गोरखपुर (ब्यूरो)।आबकारी विभाग की टीम अमरूद मंडी, खजनी के कछार एरिया और चौरीचौरा में बार-बार छापेमारी कर अवैध शराब पकड़ती है और हर बार अवैध शराब का धंधा चल निकलता है। यह कंभी मंदा नहीं पड़ता है। आबकारी टीम ने लहन बरामद कर केस दर्ज किया, लेकिन धंधेबाजों पर कोई असर नहीं पड़ा। विभाग का कहना है कि इनको सुधारने के लिए भी अभियान चलाया गया, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा।

अमरूद मंडी में हर बार छापा, फिर भी नहीं रुका धंधा

शहर में अमरूद मंडी कच्ची शराब के लिए बदनाम है। यह एरिया इतना बड़ा और घना है कि कच्ची शराब कहां बन रही है, ये पता लगाना काफी कठिन है। यहां बड़े पैमाने पर कच्ची शराब बनाई जाती है। कच्ची के शौकीन भी यहीं आते हैं। आबकारी टीम यहां सालभर छापेमारी करती है। शराब, लहन और गिरफ्तारियां करती है, लेकिन धंधा आज तक नहीं रुका। यही नहीं यहां छापेमारी में टीम पर हमले का भी खतरा होता है। विभाग के अनुसार हर महीने यहां करीब 15 से 16 धंधेबाज यहां से पकड़े जाते हैं।

15-16 धंधेबाज हर माह अमरूद मंडी से पकड़े जाते हैं

खजनी का कछार एरिया बना चुनौती

खजनी में कछार एरिया विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है। यहां जब भी टीम छापा मारने पहुंची है धंधेबाज फरार हो जाते हैं। यहां भी बड़े पैमाने पर कच्ची शराब बनाई जाती है। यहां दूर-दराज ग्रामीण इलाकों के शौकीन आते हैं। कच्ची शराब पर लगाम लगाने के यहां काफी अभियान चले, लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसके साथ ही खजनी एरिया में कई ईंट भट्ठों पर कच्ची शराब बनाने की शिकायत मिली तो विभाग ने कार्रवाई की। इसके बाद भी बताया जाता है कि यहां बड़े पैमाने पर कच्ची शराब बनाई जा रही है।

चौरीचौरा एरिया में खूब बन और बिक रही कच्ची

चौरीचौरा एरिया में कच्ची शराब खूब बन और बिक रही है। आबकारी विभाग ने यहां भी सालभर में कई दबिश दीं। गिरफ्तारियां कीं और लहन बरामद किया। इसके बाद भी यहां धंधा बंद नहीं हो सका। नगर पंचायत चुनाव की आहट पर यहां कच्ची शराब बनाने का फिर से दौर शुरू हो गया है। भोर में बनने से आबकारी विभाग के लिए कार्रवाई करना आसान नहीं साबित हो रहा है।

2015 में पिपराइच में चार की हुई थी मौत

पिपराइच थाना क्षेत्र के जंगल छत्रधारी में 2015 में प्रधानी के चुनाव के दौरान जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई थी। साथ ही 15 लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे। बताया गया था कि एक पार्टी के प्रत्याशी ने अपने फेवर में वोट के लिए कच्ची शराब की पार्टी दी थी। इसमें दो दर्जन से ज्यादा ग्रामीण शामिल हुए थे। मामला तब बिगड़ा जब कच्ची शराब पीने वालों को उल्टियां शुरू हो गईं। अस्पताल ले जाने से पहले ही चार की मौत हो गई थी।

खोराबार में मौत के बाद ग्रामीणों ने पुलिस पर किया था हमला

खोराबार के तरकुलहा में 2015 मेें कच्ची शराब पीने से श्रवण कुमार नाम के व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसके बाद उग्र ग्रामीणों ने कच्ची के अड्डों पर तोडफ़ोड़ कर दी थी। यही नहीं पुलिस पर हमला कर तीन बाइकें जला दी थीं। इसके बाद यहां ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई तो यहां धंधा बिल्कुल बंद हो गया था। अब बताया जाता है कि कुछ जगहों पर फिर धंधेबाजों ने कच्ची शराब बनानी शुरू कर दी है।

छपरा की घटना के बाद दौड़ी टीम, लहन किया बरामद

छपरा में जहरीली शराब से मौत के बाद आबकारी विभाग की टीम एक बार फिर अमरूद मंडी पहुंची। यहां 224 लीटर कच्ची शराब बरामद की। साथ ही 3500 किलोग्राम लहन को नष्ट किया। हालांकि, टीम के आने से पहले ही धंधेबाज फरार हो गए। टीम ने भट्ठियों को नष्ट किया और आसपास के एरिया का निरीक्षण किया। टीम में आबकारी निरीक्षक सेक्टर-2 श्याम कुमार गुप्ता और आबकारी निरीक्षक पुंकेश सिंह तथा प्रवर्तन एक और प्रवर्तन दो शामिल रहे।

आबकारी विभाग सालभर कच्ची शराब के खिलाफ अभियान चलाता है। हर माह करीब 50 अभियोग पंजीकृत किए गए हैं और करीब 15 से 16 गिरफ्तारियां की गई हैं। कच्ची शराब पर जिले में काफी अंकुश लग गया है। हालांकि, कुछ जगह ऐसी हैं, जहां बार-बार की छापेमारी के बाद भी धंधेबाज मान नहीं रहे हैं। इन पर और प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।

महेंद्र नाथ सिंह, जिला आबकारी अधिकारी गोरखपुर