे

-रेलवे ने तैनात किए थे गेट मित्र, लेकिन लोग उनकी सुनने को तैयार नहीं

GORAKHPUR: अनमैंड क्रॉसिंग लगातार लोगों की जान लेती जा रही है। थोड़े-थोड़े इंटरवल पर कोई न कोई अनमैंड क्रॉसिंग का शिकार बन ही जाता है। रेलवे ने इसे बंद करने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन अब तक हादसे नहीं रूक सके हैं। एनई रेलवे में अब भी 633 ऐसी क्रॉसिंग बची हैं, जो अनमैंड हैं। रेलवे ने इन क्रॉसिंग पर गेट काउंसलर्स भी रखे हैं, जो ट्रेन आने के दौरान लोगों को इंटीमेट करते हैं और लोगों को समपार फाटक पर करने के दौरान क्या सावधानियां बरती जाएं, इसके लिए अवेयर करते हैं। मगर अपनी धुन में मगन लोग उनकी बातों को अनसुनी कर जाते हैं, जिसकी वजह से घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रही है।

ड्राइवर्स ही कर रहे हैं गलती

सीपीआरओ संजय यादव ने बताया कि रेलवे ऐसे हादसों को रोकने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। जो भी घटनाएं हो रही है, उसमें रेलवे की गलती न होकर गाड़ी के ड्राइवर की गलती ही सामने आई है। इसके बाद भी अब रेलवे इन क्रॉसिंग को मैंड करने के साथ ही कुछ को बंद करने की प्रॉसेस में लगा है। इससे कुछ हद तक घटनाओं की चांसेज कम होगी। उन्होंने बताया कि एनई रेलवे में टोटल 2351 क्रॉसिंग हैं। इनमें से 1076 अनमैंड थी। इनमें से करीब 2015 में करीब 53 मैंड क्रॉसिंग को मैंड कर दिया गया, जबकि 49 क्रॉसिंग बंद कर दी गई। वहीं अब तक 150 से क्रॉसिंग को बंद या फिर मैंड किया जा चुका है। 1 अप्रैल 2016 तक 912 क्रॉसिंग मौजूद थी। जो एक अप्रैल 2018 को 633 पहुंच चुकी हैं।

पास्ट हिस्ट्री

4 दिसंबर 2014- वाराणसी मंडल के शाहगंज-मऊ रेल डिविजन के अंडर आने वाले खुरहट-मऊ स्टेशन के बीच स्कूली बच्चों से भरी टाटा मैजिक पैसेंजर ट्रेन की जद में आ गई। इस घटना में 5 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 8 घायल हो गए।

6 फरवरी 2015- मुजफ्फरपुर से गोरखपुर आ रही 12557 सप्तक्रांति एक्सप्रेस से एक ट्रैक्टर ट्रॉली टकरा गई, इसकी वजह से ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई। इस दौरान रूट काफी देर तक डिस्टर्ब रहा।

9 मार्च 2015- 55202 गोरखपुर-नरकटियागंज पैसेंजर ट्रैक्टर ट्रॉली से टकराई, 3 घायल।

25 जुलाई 2016- भदोही इलाके में 55125 मंडुआडीह-इलाहाबाद सिटी पैसेंजर टाटा मैजिक से टकराई, सात की मौत, आठ घायल।

26 अप्रैल 2018- कुशीनगर के दुदही में 55075 पैसेंजर अप पैसेंजर ट्रेन ने डिवाइन मिशन स्कूल के बच्चों से भरी टाटा मैजिक टकरा गई, जिससे 13 बच्चों की मौत हो गई, जबकि पांच बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए।

एनईआर में कुछ अहम घटनाएं

- 7 फरवरी 2014 को 15036 केजीएम-दिल्ली एक्सप्रेस रुद्रपुर सिटी बिलासपुर रोड पर जा टकराई।

- 26 मई 2014 को 12556 गोरखधाम एक्सप्रेस चुरेब में गुड्स ट्रेन से जा टकराई थी, जिसमें 29 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दर्जनों घायल थे।

- 30 सितंबर, 2014- को देर रात गोरखपुर के नंदानगर इलाके में दो ट्रेनों लखनऊ-बरौनी और कृषक एक्सप्रेस के बीच टक्कर हो गई। इस हादसे में 14 लोगों की मौत और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

यूपी में कब-कब हुए बड़े रेल हादसे

21 नवंबर 2016- कानपुर देहात के पुखरायां रेलवे स्टेशन पर हुआ रेल हादसा हुआ था। इसमें रेल लाइन फ्रैक्चर होने से इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई थी। इस हादसे में 150 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।

25 जुलाई, 2016- भदोही इलाके में मडुआडीह-इलाहाबाद पैसेंजर ट्रेन मिनी स्कूल वैन टकरा गई, जिसमें 7 स्कूली बच्चों की मौत हो गई है। इस वैन में 19 बच्चे सवार थे।

25 मई, 2015- कौशांबी के सिराथू रेलवे स्टेशन के पास मूरी एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई थी। हादसे में 25 पैसेंजर्स मारे गए थे, जबकि 300 से ज्यादा घायल हुए थे।

