गोरखपुर (ब्यूरो)। हद तो तब हो गई जब राजेश ने अपनी पत्नी को वीडियो कॉल पर अलग अलग उम्र के व्यक्ति से बात करते हुए पकड़ा। राजेश ने अपनी पत्नी को घर से निकल दिया और बाद में राजेश को पता चला रंजना का कई और लोगों के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स है। इसके बाद राजेश ने रंजना को डाइवोर्स देने की बात की है।

केस-2

आलोक और रीमा की शादी 2023 में हुई। आलोक एक प्राइवेट इंप्लाई है, काम ज्यादा होने के कारण वह घर पर कम समय रहता था। आलोक का कहना है कि उसकी पत्नी रीमा ने सोशल मीडिया के ज़रिए दूसरे लड़कों से वीडियो कॉल पर बात करती थी और न्यूड फ़ोटोज़ भी शेयर करती थी। जब आलोक ने रीमा को पकड़ा तब दोनों में कहासुनी हुई और आलोक ने रीमा को मारकर घर से निकल दिया। रीमा ने तुरंत आलोक और उसके पूरे परिवार पर दहेज उत्पीडऩ का मुकदमा दर्ज करा दिया। आलोक ने परामर्श विभाग की मदद से मामले को निपटाने की कोशिश की लेकिन रीमा काउंसलिंग के लिए भी नहीं आती।

रफ्तार से बदलती सामाजिक व्यवस्था और एकल परिवारों के ट्रेंड ने पति-पत्नी के रिश्तों में भी विवाद बढ़ा दिया है। मामूली मामले में भी लोग पुलिस और कचहरी जाने लगे हैं। एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स के मामले में तो पति-पत्नी के अलग होने का दंश बच्चों को भुगतना पड़ता है। महिला थाने में परिवार परामर्श केंद्र आए दिन ऐसे केसेज आ रहे हैं। काउंसलिंग की जा रही है, जिसमें कुछ परिवार मिल जा रहे हैं तो कुछ मामले अभी पेंडिंग चल रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर बुधवार को महिला थाने पहुंचा तो कुछ दिलचस्प केस सामने आए। हालांकि उनके नाम बदले गए हैं।

रिश्ते टूटने से बच्चों पर पड़ता है असर

कई ऐसे पीडि़त आ रहे हैं जिनके बच्चे छोटे हैं। अलग होने पर पति-पत्नी तो अपनी नई जिंदगी शुरू कर सकते हैं, लेकिन बच्चे माता-पिता के प्यार से वंचित हो जाते हैं। कल थाना परिसर में एक महिला छह साल के बच्चे को लेकर पहुंची थी। वह एक ऐसी बेटी की मां थी, जिसका पति से अलगाव हो गया था। अब वह बच्ची नानी के साथ थी, जिसके भरण-पोषण को लेकर महिला चिंतित थी।

क्या है एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर

जो शादी शुदा होते हुए एक रिश्ते में रहते हुए अपने पार्टनर के अलावा दूसरों के साथ भी संबंध रखते हैं। लोगों को यह रिश्ता शुरू में अच्छा दिखाता है लेकिन इसके दुष्परिणाम जब सामने आते हैं तो सामाजिक छवि भी धूमिल हो जाती है। बच्चों पर इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ा है।

आए दिन हमारे पास दहेज उत्पीडऩ, डोमेस्टिक वायलेंस आदि के लगभग 3-4 केस आते है। हम एफ़आईआर लिखने से पहले सभी को परामर्श केंद्र की सलाह देते हैं जहां उनकी बातों को सुन कर काउंसलर द्वारा विवाद को शांत कर दिया जाए। परामर्श करके लगभग 80 परशेंट को शांत भी कर दिया जाता है और अगर इसके बाद भी पीडि़त संतुष्ट नहीं होता तब एफ़आईआर लिख कर कानूनी कार्रवाई शुरू की जाती है

- राजकुमारी शुक्ला, महिला थाना प्रभारी

हमारा मुख्य उद्देश्य पारिवारिक विवादों को क़ानून की हेल्प और हमारे अनुभव द्वारा सुलझा कर परिवार को टूटने से बचाया जा सके और दहेज उत्पीडऩ,आत्महत्या जैसे अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके। लेकिन सबसे बड़ी समस्या तब होती है जब दोनों पक्ष मौजूद नहीं होते। एक पक्ष को दूसरे पक्ष की गैर मौजूदगी में नहीं समझाया जा सकता है।

-योगेन्द्र गौड़, काउंसलर

महिलाओं व उनसे संबंधित सभी पारिवारिक विवादों का संपूर्ण निस्तारण बातचीत के माध्यम से किया जाता है। जिससे परिवारों के मध्य विवादों का समुचित निस्तारण हो पाए। इस दौरान दंपती को हर तरह से समझाने की कोशिश की जाती है। कई बार बात बन जाती है, लेकिन कई मामलों में दंपती कुछ नहीं सुनते। ऐसे में दोनों को अलग-अलग रहने की सलाह दी जाती है।

-अवनीश चौधरी, काउंसलर