-सीएमओ ऑफिस में एक्टिव हैं दलाल, सिर्फ 250 रुपए लेकर बना दिया फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट

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GORAKHPUR: सीएमओ ऑफिस में फर्जीवाड़े का खेल खुलेआम चल रहा है। सरेआम सीएमओ की फर्जी मुहर और सिग्नेचरयुक्त मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया जा रहा है। यह मेडिकल सर्टिफिकेट विभागीय बाबुओं की मिलीभगत से बनाया जा रहा है। जिला अस्पताल कैंपस में घूम रहे दलाल इस गोरखधंधे को अंजाम दे रहे हैं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में इस खेल का खुलासा हुआ।

ऐसे हुई दलाल और रिपोर्टर से बातीचत

रिपोर्टर: मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना है। थोड़ा अर्जेट है?

दलाल: किस काम के लिए आपको चाहिए मेडिकल सर्टिफिकेट

रिपोर्टर: बीएड में एडमिशन करवाना है।

दलाल: ठीक है बन जाएगा। आप पहले एक रुपए की पर्ची कटवा लीजिए। फिर मेरे साथ सड़क के उस पार चलिए। वहां परचून की दुकान में फॉर्म मिलेगा।

(परचून दुकान पर फॉर्म भरते हुए फोटो यूज करें)

रिपोर्टर: (पर्ची कटवाने के बाद.) हमने एक रुपए की पर्ची कटवा ली है।

दलाल: ठीक है। पांच रुपए दीजिए फार्म के लिए।

रिपोर्टर: यह लीजिए।

दलाल: चलिए, इस फार्म को अब कहीं भर दिया जाए

रिपोर्टर: ठीक है। (बाइक की सीट पर बैठकर फार्म भरा गया.)

(पैसे लेते हुए फोटो यूज करें.)

दलाल: अब मेरे साथ आइए।

रिपोर्टर: कहां लेकर जा रहे हैं?

दलाल: मैं यहां फोर्थ ग्रेड इंप्लाई हूं। मुझे यहां सारे डॉक्टर जानते हैं। आप परेशान न हों। मेरे साथ आइए तो सही।

रिपोर्टर: ठीक है। (कुछ देर बाद एक पेड़ के नीचे बैठा दिया.)

दलाल: (वापस आने के बाद) आपका मेडिकल सर्टिफिकेट बन गया है।

रिपोर्टर: कितने रुपए देने हैं?

दलाल: आपको 250 रुपए देना है।

रिपोर्टर: कुछ कम कर लीजिए।

दलाल: कम नहीं हो पाएगा। कभी भी ऐसी कोई जरूरत हो तो आप मुझे कॉल कर सकते हैं।

रिपोर्टर: ठीक है भाई।

(लास्ट में फोटो बने हुए मेडिकल सर्टिफिकेट की यूज करें.)

बॉक्स

एक दिन में 30-35 फर्जी सर्टिफिकेट

सीएमओ ऑफिस के बगल में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी होने का अड्डा बना हुआ है। यहां से एक दिन में 30-35 कैंडिडेट्स के फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं। फिलहाल तो यह आंकड़ा कम है। नवंबर और दिसंबर में यह संख्या प्रतिदिन 90-100 की थी। इस तरह देखा जाए तो प्रतिदिन 8500-9000 की काली कमाई दलाल करते हैं। सूत्रों का दावा है कि इस कारनामे में सीएमओ दफ्तर के बाबू भी शामिल हैं।

हो सकता है मिसयूज

सीएमओ ऑफिस कैंपस में ही इस तरह से फर्जी मुहर और सिग्नेचर यूज हो रहा है। इससे सीएमओ की इमेज भी खराब हो रही है। दलाल किसी मृत व्यक्ति का मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाकर मिसयूज कर सकते हैं।

यह है नियम

-मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत डिफरेंट वैकेंसीज और एडमिशन में पड़ती है।

-इसके लिए मेडिकल बोर्ड बैठता है, जिसमें बॉडी के डिफरेंट ऑर्गन के एक्सपर्ट होते हैं।

-यह अप्लीकेंट के फिटनेस की जांच करते हैं। फिर सर्टिफिकेट जारी होता है।

-जब कोई अप्लीकेंट जॉब में अपॉइंटमेंट के लिए जाता है तो सीएमओ लेवल पर कमेटी बनती है।

-यह कमेटी जो रिपोर्ट लगाती है, उसके आधार पर मेडिकल मान्य होता है।

-इसके साथ ही क्लास-2 ऑफिसर रैंक के नौकरी में भी मेडिकल बोर्ड सीएमओ लेवल पर ही बैठता है।

-एजुकेशन या दूसरे शहर जाने के कंडीशन में सीएमओ या फिर एसआईसी स्तर पर फिटनेस की जांच एक्सपर्ट द्वारा कराई जाती है।

-इसके अलावा शिकायत, मजिस्ट्रेट या कोर्ट के आदेश पर सीएमओ लेवल पर मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाता है।

-इन सभी में अप्लीकेंट की फोटो जरूर लगी रहती है। उसे मेडिकल बोर्ड के सामने प्रस्तुत होना पड़ता है।

मेडिकल टेस्ट फॉर फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए जरूरी है इन डाक्टर्स की जांच

-आई स्पेशलिस्ट

-फिजिशियन

-आर्थो सर्जन

-सर्जन

-ईएनटी

-ब्लड टेस्ट (टीएलसी, डीएलसी, ईएसआर एंड एचबी)

-ब्लड शुगर

-एक्स-रे बाइ चेस्ट, पीवी-व्यू

-ईसीएस

-साइकियाट्रिस्ट

आप भी रहें अलर्ट

-जिला अस्पताल में किसी जिम्मेदार अधिकारी से मिलने के बाद ही मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करें।

-एसआईसी या फिर सीएमओ लेवल के अधिकारी कंसर्निग टीम के पास भेजते हैं। वहीं से बनवाएं सर्टिफिकेट।

-किसी भी बाबू या फिर दलाल के चक्कर में आकर दुकान से फार्म न खरीदें। यह पूरी तरह से फर्जी है।

-जिला अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होता है। जो मांग रहा है, समझिए दलाल है।

-फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के चक्कर में आपके समय और धन दोनों का हानि हो सकता है।

वर्जन

अस्पताल के पर्चे पर किसी भी दशा में मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बनाया जाता है। अगर मेरे ऑफिस के बगल में ऐसा कुछ हो रहा है पूछताछ होगी। किसी बाबू के इंवॉल्व मिलने पर सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। पुलिस की मदद से दलाल के खिलाफ हम सख्त कार्रवाई कराएंगे।

-डॉ। सुधाकर प्रसाद, पांडेय, सीएमओ

यह बहुत गलत हो रहा है। अगर सीएमओ का सिग्नेचर और मुहर यूज हो रही है तो सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। यह मुहर पूरी तरह से फर्जी है। इससे विभाग की छवि खराब हो रही है। कुछ ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी जिससे ऐसी गड़बड़ी न हो सके।

-डॉ। एसी श्रीवास्तव, एसआईसी

जिला अस्पताल