खादी गामोद्योग प्रदर्शनी में कवियों ने लूट ली महफिल

युवा कवियों की रचनाओं पर तालियां बजाते रहे दर्शक

उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड और नव्य इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में इंडियन इन्स्टीच्यूट ऑफ रेडियो एंड टेलीविजन की ओर से आयोजित खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयेाजन किया गया। वरिष्ठ कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों पर करारी चोट की। मुशायरे की अध्यक्षता रविंद्र श्रीवास्तव च्जुगानी भाई ने और संचालन चेतना पांडे ने किया। खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एनपी मौर्य एवं नव्य इंडिया संस्था के अध्यक्ष नवीन पांडे ने सभी कवियों का स्वागत किया। कार्यक्त्रम का शुभारंभ प्रेम नाथ मिश्र ने सरस्वती वंदनाच्विद्या दानी है वरदानी मंगलमय वर दे, सारा तमस मिटा कर जग को च्योतिर्मय कर दे से किया। युवा शायर कासिम रजा ने अपनी रचना च्मां इसी फिक्त्र में बीमार हो गई भाई, घर के आंगन में नई दीवार हो गई भाई से खूब वाहवाही बटोरी।

यह गांधी चौक है यहा मजदूर बिकते हैं

युवा शायर डॉ। मुस्तफा खान ने अपना शेर, दिल आजकल परेशानियों से घबरा रहा है, ना जाने कौन सा मंजर सामने आ रहा है, कैसी कशमकश है मेरे दिल में मौला, की पेशानी पर शिकन है और चेहरा मुस्कुरा रहा है। निखिल पांडे ने कैसा आज शहर लगता है, ख्वाब कोई बेघर लगता है। रोशनदानों की मक्कारी, सहमा सहमा घर लगता है। कुमार अभिनीत ने आईल कोरोना देख पड़ता सुनाई, तनी बचाई रही, एकर ना कौनो दवाई तनी बचके रहीह। अर्चना मालवीय ने ये संदेश दे दो जगत को बता दो कि हम भूमि भारत की वह निर्भया है, वसीम मजहर ने यही है मेरा हिंदुस्तान। यही है मेरा हिंदुस्तान.जिनकी फिजा में हरसू गूंजे गीता और कुरान। प्रदीप मिश्र ने सरल था रास्ता जिनका, गिरे तो उठ नहीं पाए जो होती राह पथरीली संभलना आ गया होता। प्रेम नाथ मिश्र ने रखिए नहीं मन में टीस बीत गया 2020 सुनाया। आलम कुरेशी कटाक्ष करते हुए अपनी रचना प्रस्तुत की कि कहीं बच्चे कहीं बूढ़े कहीं मजूर बिकते हैं, यह गांधी चौक है यारों यहां मजदूर बिकते हैं।

दिल में सबके लिए जगह रखिए

कवि चेतना पांडे ने दिल में सबके लिए जगह रखिए वास्ता यूं ही बेवजह रखिए सुनाकर तालियां बजवाई। आचार्य मुकेश ने दिलों की रंजिशे मिटाए औरत, हर एक दिल को सजाए औरत और सुभाष चंद्र यादव ने मुस्कान है आंखों पर और दर्द है सीने में एक सांस का अंतर है जीने और मरने में चंद्रेश्वर परवाना ने आप कहते अभी जाइए आप भी तो कभी आइए सुनाकर श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा। रविंद्र श्रीवास्तव च्जुगानी भाईच् ने अपनी रचना कोनो बात जरूर ह बाबू जबरो से मशहूर ह बाबू, एक कटोरी के पेनी में बसल इ गोरखपुर हो बाबू, से लोगों मंत्रमुग्ध किया।

कवि सम्मेलन में डॉक्टर सत्यमवदा प्रीत ने दोनों में ऐसी सयानी हुई, एक हकीकत बनी एक कहानी हुई। मौके पर आशीष रुंगटा अमरनाथ जायसवाल अनुज पांडेय, अमित सिंह पटेल, विजय मिश्रा समेत अन्य लोग मौजूद रहे। अंत में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी एनपी मौर्य ने सभी का आभार जताया।