गोरखपुर (ब्यूरो)। एम्स में ऑनलाइन वर्कशॉप व वेबिनार हो रहे हैं। इससे मेडिकल स्टूडेंट्स का स्क्रीन टाइम लगातार बढ़ रहा है। यह बढ़ता स्क्रीन टाइम स्टूडेंट्स की आंखों पर दबाव दे रहा है। उनकी आंखों बीमार हो रही हैं। यह बातें सामने एम्स की एमबीबीएस स्टूडेंट महक सबरवाल की स्टडी में यह बात सामने आई है। करीब 42 परसेंट स्टूडेंट आंखों की बीमारी से परेशान हैं। वर्ष 2019 बैच की एमबीबीएस स्टूडेंट ने यह रिसर्च आई डिपार्टमेंट की टीचर्स डॉ। अलका त्रिपाठी की निगरानी में किया। इसका उद्देश्य स्टूडेंट्स में ड्राई आई बीमारी का पता लगाना था। रिसर्च में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे 80 स्टूडेंट्स को शामिल किया गया।

रिसर्च को आईसीएमआर से मिली थी मंजूरी

एम्स की कार्यकारी डायरेक्टर डॉ। सुरेखा किशोर ने बताया कि इसे आईसीएमआर के मेडिकल रिसर्च प्रोग्राम के जरिए किया गया। एम्स के आई डिपार्टमेंट की डॉ। ऋचा अग्रवाल के अलावा कम्युनिटी मेडिसिन व फैमिली मेडिसिन के डॉ। प्रदीप खरया भी शामिल रहे। यह रिसर्च अंतरराष्ट्रीय द पैन अमेरिकन जर्नल ऑफ आप्थेमोलॉजी के पिछले वर्ष के जुलाई अंक में पब्लिश भी हो चुकी है।

25 स्टूडेंट्स में आंखों की बीमारी के लक्षण

डॉ। अलका ने बताया कि करीब 42 परसेंट स्टूडेंट्स की आंखों पर दबाव बढ़ा मिली। उन्हें आई स्ट्रेन की प्रॉब्लम हुई। जिसमें आंखों पर तनाव रहता है। टीम के 33 स्टूडेंट्स ने सिर दर्द की प्राब्लम बताई। इसके बाद स्टूडेंट्स की दो पद्धतियों से जांच भी की गई। सिरम टेस्ट में 25 परसेंट स्टूडेंट्स की आंखों में बीमारियों के लक्षण मिले। जिसमें आंखों के ड्राई होने के मामले सबसे अधिक मिल है। इसके अलावा आकुलर सरफेस डिजीज इंडेक्स के जरिए भी स्टूडेंट्स के आंखों पर दबाव की जांच की गई। इसमें 41 परसेंट स्टूडेंट्स की आंखों में बीमारियों की पहचान हुई।