- मामूली विवाद को लेकर हो रही मारपीट, वजह दुश्मनी नहीं सुविधा का अभाव

- आए दिन आपस में टकरा रहे बंदी/कैदी

GORAKHPUR : गोरखपुर जेल में टशन चल रही है। जिससे शांत रहने वाली जेल में आए दिन मारपीट या गालीगलौज की घटना हो रही है। ये टशन किसी माफिया या पुराने बंदियों के बीच अदावत की वजह से नहीं, सुविधाओं के अभाव के कारण है। कभी एक दूसरे से मामूली टक्कर मारपीट की वजह बनती है तो कभी रात में सोते वक्त एक दूसरे के ऊपर गिरने पर हाथापाई हो जाती है। कभी-कभी तो नहाने और बिस्तर लगाने को लेकर बंदी/कैदी एक-दूसरे से मारपीट पर आमादा हो जा रहे हैं। ट्यूज्डे को भी कुछ ऐसा ही हुआ था। जब जयहिंद मौर्या और तूफानी निषाद एक दूसरे से टकरा गए थे। कैदी/बंदियों के बीच चल रही इस टशन को लेकर जेल एडमिनिस्ट्रेशन काफी परेशान है, मगर चाहते हुए भी इस प्रॉब्लम को सॉल्व नहीं कर पा रहा है।

ओवरक्राउडेड जेल बना अखाड़ा

गोरखपुर जेल में 822 बंदियों/कैदियों को रखने की व्यवस्था है। इतने ही बंदी/कैदी के लिए अन्य सुविधा मुहैया है। फिर चाहे बैरक में रहने की व्यवस्था हो, नहाने की व्यवस्था हो या टहलने के साथ खाने की, मगर इस टाइम जेल ओवरक्राउडेड है। वर्तमान में जेल में करीब 1500 बंदी/कैदी बंद हैं। इससे सभी बैरक ओवरक्राउडेड हो गई हैं। साथ ही अधिकांश बैरक की छत बारिश में टपक रही है। इससे दिन हो या रात, बारिश के टाइम बंदी/कैदी को भीगने से बचने के लिए जगह चेंज करनी पड़ती है। कुछ दिन पहले रात में हुई अचानक बारिश के कारण एक बंदी जगह चेंज कर रहा था, तभी वह सो रहे एक बंदी के ऊपर गिर पड़ा। इसको लेकर दोनों के बीच मारपीट हो गई। वहीं इससे पहले एक दूसरे से टकराने के कारण दो बंदी आमने-सामने आ गए थे। हालांकि अब तक सही समय पर बंदीरक्षकों के पहुंचने से मामला गंभीर नहीं हुआ है।

बजट के अभाव में बढ़ी टेंशन

गोरखपुर जेल काफी पुरानी होने के साथ-साथ अक्सर ओवरक्राउडेड रहती है। लगभग सभी बैरकों की छत टपक रही है। इसको लेकर जेल प्रशासन ने शासन को प्रस्ताव भी भेजा है, मगर अब तक बजट पास न होने से काम नहीं हुआ। वहीं कई साल पहले दो मंजिला बैरक बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था जो अब तक अधर में लटका हुआ है।

पूछताछ में नहीं मिला दोषी तो वापस मिला बैरक

ट्यूज्डे को श्रीप्रकाश शुक्ला के साथी सत्यव्रत राय के साथ मारपीट का मामला सामने आया था। जिसमें एक्शन लेते हुए जेल प्रशासन ने सत्यव्रत राय को बैरक 8 से बैरक 7 में ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद जांच शुरू की। जेल सोर्सेज के मुताबिक इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वहां मौजूद सभी बंदी/कैदी से पूछताछ की गई। इसके बाद पता चला कि उस झगड़े में सत्यव्रत राय का हाथ नहीं है। इससे उसे वापस बैरक 7 में ट्रांसफर कर दिया गया।

गोरखपुर जेल पूरी तरह ओवरक्राउडेड है। बैरकों की छत भी टपक रही है। अन्य कई प्रॉब्लम भी हैं। इसको लेकर कई बार कुछ बंदी आपस में भिड़ जाते हैं। बंदीरक्षकों के पहुंचने पर मामला शांत हो जाता है।

एसके शर्मा, सीनियर जेल सुप्रिटेंडेंट