गोरखपुर (ब्यूरो)।महिला कई वर्षो से इससे ग्रसित थी। ज्यादा उम्र और ऑपरेशन की जटिलता एवं बहुत महंगे इलाज के कारण कई डॉक्टर्स से संपर्क किया, लेकिन इलाज संभव नहीं था। इसके बाद महिला एम्स के दंत विभाग के असिस्टेंड प्रोफेसर एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जन इंचार्ज डॉ। शैलेश कुमार से संपर्क कर अपना इलाज शुरू करवाया।

खोखली हो गई थी हड्डी

एम्स में मरीजों की जांच के बाद ये पता चला कि मरीज एक खतरनाक किस्म की चेहरे के ट्यूमर की प्रॉब्लम से पीडि़त थी। चेहरे की निचले जबड़े की हड्डी को पूरी तरह से खोखला कर दिया था। समय से इलाज नहीं होने की वजह से यह ट््यूमर कैंसर में तब्दील हो सकता था। इसके बाद डॉक्टर्स ने ऑपरेशन का फैसला लिया। चार घंटे चले ऑपरेशन में मरीज के निचले जबड़े की हड्डी को निकाला गया और कृत्रिम रूप से जबड़े को दोबारा बनाया।

मुश्किल होती है बेहोशी प्रक्रिया

मरीज की बेहोशी व जांच एनेस्थिसिया विभाग की डॉ। प्रियंका और उनकी टीम ने किया। मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ। शैलेश ने बताया कि ऐसे ज्यादा उम्र के मरीजों की बेहोशी की प्रक्रिया बहुत ही जटिल होती है। जिसके लिए विशेष उपकरण और तैयारी की जरूरत होती है। एम्स की निदेशक डॉ। सुरेखा किशोर ने डॉ। शैलेश कुमार और उनकी टीम को सफल ऑपरेशन पर बधाई दी। इस ऑपरेशन में सीनियर रेजीडेंट डॉ। अनुराधा और एनेस्थीसिया विभाग की टीम का योगदान रहा। अभी तक ऐसे मरीजों को ऑपरेशन के लिए दिल्ली या लखनऊ जाना पड़ता था। अब अपने शहर एम्स में यह सुविधा उपलब्ध है।