- झरना टोला के चौहरे मर्डर कांड की जांच में छूट गए थे पुलिस के पसीने

- क्राइम ब्रांच और पुलिस की अलग-अलग टीमें लगातार करती रही जांच

- गायब एटीएम कार्ड से मिला से क्लू, हरियाणा तक हुई आरोपित की तलाश

क्राइम फाइल्स

दिन: 30 जुलाई 2015

समय: सुबह 10 बजे

स्थान: शाहपुर थाना क्षेत्र का झरना टोला में सीआरपीएफ जवान का मकान।

झंगहा के मूल निवासी जवाहर लाल सीआरपीएफ में तैनात हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने झरना टोला के ठाड़ो लाइन में घर बनवा लिया था। वहां उनकी पत्‍‌नी राजी उर्फ रजिया, बड़ी बेटी पूनम, छोटी बेटी रूबी और बेटा अनूप रहते थे। 30 जुलाई की सुबह 10 बजे जवान ने पत्नी के मोबाइल पर काल किया। फोन स्वीच ऑफ बताने लगा। ऐसा पहली बार हुआ था जब जवान की पत्‍‌नी और बच्चों से बात नहीं हो पा रही थी। किसी अनहोनी की आशंका में जवान ने अपने साले रामू को घर जाकर हालचाल लेने को कहा। रामू जब घर पहुंचा तो बाहर से ताला बंद देखकर उसका माथा घूम गया। वह सोचने लगा कि ताला बंद कर वे कहां जा सकता है। खिड़की से ताकझांक की तो रामू के पैरों तले जमीन खिसक गई। राजी उर्फ रजिया की डेड बॉडी बाहर के कमरे में तख्त पर पड़ी थी। तथा रूबी और अनूप की डेड बॉडी स्टडी रूम में जबकि बड़ी पूनम की डेड बॉडी सीढि़यों के पास नजर आई। रामू ने पहले खुद को संभाला फिर जोर-जोर से दहाड़ मारकर रोने लगी। पलभर में एक ही परिवार के चार लोगों के मर्डर की सूचना से पूरे मोहल्ले में सनसनी फैल गई।

10 माह बाद पकड़ा गया ड्राइवर, कहानी सुनकर कांप उठा कलेजा

घटना की जानकारी पाकर पुलिस अधिकारी पहुंचे। मकान का ताला तोड़कर पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की। रजिया का मोबाइल, एटीएम कार्ड और कुछ च्वेलरी गायब होने से पुलिस रंजिश, प्रेम संबंध और लूटपाट सहित कई बिंदुओं पर घनचक्कर हो गई। तत्कालीन एसपी सिटी हेमराज मीणा की अगुवाई में सीओ क्राइम अभय मिश्रा की टीम ने छानबीन की। तो शुरूआती जांच में इस मर्डर में पुलिस को सीआरपीएफ जवान पर ही शक हुआ। दो माह तक पुलिस उसके पीछे लगी रही। तभी पता लगा कि जवाहर और उसकी पत्‍‌नी रजिया के नाम से च्वाइंट बैंक एकाउंट से चार बार रुपए निकाले गए हैं। सोनौली हाइवे के एटीएम की सीसीटीवी फुटेज चेक करने पर नीनाथापा टोला निवासी टेंपो ड्राइवर अरुण दीक्षित का नाम सामने आया। लोगों ने बताया कि उसका महिला के घर पर आना जाना था।

एक-एक करके सबको मारा, सिर पर था खून सवार

शायद, पुलिस के यह पहला क्लू था जिससे वारदात खुलने की उम्मीद जगी। मकान बनवाने के पहले जवाहर लाल की फैमिली नीना थापा के पास महेश मौर्या के मकान में रहती थी। उसी मकान में रहकर कुशीनगर कोतवाली, सिरसिया दीक्षित गांव का अरुण कुमार दीक्षित उर्फ बबलू दीक्षित उर्फ शास्त्री शहर में टेंपो चलाता था। वह जवाहर के घर अक्सर आता जाता था। जवाहर के बच्चे उसको टेंपो वाले अंकल कहकर बुलाते थे। उसने जवान की पत्‍‌नी रजिया से 10 हजार रुपए कर्ज लिए थे। अच्छे संबंध होने से वह अक्सर खाना खाकर रजिया के घर पर ही खाना खाकर सो जाता था। 29 जुलाई 2015 को ड्राइवर रजिया के घर पहुंचा। रजिया की बड़ी बेटी मच्छरदानी लगाकर छत पर सोने चली गई। स्टडी रूम में छोटी बेटी रूबी और बेटे अनूप सो रहे थे। बच्चों के गहरी नींद में होने पर रात में दो बजे रजिया उठकर टेंपो ड्राइवर के पास तख्त पर पहुंची। किसी बात को लेकर गुस्साए ड्राइवर ने रजिया को थप्पड़ मार दिया। रिएक्शन में रजिया ने ड्राइवर को लात मारकर गिरा दिया। अपमानित होने पर तख्त के पास पड़ा हथौड़ा उठाकर ड्राइवर ने उसका सिर कूंच दिया। मां की चीख सुनकर बेटा पहुंचा तो ड्राइवर के सिर पर खून सवार था। उसने दौड़ाकर स्टडी रूम में बेड पर ही उसकी हत्या कर दी। भाई की आवाज सुनकर छोटी बहन जगी तो उसे भी ड्राइवर ने मार डाला।

