गोरखपुर (ब्यूरो)।यह तो केवल एक मामला है, गोरखपुर के स्कूलों में भी छोटा भीम, डोरेमान और क्रिश को चाहने वाले ढेरों बच्चे हैं, जो आए दिन क्लास में टीचर्स को चुनौती देते हैं। टीचर्स को भी इन चुनौतियों से निपटने की आदत पड़ चुकी है।

एक सीट से घुसकर दूसरी से निकलता है बाहर

सिटी के एक स्कूल में बच्चा ऐसी हरकतें करता है कि टीचर्स भी परेशान हो जाते हैं। टीचर ने बताया कि क्लास में वह सीट के अंदर घुस जाएगा और खोजने पर पता चलता है कि किसी और बेंच से बाहर निकलता है। इसी तरह वह जंप भी लगाता रहता है। ऐसे में टीचर उसके पैरेंट्स से कई बार शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन उसकी हरकतें बढ़ती जा रही हैं।

जैकी चैन की तरह बोलता है बेटा

इसी तरह एक स्कूल में क्लास सेकेंड में पढऩे वाले बच्चे के पेरेंट्स क्लास टीचर से मिलने पहुंचे। पेरेंट्स ने बताया कि उनका बच्चा हमेशा जैकी चैन की तहर एडवेंचर्स करने की कोशिश करता है। उसकी तरह ही वो बोलता है और मुंह भी टेढ़ा किए रहता है। टीचर ने बोला ऐसी हरकतें आपका बच्चा स्कूल में भी करता है, हमलोग उसे सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।

साइकोलॉजिस्ट की सलाह

- बच्चो को मोबाइल और टीवी से दूर रखें।

- वो क्या देखते हंै उसके लिए उनकी क्या समझ है, ये पेरेंट्स को जरूर पूछना चाहिए।

- पेरेंट्स को बच्चों से कार्टून और वास्तविक जिंदगी दोनों ही पहलुओं पर चर्चा करनी चाहिए।

- किसी भी फिल्म के शुरुआत में ही जो डिस्क्लेमर आता है वो बच्चों को जरूर से समझाना चाहिए।

- हर स्टंट पर उसको रिकॉल करें।

बच्चों के फेवरेट कार्टून शो

बेन टेनीशॉन, मिस्टर बीन, पकड़म पकड़ाई, डोरेमान, छोटा भीम, टॉम एंडजेरी, रोल नंबर 21 और जैकी चैन।

ऐसी परिस्थिति में बच्चे के ब्रेन में एंडोर्फाइन नामक हॉर्मोन सेक्ट्रीट करने लगता है। जो की न्यूरोट्रॉनस्मिटरस को संदेश भेजता है और बच्चे ने छलांग लगा दी है। जब बच्चे बहुत शारीरिक मेहनत नहीं करते हैं, उस समय उनके शरीर में काफी मात्रा में एनर्जी फॉर्म होती है। जिसको डायजेस्ट करने के लिए अत्यधिक चंचल बच्चे इस तरह के स्टंट कर आत्म संतुष्टि प्राप्त करते हैं।

- डॉ। आकृति पांडेय, साइकोलॉजिस्ट

एक टीचर के लिए ये बहुत जरूरी है कि वह बच्चों को निगेटिव इमोशन्स न दिखाएं। बच्चे तब टीचर की बातों को अच्छे से समझेंगे। बच्चे चंचल होते जरूर हैं, लेकिन टीचर ही उन्हें वास्तविकता से परिचित कराते हैं।

- रीतू धवन, टीचर

अगर बच्चा स्कूल में बहुत शरारत कर रहा है तब उसे प्यार से समझाकर उसकी हरकतों पर नियंत्रण किया जा सकता है। पेरेंट्स को भी बच्चों को समय देना चाहिए। तभी बच्चे टीवी और मोबाइल से बाहर निकल पाएंगे।

- संगीता चौरसिया, टीचर

बच्चे तो जो देखते हैं वही सही समझ लेते हैं, इसलिए उन्हें एक अच्छा गाइड चाहिए जो सही और गलत बता सके। टीचर तो अपनी भूमिका निभा रहे हैं कहीं ना कहीं पेरेंट्स बच्चों को समय देने में कंजूसी कर रहे हैं।

- निगिता विश्वकर्मा, टीचर

एक टीचर के लिए बहुत जरूरी होता है कि सब्जेक्ट ज्ञान के साथ ही बच्चों को एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग दें। जब बच्चों का विश्वास टीचर जीत लेते हैं, तब उन्हें कुछ भी समझा पाना बहुत आसान हो जाता है।

- वर्तिका पांडेय, टीचर