गोरखपुर (ब्यूरो). इससे कानपुर, राजस्थान और सूरत से आने वाले रोटो, माइक्रो और स्विस कॉटन वेराइटी के कपड़ों की बाजार में शार्टेज हो गई है। इसके रेट में भी 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। तिरंगा मेकर्स के अनुसार तिरंगे में रोटो, माइक्रो और स्विस कॉटन के कपड़े इस्तेमाल करने के पीछे कारण है कि यह सस्ते और चमकदार होते हैं। इससे झंडे का लुक अच्छा आता है। हालांकि महंगे और शार्टेज होने की वजह से दिक्कत आ रही है।

1.10 लाख तिरंगा लगाएगा नगर निगम

जिले में 8 लाख तो मंडल में 33 लाख से अधिक घरों पर तिरंगा लहराने को लेकर तैयारियां चल रही है। इसमें सरकारी विभागों से लेकर सामाजिक संगठन जुटे हैं। नगर निगम 1.10 लाख तिरंगा लगाने की बात कह रहा है। इसे देखते हुए गांधी आश्रम के विभिन्न प्रतिष्ठानों पर खादी के तिरंगे की मांग बढ़ गई है।

पिछले साल से अधिक डिमांड

गोलघर स्थित क्षेत्रीय गांधी आश्रम के प्रमुख अभिमन्यु सिंह का कहना है कि 'पिछले साल की तुलना में तिरंगे की डिमांड बढ़ी है। पिछले सालों में तिरंगा 5 अगस्त के बाद ही बिक रहे हैं। इस बार अभी से तिरंगे की खरीद हो रही है। इसमें सरकारी कार्यालयों की खरीद अधिक है। पिछले साल 15 अगस्त को लेकर 3.4 लाख रुपए कीमत का तिरंगा बिका था। इस बार अभी तक डेढ़ लाख कीमत के तिरंगे की बिक्री हो चुकी है.Ó

गांधी आश्रम में 300 रुपए का तिरंगा

गांधी आश्रम और बाजार में मिल रहे तिरंगे की कीमतों में अधिक अंतर है। खादी आश्रम का तिरंगा सबसे सस्ता 300 रुपए का है। जबकि बाजार में तिरंगा 25 से 100 रुपए में उपलब्ध है। गांधी आश्रम में मुंबई से आने वाला 6&4 फीट का तिरंगा 2850 रुपए, 3&4.5 फीट का तिरंगा 2000 रुपए, 2&3 फीट का तिरंगा 1050 रुपए का है।

कई जिलों से मिल रहा है ऑर्डर

बेलघाट से लेकर पनियरा में विभिन्न महिला संगठनों ने तिरंगे का ऑर्डर लिया है। छोटे स्तर पर संचालित रेडीमेड गारमेंट की यूनिटों में इन दिनों तिरंगे की सिलाई हो रही है। गोरखनाथ क्षेत्र में रहने वाले आबिद को 18 हजार तिरंगे का ऑर्डर मिला है। आबिद बताते हैं कि 20&30 इंच के तिरंगे का ऑर्डर गाजीपुर से मिला है। इसकी लागत 22 से 30 रुपए के बीच है। पूर्वांचल के कई जिलों से ऑर्डर मिले हैं। जितने कारीगरों की उपलब्धता है, उसी क्षमता को देखते हुए ऑर्डर लिया है।

पहले अब

रोटो कपड़ा- 14-15 रुपए मीटर 20 रुपए

माइक्रो 15-20 रुपए मीटर 21 रुपए

स्विस कॉटन 32 रुपए 40 रुपए

प्योर कॉटन 42 रुपए 48

(मार्केट में फिलहाल इनकी शॉर्टेज)

डिमांड पर तैयार कराए जा रहे झंडे

सिटी के तिरंगा मेकर्स सुधीर कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि हर घर तिरंगा अभियान से तिरंगे की डिमांड बढ़ी है। इस वजह से अधिक से अधिक तिरंगे तैयार कराए जा रहे हैं लेकिन कपड़े की शार्टेज से परेशानी हो रही है। हालांकि जितना कपड़ा है अभी उसी से काम चलाया जा रहा है। तिरंगे की बढ़ती डिमांड पर कपड़ा मंगाया जाएगा। अभी 20, 30 और 50 रुपए के झंडे बनाए जा रहे हैं।