गोरखुपर (ब्यूरो).गुरुवार को रक्सौल से राजन तिवारी को अरेस्ट कर पुलिस शाम 5.17 बजे गोरखपुर कोर्ट पहुंची। यहां पर गैंगस्टर कोर्ट के सामने पेश करने पर उनसे सवाल जवाब हुए। इसके बाद जज ने उन्हें 14 दिन के लिए जेल भेज दिया। राजन तिवारी के वकील जमानत के कागजात लेकर कोर्ट में पेश किए, जिस पर जज ने सोमवार की डेट लगा दी। करीब 32 मिनट तक राजन तिवारी कोर्ट में रहा। इसके बाद मेडिकल जांच कराने के लिए उन्हें कैंट पुलिस जिला अस्पताल लेकर गई। जांच कराकर पुलिस ने राजन तिवारी को जेल में शिफ्ट कराया।

पुलिस ने रखा था 20 हजार का इनाम

राजन तिवारी मोतिहारी के गोविंदगंज से विधायक रह चुके हैं। उनके खिलाफ बिहार और यूपी में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस को राजन तिवारी की लंबे समय से तलाश थी। उसपर 20 हजार रुपए का इनाम भी था। पुलिस को सूचना मिली कि राजन तिवारी नेपाल भागने की फिराक में हैं और वे मोतिहारी में छिपे हैं। इसकी सूचना यूपी पुलिस को दी गई। इसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में उन्हें रक्सौल के हरैया ओपी थाना क्षेत्र से गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया।

यूपी के टॉप 61 माफियाओं की लिस्ट में राजन का नाम

यूपी के टॉप 61 माफियाओं की सूची में बाहुबली राजन तिवारी का नाम शामिल होने के बाद मुकदमों की पड़ताल शुरू हुई तो पुलिस का बड़ा खेल सामने आया। राजन को गोरखपुर कैंट थाने में दर्ज 1996 के हत्या के दो मामलों में आरोपी बनाया गया था। इस केस में गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला भी गैंगलीडर था।

17 साल से एनबीडब्ल्यू पचा कर बैठी थी पुलिस

कुख्यात श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ गैंगस्टर के केस में नामजद राजन तिवारी के खिलाफ 17 साल से गैरजमानती वारंट जारी होता रहा, लेकिन कैंट पुलिस गिरफ्तारी तो दूर, वारंट ही गायब करती रही। 100 से ज्यादा वारंट-समन जारी हुए कोर्ट से पर पुलिस ने एक भी नहीं पहुंचाया। गोरखपुर पुलिस का यह खेल सामने आने के बाद पुलिस हरकत में आई और राजन की गिरफ्तारी का जाल बिछाया।

कौन है राजन तिवारी?

मूल रूप से गोरखपुर के गगहा थाना क्षेत्र के सोहगौरा गांव निवासी राजन तिवारी पर यूपी और बिहार में 40 से ज्यादा मुकदमे हैं। बिहार में पूर्वी चंपारण के गोविंदगंज सीट से दो बार विधायकी जीतने वाले राजन तिवारी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लखनऊ में भाजपा की सदस्यता ली थी, जिस पर विवाद होने के बाद पार्टी ने राजन को साइड लाइन कर दिया था। हालांकि, राजन तिवारी ने खुद को भाजपा नेता ही बताया। इससे पहले उन्होंने 2016 में बीएसपी भी ज्वाइन की थी।

माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के करीबी रहे राजन

राजन तिवारी की प्रारम्भिक शिक्षा भी गोरखपुर में हुई। युवा अवस्था में राजन तिवारी ने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। 90 के दशक के माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के संपर्क में आने के बाद राजन तिवारी का नाम कई अपराधों में सामने आया।

वीरेंद्र प्रताप शाही पर हमले में आया था नाम

यूपी के महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही पर हमले में भी राजन तिवारी का नाम आया था। इस घटना में माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, वीरेंद्र प्रताप शाही पर हमले के मामले में राजन तिवारी साल 2014 में बरी हो चुके हैं।

विधायक अजीत सरकार हत्याकांड में भी रहे आरोपी

राजन तिवारी बहुचर्चित माकपा विधायक अजीत सरकार के हत्याकांड में भी आरोपी रह चुके हैं। राजन तिवारी के अलावा इस मामले में पप्पू यादव भी सजा काट चुके हैं। हालांकि इस मामले में भी पटना हाईकोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया था।

गोरखपुर में काटी है 2 साल से अधिक जेल

माफिया राजन तिवारी 28 नवंबर 2012 से 29 जुलाई 2014 तक गोरखपुर जेल में बंद रहे। इस दौरान यहां राजन मिलेनियम बैरक में रहते थे। जहां पर इनका सिक्का चलता था। जेल के बाहर केवल राजन तिवारी का नाम बता देने पर कभी भी लोगों की उनसे मुलाकात हो जाती थी।

रक्सौल नेपाल बॉर्डर पर पुलिस ने इनामी राजन तिवारी को अरेस्ट किया है। शाम को कोर्ट में पेश करने के बाद उसका डॉक्टरी परीक्षण कराकर उसे जेल भेज दिया गया। कैंट थाने में गैंगस्टर के मामले में राजन तिवारी फरार था।

कृष्ण कुमार बिश्नोई, एसपी सिटी