- कोरोना चैंपियन के छोटे भाई महेंद्र ने बताया कि पेशेंट के परिजनों के प्रति बदला रवैया ठीक नहीं

- लोगों की मदद और हालचाल लेने से बढ़ता है हौसला

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- कोरोना चैंपियन के छोटे भाई महेंद्र ने बताया कि पेशेंट के परिजनों के प्रति बदला रवैया ठीक नहीं

- लोगों की मदद और हालचाल लेने से बढ़ता है हौसला

GORAKHPUR:

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न सिर्फ कोरोना से लड़ रहे मरीजों का बल्कि उनके परिजनों का भी मनोबल बढ़ाना इस जंग में महत्तवपूर्ण है। अगर आपके आसपास कोई कोरोना पेशेंट मिले तो उसके व उसके परिवार की उपेक्षा न करना चाहिए। आवश्यक सावधानियों के साथ खुल कर सहयोग करना चाहिए। यह मानना है कोरोना चैंपियन वीरेंद्र के छोटे भाई महेंद्र गौड़ का। उनका कहना है कि जैसे ही लोगों को पता चलता है कि किसी के घर कोरोना पेशेंट निकला है तो बहुत से लोग अपना व्यवहार बदल लेते हैं। लेकिन ऐसा करना गलत है, क्योंकि यह ऐसा दौर है, जबकि लोगों की मदद और मनोबल बढ़ाने की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। उन्होंने खुद यह कष्टदायी अनुभव किया है। वह कहते हैं कि कुछ लोगों द्वारा जैसा बर्ताव उनके साथ हुआ, वैसा ईश्वर न करें कि किसी और के साथ हो। अब उनका परिवार कोरोना मुक्त हो चुका है फिर भी पुरानी यादें कभी-कभी दुख देती हैं।

घर लौटे तो बुखार हुआ महसूस

महेंद्र गौड़ के भाई विरेंद्र मुंबई में कार्य करते थे। पिपराईच उपनगर पंचायत स्थित घर लौटे तो हल्का बुखार महसूस हुआ। वह सीएचसी पर जांच के लिए पहुंचे तो कोरोना के लक्षण दिखे। उन्हें एंबुलेंस से फैसिलिटी क्वारंटीन किया गया। जांच में कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्हें रेलवे अस्पताल में एडमिट करवाया गया। महेंद्र का कहना है कि जब यह सूचना सार्वजनिक हुई तो मोहल्ले में कई तरह की अफवाहें उड़ने लगीं। कई ऐसी झूठी सूचनाएं प्रसारित होने लगी जिनमें थोड़ी सी भी सत्यता नहीं थी। मसलन यह शोर हो गया कि इनका पूरा परिवार कोरोना पॉजीटिव हो गया है। किसी ने यह अफवाह फैला दिया कि उनके भाई कई जगहों पर घूम चुके हैं और कई लोगों को प्रभावित कर चुके हैं। जबकि सच यह था कि वो घर लौटने के बाद ही दूसरे मकान पर खुद को क्वारंटीन कर रखा था और किसी से मिले भी नहीं। यह सब सुनकर मन दुखी हो जाता था।

अचानक आए मुश्किल हालात

महेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन के कारण पहले से ही कामकाज बंद था। इसी बीच बड़े भाई के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद मोहल्ला सील हो गया और कमाई का कोई साधन न रहा। पहले के जुटाए पैसे खर्च हो गए थे। घर में छोटी-छोटी चीजों का संकट आया तो समाज में कुछ लोग मदद के लिए आगे भी आए। सभासद अनिल कुमार सिंह, सुधाकर त्रिपाठी, पिंटू जायसवाल, सुनीत शर्मा, अखिलेश और घनश्याम शर्मा आदि लोगों ने इस दौरान काफी मदद की।

भेदभाव ठीक नहीं

कोरोना समर्पित अस्पताल के प्रभारी एसीएमओ डॉ। नंद कुमार का कहना है कि ऐसे मरीजों के इलाज में मनोवैज्ञानिक संबल का अहम योगदान होता है। मरीजों का मनोबल चिकित्सक और स्टाफ बढ़ाते हैं। हेल्प डेस्क उनकी मदद करता है। मरीज के परिजनों का मनोबल बढ़ाने में समाज का अहम योगदान है और ऐसे लोगों के पास-पड़ोसियों को उनका ख्याल रखना चाहिए।

वर्जन

कोरोना से बचाव कर इसका बेहतर मुकाबला किया जा सकता है। लोगों को कोरोना मरीजों, उनके परिजनों, इलाज में लगे चिकित्सक, स्टाफ और फ्रंटलाइन वर्कर्स को सम्मान देना चाहिए। जितना संभव हो सके मदद भी करनी चाहिए।

डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