तीन का कत्ल किया, बड़ी बेटी संग ज्यादती कर ली जान

मां, एक बेटा और एक बेटी का कत्ल करके आरोपित ड्राइवर रात में सीढ़ी के पास बैठा रहा। सुबह पांच बजे जब छत पर सो रही बड़ी बेटी नीचे आई तो ड्राइवर ने उस पर भी हमला किया। वह सीढि़यों से लौटकर छत की ओर भागी। ड्राइवर ने उसका पैर पकड़कर सीढि़यों पर घसीटना शुरू कर दिया। इससे उसके सारे कपड़े खुल गए। हैवानियत की हद से गुजरते हुए ड्राइवर ने किशोरी संग ज्यादती की। वह अपनी जान बख्शने की रहम भीख मांगती रही। फिर भी ड्राइवर का दिल नहीं पसीजा। चार-चार लोगों की हत्या के बाद ड्राइवर ने अपने कपड़े साफ किए। महिला का एटीएम कार्ड, च्वेलरी और मोबाइल फोन लेकर घर में बाहर से ताला बंद करके छह बजे के पहले वह निकल गया।

एटीएम से खुला राज, 10 माह तक चलती रही तलाश

29 जुलाई को पीपीगंज में उसकी मुलाकात सुजीत, सुदीप और छोटू से हुई। सभी उसके परिचित थे। आठ हजार रुपए में उसने रजिया की सारी च्वेलरी बेच दी। 29 जुलाई से एक अगस्त तक वह पीपीगंज में रूका रहा। इसके बाद उसे रुपए की जरूरत पड़ी तो जवान और उसकी पत्‍‌नी के नाम से जारी एटीएम कार्ड अपने परिचित को देकर रुपए निकालने को कहा। अतुल के भाई रिशू ने एटीएम से विड्रॉल किया। मुंह पर मास्क बांधकर अलग-अलग एटीएम से 45 हजार रुपए निकाले। फिर अपने गांव चला गया। कुछ दिनों के बाद आया तो देखा कि उसके घर का ताला टूटा हुआ। भीतर सामान बिखरने से अंदाला लगा कि पुलिस उसकी तलाश में आई होगी। वहां से भागकर आरोपित कैंपियरगंज एरिया के रहने वाले राघवेंद्र दास के साथ अयोध्या चला गया। वहां अयोध्या के मठाधीश के कहने पर हरदोई के संडीला में महंत की हत्या की सुपारी ली। फिर पंजाब, दिल्ली और हैदरबाद सहित कई शहरों में भागता रहा। उधर सीओ अभय मिश्रा की अगुवाई में टीम उसके पीछे लगी रही। करीब 10 माह बाद पकड़ा गया तो सामने आया कि वह पहले भी कुशीनगर जिले में लूट, आ‌र्म्स एक्ट और पुलिस अभिरक्षा से भागने का मुकदमा दर्ज है। वर्ष 2002 में वह कुशीनगर जिले से पुलिस कस्टडी से फरार हुआ तो गुलरिहा पुलिस ने पकड़ा था। चौहरे हत्याकांड में आरोपित टेंपो ड्राइवर अभी जेल में है।

डीजीपी ने दिया 50 हजार का इनाम

चौहरे हत्याकांड के खुलासे को लेकर पुलिस कार्रवाई पर कई बार सवाल खड़े हुए। इस मामले में पीडि़त पक्ष ने हाईकोर्ट की शरण ली। सात जून को कोर्ट ने पत्रावली के साथ पुलिस अधिकारियों को तलब किया गया था। इसके पहले पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट कर लिया। एसएसपी ने कहा कि एसपी सिटी हेमराज मीणा के नेतृत्व, क्राइम ब्रांच के सीओ क्राइम अभय मिश्रा की अगुवाई में एसआई संतोष सिंह, राधेश्याम राय, सीआईयू प्रभारी अनिल उपाध्याय, कांस्टेबल विपेंद्र मल्ल, शशिकांत राय, रसीद अख्तर, सनातन सिंह, सत्य प्रकाश वर्मा, करुणापति, दुर्गेश मिश्रा, राकेश यादव और सुभाष सिंह की कड़ी मेहनत पर घटना का खुलासा हो सका। पुलिस टीम को डीजीपी ने 50 हजार के इनाम की घोषणा की। एसएसपी ने कहा कि टेंपो ड्राइवर का साथ देने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी।

- एक ही परिवार के चार लोगों का मर्डर हुआ।

- कातिल ने अकेले चार लोगों की हत्या कर दी।

- घटना के बाद करीब 10 माह तक पुलिस उसकी तलाश करती रही।

- एटीएम में लगे सीसीटीवी कैमरे से कातिल के बारे में जानकारी मिली।

- 15 पुलिस कर्मचारियों की टीम ने आरोपित को अरेस्ट करके चार हत्याओं का राजफाश किया।

यह एक ऐसी घटना थी जिसके बारे में हर कोई जानना चाहता था। शुरूआती जांच में कई लोगों पर शक हुआ। लेकिन धीरे-धीरे जब जांच आगे बढ़ी तो एक क्लू मिला। आरोपित की तलाश कर पाना आसान नहीं था। पुलिस ने काफी प्रयास किया। कई टीमों को लगाया गया। तब कहीं जाकर हम इस चौहरे हत्याकांड का पर्दाफाश करने में कामयाब हो सके। यह घटना आज भी लोगों के जहन में ताजा है।

अभय कुमार मिश्रा, तत्कालीन सीओ, क्राइम