गोरखपुर (ब्यूरो).बता दें, इस बार सावन मास में चार सोमवार, पांच गुरुवार और पांच ही शुक्रवार होने से यह महीना शुभदायी है। सावन मास के पहले दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र पूरे दिन और रात 10 बजकर 24 मिनट तक और इस दिन सौम्य नामक औदायिक योग है। यह सामाजिक सद्धाव को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा। सावन मास का समापन 12 अगस्त को होगा। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र व सौभाग्य योग और धाता नामक औदायिक योग होने से सुख और संपन्नता की अभिवृद्धि होगी। इस दिन रक्षाबंधन भी मनाया जाएगा। सावन को लेकर मंदिरों में तैयारियां पूरी कर ली गई है।

महादेव झारखंडी मंदिर

झारखंडी महादेव मंदिर की कहानी भी बड़ी रोचक है। यहां जंगल हुआ करता था। जमींदार गब्बू दास को रात में भगवान भोलेनाथ का सपना आया। भगवान शिव ने बताया कि तुम्हारी जमीन में अमुक स्थान पर शिवलिंग है। उसकी खोदाई करवाकर वहां मंदिर का निर्माण कराओ। इसके बाद जमींदार और स्थानीय लोगों ने वहां पहुंचकर खोदाई कराई तो शिवलिंग निकला। तभी से वहां अनवरत पूजा-अर्चना हो रही है। मान्यता है कि यहां जलाभिषेक करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। शहर के प्राचीन मंदिरों में एक महादेव झारखंडी मंदिर भी है। शिवरात्रि पर यहां बड़ा मेला लगता है।

मुक्तेश्वरनाथ मंदिर

गोरखपुर शहर में राप्ती नदी के तट पर स्थित मुक्तेश्वरनाथ मंदिर शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है। मंदिर का इतिहास लगभग चार सौ साल पुराना है। इस मंदिर का मुक्तेश्वर नाम, बगल में मुक्तिधाम होने के कारण पड़ा। सावन व शिवरात्रि में यहां शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि चार सौ वर्ष पूर्व बांसी के राजा यहां शिकार करने आए और जंगल में शेरों ने उन्हें घेर लिया। जान संकट में फंसी देखकर राजा ने अपने इष्टदेव भगवान शिवशंकर को याद किया तो शेर वापस लौट गए। इसी स्थान पर राजा ने भगवान का मंदिर बनवाने का संकल्प लिया। उनके आदेश पर महाराष्ट्र निवासी बाबा काशीनाथ ने यहां मंदिर की स्थापना कराई।

मानसरोवर मंदिर

मानसरोवर मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह ने कराया था। मानसिंह के स्वप्न में आकर भगवान भोलेनाथ ने जंगल के बीच मंदिर निर्माण का निर्देश दिया था। राजा ने इस स्थान पर मंदिर के साथ ही पोखरे का भी निर्माण कराया। गोरक्षपीठ से इस मंदिर का गहरा जुड़ाव है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है। अब मंदिर काफी आकर्षक बन गया है। विजयादशमी के दिन गोरक्षपीठाधीश्वर का विजय जुलूस निकलता है। गोरक्षपीठाधीश्वर प्रतिवर्ष इस दिन मानसरोवर रामलीला मैदान में भगवान राम का तिलक करते हैं। इसके पूर्व वह मानसरोवर मंदिर में भगवान शिव की पूजा करते हैं।

सावन के सोमवार

18 जुलाई

25 जुलाई

01 अगस्त

08 अगस्त

श्रावण पूजा का महात्म्य

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार श्रावण में एक महीने तक शिवालयों में स्थापित, प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित शिवलिंग का गंगाजल व दूध से रूद्राभिषेक करें। यह शिव को अत्यंत प्रिय है। वहीं उत्तरवाहिनी गंगाजल, पंचामृत का अभिषेक भी महाफलदायी है। कुशोदक से व्याधि शांति, जल से वर्षा, दही से पशुधन, ईख के रस से लक्ष्मी, मधु से धन, दूध से एवं एक हजार मंत्रों सहित घी की धारा से भगवान शिव का अभिषेक पुत्र व यश वृद्धि होती है।