गोरखपुर (ब्यूरो)। इस सर्वे में 31 परसेंट लोग मोटापे (ओबेसिटी) का शिकार हुए, जबकि 46 परसेंट लोग प्री-ओबेसिटी पर मिले।
चेक किया बीएमआई
एम्स के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के असिस्टेंट प्रो। डॉ। यू वेंकटेश ने बताया कि एरिया के लोगों की सेहत को बेहतर करने के लिए सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप विकसित करने की स्कीम है। एरिया के ऐसे वयस्कों को सलेक्ट किया गया जो एंड्रॉयड मोबाइल का इस्तेमाल करते हों और उनकी उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच है। इन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स बीएमआई चेक किया गया। जिसमें उनकी उम्र व लंबाई के मुताबिक वजन देखा गया।
सिर्फ छह परसेंट वयस्क मिले सामान्य
डॉ। वेंकटेश ने बताया कि कुल करीब 406 लोगों सलेक्शन किया गया। इसमें 213 पुरुष और 193 महिलाएं शामिल है। इनमें 333 लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं, जबकि 73 लोग एकल परिवार के मेंबर हैं। इसमें सिर्फ 6 परसेंट का बीएमआई मानक के मुताबिक मिला। सिर्फ एक व्यक्ति का बीएमआई मानक से कम रहा। ज्यादातर मेंबर निम्न आर्य वर्ग के रहे।
ऐसा मिला वेट
कैटेगरी संख्या परसेंट
कम वेट 01 0.2
सामान्य 24 5.9
ओवरवेट 65 16.0
प्री-ओबेसिटी 188 46.3
ओबेसिटी 128 31.5
यह सर्वे आईसीएमआर से एप्रूव्ड है। इस पर तीन साल तक रिसर्च चलेंगी। इसका उद्देश्य इलाके में रहने वाले लोगों की सेहत की जरूरत को जानना है। उसके मुताबिक सॉफ्टवेयर विकसित करना है।
- डॉ। यू वेंकटेश, असिस्टेंट प्रोफेसर एम्स गोरखपुर