पार्षदों ने एक सुर में किया विरोध

प्रदेश के जिन शहर में यूआईडीएसएसएमटी योजना के तहत पेयजल योजना चालू की गई है, वहां वाटर मीटरिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है। सिटी में भी शासन से लागू करने का प्रस्ताव आया है। इस समय 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सों में इस योजना के तहत पेयजल विस्तार का काम चल रहा है। इसलिए इस प्रस्ताव पर मोहर लगाना आवश्यक है। लेकिन म्यूनिसिपल कमिश्नर ने जैसे ही इस प्रस्ताव को सदन में रखा सभी पार्षद ने एक सुर में विरोध कर दिया। पार्षदों का कहना था कि पहले जिस व्यवस्था से वाटर टैक्स लिया जाता था उसी तरह से लिया जाए।

यह लोचा आ सकता है

म्यूनिसिपल कमिश्नर का कहना है कि यूआईडीएसएसएमटी के तहत नियम है कि पानी का मूल्य मीटर के हिसाब से लिया जाए। आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर यह सिस्टम लागू नहीं होता है तो केंद्र सरकार की कई योजनाओं के ग्रांट पर रोक लग सकती है।

अब ऐसे लगेगा टैक्स

अभी तक सिटी के जिन एरिया में वाटर सप्लाई होती थी, वहां पूरे टैक्स में से 12 प्रतिशत वाटर टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब जो नियम आया है उसमें 0 से 67 लीटर पानी प्रतिमाह 6 रुपया देना पड़ेगा। इससे अधिक जो खर्च करेगा उसको और अधिक देना होगा।

चल रही योजनाएं

- फतेहपुर, चरगांवा, बिछिया एरिया में पेयजल सप्लाई

- महानगर बस सेवा के तहत जल्द 186 बसें मिलेंगी

- सालिड वेस्ट मैनेजमेंट

- सीवर लाइन बिछाने का काम

यूआईडीएसएसएमटी योजना में वाटर मीटरिंग सिस्टम लागू करना अनिवार्य है। इस सिस्टम के लागू न होने से इस मद में आने वाला ग्रांट रूक सकता है। 7 फरवरी को लखनऊ में बैठक है। उसमें इस बात को रखा जाएगा। फिर शासन के हाथ में निर्णय होगा।

राजेश कुमार त्यागी, म्यूनिसिपल कमिश्नर