गोरखपुर (निखिल तिवारी).पहले तो गोरखपुर टाइगर्स के लिए नहीं जाना जाता था। मगर चिडिय़ाघर के खुलने के बाद से यहां पर बाघों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इस समय यहां पर तीन टाइगर हैं। इसमें दो फीमेल और एक मेल टाइगर हैं। यहां पर कुछ दिन पहले आई एक वाइट टाइग्रेस 'गीताÓ भी है।
गोरखपुर जू में लगेगी थर्ड आई
गोरखपुर जू के डायरेक्टर डॉ। एच राजामोहन ने बताया, जू के सभी जानवर सुरक्षित हैं। कभी-कभी ऐसी शिकायतें आती हैं कि पब्लिक वहां पर जानवरों को परेशान करती है। इससे बचने के लिए जू में कैमरे लगाने के लिए प्रपोजल बनाकर शासन को भेजा है। बजट मिलते ही जल्द से जल्द इसको लगवा दिया जाएगा। अगर कोई भी व्यक्ति जू में जानवरों को परेशान करता है तो उसके लिए दंड का प्रावधान भी है।
टाइगर की खासियत
- साइंटिफिक नेम: पैंथरा टाइग्रिस
- एक बाघ की दहाड़ दो मील दूर से सुनी जा सकती है।
- वह 40 मील प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकते हैं।
- टाइगर को दुनिया की सबसे बड़ी बिल्ली कहा जाता है
- मेल टाइगर का औसत वजन 90 से 310 किलोग्राम तक होता है।
- फीमेल टाइगर का औसत वजन 65 से 170 किलोग्राम तक होता है।
- एक शावक दो या तीन साल का होने के बाद ही अपना शिकार कर सकता है।
- यह हिरन, नीलगाय, जंगली भैंसे व सुअर का शिकार कर अपना पेट भरता है।
टाइगर की प्रजातियां
इंडिया में बाघों की आठ प्रजातियां हुआ करती थीं। मगर अब सिर्फ पांच तरह की प्रजातियां ही पाई जाती हैं। ये पांचों हैं साइबेरियन, बंगाल टाइगर, इंडोचाइनीज, मलयन व सुमत्रन।
इंडिया में टाइगर की मौत (2012-2019)
स्टेट टाइगर
मध्य प्रदेश 173
महाराष्ट्र 125
कर्नाटक 111
उत्तराखंड 88
तमिलनाडु 54
असम 54
केरल 35
उत्तर प्रदेश 35
राजस्थान 17
बिहार 11
छत्तीसगढ़ 10
वेस्ट बेंगाल 11
ओडिसा 7
आंध्र प्रदेश 7
तेलंगाना 5
दिल्ली 2
नागालैंड 2
अरुणांचल प्रदेश 1
हरियाणा 1
गुजरात 1
टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स जरूरी: दुबे
वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा, देश में जहां भी टाइगर रिजर्व हैं। वहां पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है। बाघों के अंगों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग के कारण इसकी तस्करी और लोकल लेवल पर अंधविश्वास के कारण इसका वध होता है। इसे रोकना जरूरी है। देश के 2.5 हिस्से में 52 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें बाघों की सुरक्षा के लिए ड्रोन, सैटेलाइट कॉलर और आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ सघन पेट्रोलिंग निगरानी पर प्रोजेक्ट टाइगर के तहत कार्य जारी है। लोकल आदिवासी समाज के युवाओं को ही फॉरेस्ट कर्मचारी पद पर नौकरी देना स्थानीय लोगों के साथ सम्मानजनक बाघ संरक्षण होगा। बाघों के संरक्षण के लिए स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाना और राज्यो में स्टेट वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो की स्थापना करना जरूरी है।