गोरखपुर (ब्यूरो).अधिकतर स्टूडेंट जिन्होंने क्लास बंक की हो, नोट्स नहीं बनाई है और केवल पास होने के लिए पढ़ाई कर रहे हैं, वे गाइड के भरोसे सफलता पाना चाहते हैं। जबकि टीचर की माने तो इसका बहुत ही बुरा परिणाम होता है।

पहले ही आ गई गाइड

बक्शीपुर के दुकानदारों की माने तो हर बार दिवाली के बाद 10वीं और 12वीं के हर सब्जेक्ट की गाइड मार्केट में आती थी। लेकिन इस बार सितंबर में ही सभी कंपनियों की गाइड दुकानों पर आ गई। इस वजह से दुकान पर टेक्स्ट बुक की बिक्री बिल्कुल ही घट गई।

कॉप्टीशन में आती है दिक्कत

टीचर्स का कहना है कि गाइड का फैशन पुराना है। लेकिन इधर कोरोना बाद से तो इसकी डिमांड और बढ़ गई है। बच्चे लिखना नहीं चाहते हैं, इसलिए वे नोट्स नहीं तैयार कर पाते हैं। वे पहले से माइंड सेट कर लेते हैं, कि गाइड में उन्हें पास होने का सारा मसाला मिल ही जाएगा। जुबिली इंटर कॉलेज के टीचर ने कहा कि गाइड से केवल सतही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसके सहारे पास होने वाले स्टूडेंट्स को आगे चलकर कॉम्प्टीशन में ढेरों दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

गाइड बच्चों को लुभाने वाली वर्तमान की शिक्षा है। जिससे बच्चों किताबी ज्ञान जो कि बहुत जरूरी होता है, उससे दूर हो जा रहे हैं। कॉम्प्टीशन में पास कर पाना इनके लिए असंभव है।

डॉ। राजेश गुप्ता, टीचर

कुंजी एक शॉट कट तरीका है ज्ञान पाने का, जिससे हम अल्प नॉलेज लेकर पास तो हो सकते हैं। लेकिन आगे चलकर इसके बहुुत ही गलत परिणाम आते हैं।

शिवमूर्ति राय, टीचर

गाइड की वजह से बच्चे नोट्स बनाने से कतराते हैं। बहुत से बच्चे स्कूल बंक कर देते हैं। जबकि गाइड की भाषा बहुत ही खराब होती है। उसे पढ़कर अच्छा नंबर नहीं पाया जा सकता है।

बिंदु पांडेय, टीचर

हर बार दिवाली के बाद किताबें आती थी। इसबार तो सितंबर में ही सभी गाइड आ गई। गाइड आने की वजह से बच्चे अब टेक्स्ट बुक लेने से कतरा रहे हैं।

दिनेश चंद, बुक सेलर