- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने खड़े किए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आंकड़ों पर सवाल

- मासूमों की हर मौत इंसेफेलाइटिस के चलते नहीं

GORAKHPUR: पूर्वाचल की गंभीर बीमारी इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौत के आंकड़े पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है। इस बार सवाल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने खड़ा किया है। उनका कहना है कि मासूमों की हर मौत के लिए इंसेफेलाइटिस जिम्मेदार नहीं है। जबकि मेडिकल कॉलेज बच्चों की मौत के पीछे इंसेफेलाइटिस को कारण बताता है।

मौत के ख्9 केस पर खड़े किए सवाल

इंसेफेलाइटिस पूर्वाचल की गंभीर बीमारी है। इसके चलते एक साल के भीतर सैकड़ों मासूमों की मौत हो चुकी है। इंसेफेलाइटिस जैसे गंभीर वायरस से लड़ने के लिए मेडिकल कॉलेज और डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टर रिसर्च कर रहे है। पूर्व सीएमओ डॉ। एम.पी सिंह ने इंसेफेलाइटिस से हो रही मौत पर रिसर्च करने के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम निर्धारित की थी। डॉक्टर्स इंसेफेलाइटिस से होने वाली मासूमों की मौत की छानबीन करने के लिए उनके बेड हेल्थ टिकट (बीएचटी) की पड़ताल की। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के रिकार्ड के अनुसार जनवरी से अब तक कुल 8म् बच्चों की मौत हुई है। मेडिकल कॉलेज उनकी मौत इंसेफेलाइटिस के चलते बता रहा है, जबकि डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने छानबीन के बाद यह बताया कि मरने वालों में ख्9 ऐसे केस हैं जिनमें मासूमों की मौत इंसेफेलाइटिस से नहीं बल्कि अन्य रोग के चलते हुई है। मेडिकल कॉलेज और डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल मासूमों की मौत की रिपोर्ट शासन को भेजती है। जिसमें बीएचटी में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के साथ डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम की भी रिपोर्ट लगाई जाती है।

डॉक्टरों की टीम मासूमों की मौत के कारणों की जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजी जाती है। ख्9 ऐसे केस हैं जिनमें मासूमों की मौत इंसेफेलाइटिस से नहीं बल्कि अन्य रोग के चलते हुई है। टीम ने अपनी रिपोर्ट दे दी है जोकि शासन को सौंप दी गई है।

डॉ। आरपी गुप्ता, सीएमओ