गोरखपुर (ब्यूरो)। लेकिन फ्रॉड के केस बढऩे से अब मंडल के छोटे दुकानदार क्यूआर कोड से भाग रहे हैं। बैंक अधिकारियों की मानें तो पिछले साल की अपेक्षा इस साल ऑनलाइन पेमेंट करने वालों की संख्या घटी है। जुलाई-अगस्त 2023 में यह आंकड़ा 75 से 80 परसेंट था, लेकिन जनवरी 2024 में घटकर 60-65 परसेंंट पर पहुंच गया। ऐसे में दो केस भी आपके सामने हैं।

केस 1

रेती में साड़ी का दुकान करने वाले मनीष बताते हैं कि कस्टमर क्यूआर पर पेमेंट करता है, लेकिन कभी-कभी आता नहीं है। हम दूसरे कस्टमर में लग जाते है तो पहला कस्टमर चला जाता है। कब तक कस्टमर को रोक कर रखेंगे। इसलिए मैंने दुकान से क्यूआर कोड हटा दिया।

केस 2

शास्त्री चौक में सब्जी विक्रेता रामकिशुन का कहना है कि ऑनलाइन से बहुत पैसा इधर-उधर चला गया। पूंजी डूब जा रही है। इसलिए अब कैश से ही सब्जी बेचते है। यूपीआई का यूज नहीं करते।

ऐसे घट रहे यूपीआई यूजर (परसेंट में)

जिला जुलाई 2023 जनवरी 2024

गोरखपुर 77 67

बस्ती 70 60

देवरिया 68 58

महराजगंज 70 60

खलीलाबाद 71 61

कुशीनगर 70 60

सिद्धार्थनगर 90 80

क्या है क्यूआर कोड

क्यूआर (क्विक रिस्पॉन्स) कोड एक प्रकार का बार कोड होता है। जो मोबाइल से स्कैन किया जाता है। दुकानदार से जो भी सामान लेते हैं। तुरंत पेमेंट हो जाता है। इससे आसानी से पैसा अकाउंट में पहुंच जाता है।

क्या है यूपीआई

यूपीआई का मतलब यूनिफाइड पेमेंट़स इंटरफेस है। यह मोबाइल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बैंकों के बीच त्वरित, वास्तविक समय में फंड ट्रांसफर की अनुमति देता है। इसे नेशनल पेमेंटस कॉरपोरशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई ) के जरिए आईएमपीएस इंफ्रास्टक्चर पर बनाया गया है।

क्यूआर फिशिंग क्या है?

क्यूआर कोड को स्कैन करते हो उसमें यूजर का अकाउंट रिलेटेड डेटा सेव हो जाता है, जब आप मोबाइल फोन से किसी कोड को स्कैन करते हैं तब उसमें सेव डेटा डिजिटल लैंग्वेज में बदल जाता है। साइबर क्राइम करने वाले लोग इसी का फायदा उठाते हैं और ठगी करते हैं। इसे ही क्यूआर फिशिंग कहते हैं।

अवेयर कर रहे बैंक

लीड बैंक मैनेजर के अनुसार बैंक समय-समय पर पब्लिक को अवेयर कर रहे हैं। बैंक कस्टमर्स को बताते हैं कि कोई भी फोन से ओटीपी या पिन कोड मांगे तो उसे मत दें। बैंक से किसी को ओटीपी या एटीएम पिन के लिए फोन नहीं करता है। किसी के साथ यदि ऐसा बार-बार हो रहा है तो संबंधित बैंक में संपर्क करें।

ऐसे करें अपना बचाव

- ऑनलाइन बैंकिंग की कोई भी डिटेल जैसे- ओटीपी, पासवर्ड या यूजर नेम किसी के साथ भी शेयर ना करें। ऐसा करना आपकी बैंकिंग सेफ्टी के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

-किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले वेरिफाइड बैज चेक करके ही डाउनलोड करें। अक्सर लोग बिना चेक करे किसी भी ऐप को डाउनलोड कर लेते हैं।

- साइबर ठग बैंकिंग फ्रॉड के लिए ईमेल या लिंक भेजते हैं और कुछ झांसा देकर फंसाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में किसी भी संदिग्ध ईमेल या लिंक पर क्लिक ना करें।

-अक्सर लोग अपना इंटरनेट बचाने के चक्कर में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भी पब्लिक वाईफाई के जरिए ही करना चाहते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ फ्रॉड भी हो सकते हैं।

- अलग-अलग साइटों पर अपने पासवर्ड न दोहराएं और नियमित रूप से अपने पासवर्ड बदलें।

- यदि आप साइबर अपराध के शिकार हो जाते हैं, तो आपको तुरंत इसकी रिपोर्ट उचित अधिकारियों, जैसे कि पुलिस, अपने बैंक और साइबर विभाग को रिपोर्ट करनी चाहिए। आपको अपने खातों और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाने चाहिए, जैसे अपना पासवर्ड बदलना और अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की निगरानी करना।

- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर तुरंत कम्प्लेन दर्ज करें।

ऑनलाइन फ्रॉड के चलते छोटे दुकानदार क्यूआर कोड हटा रहे हैं। कैश काम करना चाह रहे हैं, जिसके चलते गोरखपुर-बस्ती मंडल में ऑनलाइन पेमेंट करने में कमी आई है। गोरखपुर में 60 प्रतिशत लोग अब कर रहे हैं।

मनोज श्रीवास्तव, लीड बैंक मैनेजर