- सूरजकुंड पोखरे में दो दिन से मर रही हैं मछलियां और कछुए

- पानी में घटे ऑक्सीजन को बताया जा रहा कारण, लंबे समय से नहीं हुई है पोखरे की सफाई

GORAKHPUR: शहर में सफाई नहीं होने से गंदगी से लोगों का जीना दूभर है तो पोखरों में जलीय जीवों के जान पर बन आई है। शहर के प्रसिद्ध सूरजकुंड पोखरे में दो दिन से आधा दर्जन मछलियां व तीन कछुओं की मौत हो गई है। इसके पीछे पानी में ऑक्सीजन की कमी होना बताया जा रहा है।

तीन साल से है संकट

सूरजकुंड पोखरे में कछुओं और मछलियों के मरने का सिलसिला पिछले तीन साल से चल रहा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अभी तक पोखरे में केवल मछलियां ही मरती थीं लेकिन अब तो कछुए भी मर रहे हैं। इसका सीधा मतलब है कि पानी के साथ ही नीचे की मिट्टी भी प्रदूषित हो गई है। सितंबर 2013 में अचानक मछलियां मरने लगी थीं। इसी तरह 2014 और 2015 की दिवाली के दूसरे दिन बड़ी संख्या में मछलियां मरी मिली।

जहरीला हो गया है पानी

पोखरे के जलीय जीवों के लगातार मरने पर गोरखपुर यूनिवर्सिटी के जीव विज्ञान विभाग के लोगों ने उन मछलियों की लैब में जांच की। सामने आया कि पोखरे के पानी में ऑक्सीजन कम होने के कारण मछलियां मरी हैं। उसके बाद मत्स्य विभाग ने पूरे तालाब में चूना डालकर सफाई करवाई। वहीं नगर निगम ने पोखरे का पानी बदलने का आश्वासन दिया, लेकिन डेढ़ साल बाद भी पानी नहीं बदला गया।

बॉक्स

शुरू की पोखरे की सफाई

सूरजकुंड एरिया के लोग शुक्रवार को छठ पूजा की तैयारी को लेकर सफाई कर रहे थे। इसी दौरान एक मरी मछली पानी की सतह पर नजर आई। लोगों ने इसे सामान्य घटना के तौर पर लिया लेकिन शनिवार को पांच मछलियां और तीन कछुए और मृत मिले तो लोग जमा हो गए। जलीय जीवों पर इसे संकट मानते हुए आनन-फानन में सूरजकुंड जीर्णोद्धार समिति के सदस्यों ने पोखरे की सफाई करानी शुरू की और एक सप्ताह से बंद पड़े ट्यूबवेल को चलाया।

दीये के तेल से काम तमाम

लोगों का कहना है कि तीन साल से दिवाली के दूसरे-तीसरे दिन मछलियां मरी मिलती हैं। इस बार भी दिवाली के बाद मछलियां और कछुए मर गए। लोग बताते हैं कि दिवाली के दिन जलाए दीयों का तेल पानी के ऊपरी सतह पर फैल गया जिससे पानी में रहने वाले जीवों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा। इसके चलते पानी में रहने वाले जीव मर रहे हैं।

इसलिए मर रही मछलियां

- पानी में ऑक्सीजन की कमी

- पोखरे का तापमान बढ़ना

- केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और बायलॉजिक ऑक्सीजन डिमांड में कमी

- कपड़े धोने और पूजा सामग्री के कारण पीएच में परिवर्तन

- नॉर्मल जल का पीएच सात होना चाहिए

- पानी में तेल का घुलना

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कॉलिंग

पोखरे का पानी पूरी तरह गंदा हो चुका है, जिस कारण मछलियां मर रही हैं। अगर प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह पोखरा भी आमी नदी की तरह जलीय जीव-जंतु विहीन हो जाएगा।

- श्रवण पटेल, प्रोफेशनल

यह एक ऐतिहासिक पोखरा है। पोखरे की सफाई और रखरखाव पर विशेष ध्यान न दिए जाने के कारण मछलियां और कछुए मर रहे हैं।

- विशाल गुप्ता, दुकानदार

वर्जन

सूरजकुंड पोखरे में बार-बार मछलियों के मरने का कारण प्रदूषित पानी है। वैसे जांच के बाद ही इसकी असली वजह बताई जा सकती है।

रिटायर्ड प्रो। सीपीएम त्रिपाठी, जीव विज्ञान विभाग, डीडीयूजीयू