गोरखपुर (ब्यूरो)। हेल्पलाइन डेस्क पर बैठी महिला ने 0522-3508273 नंबर से कॉल किया और कहा कि जब तक घायल या बीमार पशु की देखरेख और उसके खिलाने पिलाने की जिम्मेदारी नहीं लेंगे, तब तक हमारे डॉक्टर इलाज के लिए नहीं जाएंगे। सिर्फ सूचना देने पर वह नहीं जाएंगे। यह बातचीत रिपोर्टर और हेल्पलाइन नंबर पर की गई कॉल के दौरान हुई बातचीत के अंश हैं। दरअसल, जो संगठन बेजुबानों की सेवा में दिन-रात जुटे रहते हैैं। उन्हें इस हेल्पलाइन से किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिलती। जबकि जिला पशु चिकित्सालय में तैनात पशु चिकित्साधिकारी की पहल पर भले ही इलाज संभव हो जाता है, लेकिन हेल्प लेस मोबाइल यूनिट कहीं न कहीं हेल्प लेस साबित होती हुई नजर आ रही है।

हेल्पलाइन पर रिस्पांस नहीं

बता दें, कोई ऐसा दिन न हो कि सिटी में पशुओं के बीमार होने या फिर उनके सड़क एक्सीडेंट में घायल होने की घटना न आती हो, लेकिन वहीं पशुओं के इलाज और उनके रेस्क्यू के लिए काम करने वाली संस्थाएं और लोग भी इलाज के लिए भटकते हुए नजर आते हैैं। हुआ भी कुछ ऐसा ही, 17 अगस्त की रात 9.38 बजे रीना जायसवाल घर के लिए धर्मशाला बाजार होते हुए जा रही थीं। तभी रास्ते में एक गाय के सींग से ब्लड निकलते देख, उन्होंने उसके लिए इलाज लिए उसी रात जिला पशु चिकित्सालय पहुंची, उन्होंने बताया कि पहले तो कोई तैयार नहीं हुआ, लेकिन जब रिस्वेस्ट की तो मौके पर एक कर्मचारी आए, इलाज के लिए उनके साथ मिलकर मरहम लगाया, लेकिन कोई वेटेनरी की गाड़ी या फिर कोई हेल्प के लिए रात के वक्त नहीं आया। हालांकि, इसी बीच मेयर को भी कॉल कर चुकी थी, उन्होंने बाद में कुछ लोगों को रेस्क्यू के लिए भेजा, तब गाय निकल चुकी थी। उन्होंने बताया कि इसके पहले जितनी बार 1962 पर वे इलाज के लिए कॉल कर चुकी हैैं, कोई रिस्पांस नहीं मिलता है। वहीं शनि कश्यप ने बताया कि स्ट्रीट डॉग हो या फिर पशुओं के घायल होने पर वह इलाज करते हैैं, लेकिन उन्हें पशु चिकित्सालय की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिलता है।

इलाज के लिए 5 अभिनव एम्बुलेंस

मवेशियों के बीमार या घायल अवस्था में 1962 नंबर पर कॉल आने पर उनके इलाज के लिए गोरखपुर जिले को पांच मोबाइल यूनिट मिली हैं। इसका नाम अभिनव एम्बुलेंस सेवा है। इन पांच एम्बुलेंस सेवा मेें एक एम्बुलेंस जिला पशु चिकित्सालय, चरगांवा पशु चिकित्सालय, सहजनवां पशु चिकित्सालय, बड़हलगंज पशु चिकित्सालय, गोला पशु चिकित्सालय में है। उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी सदर डॉ। मीनाक्षी विकास साठे ने बताया, जो एम्बुलेंस इलाज के लिए आई हैैं, वे सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक के लिए हैैं। उसमें पूरी टीम रहती है। एक डाक्टर, एक फॉर्मासिस्ट व एक अनुचर रहते हैैं। कॉल आने के बाद इलाज के लिए टीम जाती है। लेकिन हेल्प लाइन नंबर पर यह कहना कि घायल या बीमार पशु के इलाज के लिए जब तक उसकी जिम्मेदारी नहीं ली जाएगी। तब तक कोई नहीं जाएगा। यह सबकुछ सेंट्रली होता है, इसके लिए लखनऊ ही आपरेट करता है।

पहले फेज में शुरू हुई एम्बुलेंस सेवा

गोरखपुर, नोएडा, मेरठ, वाराणसी, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती व अयोध्या समेत 25 जिले में यह सेवा फस्र्ट फेज में शुरू की गई है। एम्बुलेंस संचालन के लिए हैदराबाद की एक कंपनी ने जिम्मा लिया है।

जो पालतु पशु हैैं। उनके घायल या बीमार होने पर पशु चिकित्सालय यानी मुझे सूचना देंगे, लेकिन जो निराश्रित हैैं, उसके लिए कोई न कोई उसके साथ होना चाहिए। अब एम्बुलेंस सूचना देने के बाद कहां-कहां जाएगी। जो भी मोबाइल यूनिट हैैं, उन सभी यूनिट में डाक्टर्स की टीम मौजूद है। इलाज के लिए जाती भी है।

जीके सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी