गोरखपुर (ब्यूरो)।यह कंस्ट्रक्शन जू की दीवार से ऊपर जा रहा है। जू प्रशासन सकते में इसलिए आ गया है कि कंस्ट्रक्शन होने के बाद वहां से जू में रहने वाले अधिकांश वन्यजीव आसानी से देखे जा सकते हैं। इसका फायदा उठाकर अराजक तत्व अंदर आ सकते हैं। साथ ही वन्य जीवों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा में सेंधमारी से जू प्रशासन चिंतित भी है। उसका कहना है कि संबंधित डिपार्टमेंट के अफसरों को पत्र लिखकर जानकारी दी जाएगी।

गीता के बाड़े के पीछे कंस्ट्रक्शन

लखनऊ से गोरखपुर में लाई गई सफेद बाघिन गीता के बाड़े के पीछे चिडिय़ाघर की दीवार के करीब निर्माण हो रहा है। अब कंस्ट्रक्शन से चिंता इसलिए बढ़ गई कि इधर से अराजकतत्व अंदर आ सकते हैं और गीता के साथ अन्य वन्य जीवों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

121 एकड़ में फैला है जू

पूर्वांचल का एकमात्र जू 121 एकड़ में फैला है। इसमें करीब 120 से ऊपर वन्य जीव हैं। इन वन्यजीवों की देखभाल के लिए अच्छा बजट खर्च भी होता है। वन्य जीवों को कोई नुकसान न पहुंचा सके। इसलिए बकायदा इनकी निगरानी की जाती है।

वन्यजीवों पर कई बार हो चुकी है पत्थरबाजी

जू में घूमने आए युवकों ने कई बार वन्यजीवों पर पत्थरबाजी कर चुके हैं। हालांकि उनका मकसद होता है कि बाड़े में बैठे वन्यजीव बाहर निकलें और वे उन्हें देख सकें। इसके लिए जू प्रशासन ने सख्ती की तो बंद हो सका। हालांकि अभी भी कुछ युवक पत्थरबाजी करते हैं। इन्हें रोकना है कि जू प्रशासन के लिए भारी पड़ रहा था, अब एक नई समस्या से चिंता बढ़ गई है।

एक दो जगह कंस्ट्रक्शन जू दीवार से ऊपर जा रहा है। हालांकि, सारी चीजें ब्लॉक रहेंगी। कंस्ट्रक्शन से तैयार हो रहे भवन की छत पर जाना तो दूर कोई भी जू की तरफ देख भी नहीं देख सकेगा।

रतन सेन सिंह, अधिशासी अभियंता, जल निगम

दीवार और कंस्ट्रक्शन के बीच गैप है। हालांकि कंस्ट्रक्शन हो जाएगा तो जू की दीवार की ऊंचाई और बढ़ाई जाएगी, साथ ही बाड़ाबंदी भी की जाएगी ताकि कोई उधर से न आ सके।

- डॉ। एच राजामोहन, डायरेक्टर, चिडिय़ाघर

मामला संज्ञान में आया है। उच्च अफसरों को जानकारी दी जाएगी। साथ ही संबंधित विभाग के साथ पत्राचार भी किया जाएगा। वन्यजीवों को नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा।

- डॉ। योगेश प्रताप सिंह, पशु चिकित्साधिकारी