21 मार्च, 2015- रायबरेली के बछरावां रेलवे स्टेशन के पास जनता एक्सप्रेस (14266) की 4 बोगियां डीरेल हो गईं थी। इस हादसे में 32 लोग मारे गए थे।

26 मई 2014- सुबह 10.30 बजे गोरखधाम एक्सप्रेस चुरेब रेलवे स्टेशन के पास मालगाड़ी पर चढ़कर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में अब तक 40 लोगों की मौत हो गई।

30 सितंबर, 2014- को देर रात गोरखपुर के नंदानगर इलाके में दो ट्रेनों लखनऊ-बरौनी और कृषक एक्सप्रेस के बीच टक्कर हो गई। इस हादसे में 14 लोगों की मौत और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। ट्रेनों की टक्कर की वजह साइड कोलिजन बताई जा रही है। यह हादसा गोरखपुर मेन रेल जंक्शन के आगे कैंट रेलवे स्टेशन से करीब दो किलोमीटर आगे नंदानगर क्रासिंग के पास हुआ।

20 मार्च, 2015- राजधानी लखनऊ से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बछरांवा रेलवे स्टेशन पर देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस के चार कोच पटरी से उतर गए। इस हादसे में 38 लोगों की मौत हो गई और 150 से ज्यादा लोग घायल हुए।

31 मई 2012- हावड़ा से देहरादून जा रही दून एक्सप्रेस जौनपुर के निकट पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई थी।

20 मार्च 2012- हाथरस में एक वैन मानवरहित रेलवे क्रासिंग पार करते समय ट्रेन से टकरा गई, जिसमें 15 लोगों की जान चली गई।

7 जुलाई 2011- एटा में एक मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर 80 यात्रियों को लेकर जा रही एक बस और ट्रेन में टक्कर हो गई थी। इस घटना में तकरीबन 38 लोगों की मौत हो गई थी।

16 जनवरी 2010- फिरोजाबाद में टुंडला के नजदीक श्रम शक्ति एक्सप्रेस को कालिंदी एक्सप्रेस ने पीछे से टक्कर मार दी थी। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी और 14 लोग घायल हो गए थे।

1 नवंबर 2009- गोरखपुर से अयोध्या आ रही पैसेंजर ट्रेन नवाबगंज और टिकरी हॉल्ट स्टेशन के बीच चकरसूलपुर गांव के पास मानवरहित रेलवे क्रांसिंग पर एक ट्रक से टकरा गई। इस घटना में 14 लोगों की मृत्यु हो गई और करीब 100 से अधिक लोग घायल हो गए।

21 अक्टूबर 2009 मथुरा के पास गोवा एक्सप्रेस का इंजन मेवाड़ एक्सप्रेस की आखरी बोगी से टकरा गया था। इस घटना में 22 लोग मारे गए, जबकि 23 अन्य घायल हुए थे।

12 मई 2002 नई दिल्ली से पटना जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस जौनपुर में पटरी से उतर गई थी। इसमें 12 लोगों की मौत हुई थी।

4 जून 2002 कासगंज एक्सप्रेस रेलवे क्रांसिंग पर एक बस से टकरा गई थी। इस हादसे में 34 लोगों की मौत हो गई थी।

31 मई 2001 यूपी में एक रेलवे क्रासिंग पर खड़ी बस से ट्रेन जा टकराई, जिसमें 31 लोग मारे गए थे।

16 जुलाई 1999 दिल्ली जा रही ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस मथुरा के पास एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। इस घटना में 17 लोगों की मौत हो गई, जबकि लगभग 200 लोग घायल हो गए थे।

18 अप्रैल 1997 गोरखपुर रेल हादसे में 60 की मौत हो गई थी।

18 अप्रैल 1996 गोरखपुर-गोंडा पैसेंजर ट्रेन की डोमिनगढ़ के पास मालगाड़ी से टक्कर में 60 लोग मारे गए थे।

20 अगस्त 1995 नई दिल्ली जा रही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस फिरोजाबाद में कालिंदी एक्सप्रेस से टकराई थी। इस हादसे में 250 लोगों की की मौत हुई थी और 250 घायल हुए थे।

16 अप्रैल 1989 ललितपुर के पास कर्नाटक एक्सप्रेस पटरी से उतरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 75 लोग मारे गए थे।

13 जून 1985 आगरा में रेल दुर्घटना में 38 की मौत हुई थी।

27 जनवरी 1982 मालगाड़ी और एक्सप्रेस ट्रेन में भिड़ंत में 50 लोगों की मौत हुई थी और 50 घायल हुए थे।

16 जून 1969 मुह मदाबाद में रेल हादसे में 70 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 130 लोग घायल हुए थे।

31 मार्च 1954 सेना के बारूद ले जा रही रही पैसंजर ट्रेन में अचानक विस्फोट हो जाने से 31 लोंगों की मौत हो गई थी और 32 घायल हो गए थे