गोरखपुर (ब्यूरो)।महिला उत्पीडऩ के मामले देख रहीं एडवोकेट रूपल तिवारी बताती हैैं कि लगातार लड़कियों के साथ जघन्य अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही हैैं।

केस 1

खोराबार निवासी सुप्रिया (16) को मामा के लड़के से प्रेम हो गया। कुछ दिन बाद दोनों मुंबई चले गए। इस दौरान संबंध बनाने की भी बात सामने आई। परिजनों की शिकायत पर मुंबई से पकड़े गए। जब गोरखपुर आए तो उनकी काउंसलिंग बाल संरक्षण विभाग में हुई।

केस 2

पिपराइच एरिया के नाबालिग युवक को अपनी पटीदारी में युवती से प्यार हो गया। उसके बाद उसे घुमाने के लिए कुशीनगर ले गया। घर वालों ने विरोध किया तो दोनों ने एक दूसरे के बिना नहीं जीने की बात कही। मामला बिगड़ता देख घर वालों ने पुलिस के पास शिकायत की, लेकिन पुलिस ने काउंसलिंग कर उन्हें नया जीवन शुरू करने की सलाह दी।

यह दो केस बानगी भर हैं। दरअसल, गोरखपुर में लगातार बेटियों के साथ छेड़छाड़, रेप व बहला फुसलाकर भगा ले जाने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। साल 2021 की तुलना में 2022 में पाक्सो एक्ट के मामले ज्यादा दर्ज हुए हैं। महिला उत्पीडऩ के मामले देख रहीं एडवोकेट रूपल तिवारी बताती हैैं कि लगातार लड़कियों के साथ जघन्य अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही हैैं। बच्चियों के साथ होने वाले जघन्य अपराध की घटनाएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। सोशल मीडिया पर हुए प्रेम प्रसंग का मामला हो या फिर रिश्ते में ही प्रेम प्रसंग के मामले हो, हर तरह के मामले इन दिनों बाल संरक्षण विभाग में आ रहे हैैं। वहीं इस तरह के मामले की काउंसिलिंग के साथ-साथ पूछताछ में कई चौकाने वाले मामले भी सामने आ रहे हैैं। जो रिश्ते को शर्मसार करने वाले हैैं। जिला प्रोबेशन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, आईपीसी की धारा 363 व 366 के तहत बाल कल्याण समिति के समक्ष सभी लड़कियों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया।

क्या इन केसेज के पीछे की वजह

साइक्लोजिस्ट प्रो। अनुभूति दुबे बताती हैैं कि कहीं न कहीं हमारे समाज में संस्कार की कमी है। पैरेंटिंग सही ढंग से नहीं होने के कारण इस तह के केसेज बढ़ रहे हैैं। जबकि लड़कियों के शिक्षित होने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन जब वह घर से बाहर निकल रही हैैं। तो उन्हें किसी प्रकार की कहीं से कोई रोकटोक या क्वैरी पैरेंट्स की तरफ से नहीं हो रही है। यही वजह है कि सोशल मीडिया के प्रति अट्रैक्शन बढ़ा है। ऐसे में ब्वॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड बनाने का चलन शुरू हो चुका है। उसके बाद वहां से दो तरफा प्रेम होता है, ऐसी बातें काउंसिलिंग में निकल कर आई हैं। फिर उसके बाद आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू होने के बाद थाने और कचहरी तक पहुंच जाते हैैं।

2021 में दर्ज हुए केस

माह - पाक्सो एक्ट - अन्य धाराएं (363 व 366)

जनवरी - 06 - 07

फरवरी - 06 - 10

मार्च - 13 - 10

अप्रैल - 09 - 09

मई - 09 - 11

जून - 18 - 30

जुलाई - 13 - 37

अगस्त - 11 - 28

सितंबर - 15 - 21

अक्टूबर - 11 - 18

नवंबर - 03 - 12

दिसंबर - 04 - 14

कुल - 118 - 207

2022 में दर्ज हुए केस

माह - पाक्सो एक्ट - अन्य धाराएं (363 व 366)

जनवरी - 13 - 17

फरवरी - 08 - 14

मार्च - 16 - 19

अप्रैल - 16 - 19

अप्रैल - 19 - 24

मई - 17 - 21

जून - 19 - 38

जुलाई - 19 - 33

अगस्त - 22 - 24

सितंबर - 19 - 48

अक्टूबर - 7 - 25

नवंबर (1-19) 2022 - 11 - 34

कुल - 186 - 316

क्या है 363 व 366 धारा

यदि कोई व्यक्ति भारत या किसी कानूनी अभिभावक की संरक्षता से किसी का अपहरण करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता योग्य नहीं है।

धारा - 366

जब कोई किसी स्त्री का उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने के आशय से या वह विवश की जाएगी या अवैध संभोग करने के लिए उस स्त्री को विवश करना या बहकाता है तो उस कंडीशन में इस धारा को लगाया जाता है। जिसमें दस वर्ष के लिए सजा होती है साथ ही अर्थदंड भी किया जा जाता है। यह एक गैर जमानती, संज्ञेय अपराध है।

पाक्सो एक्ट मामले पिछले साल की तुलना में ज्यादा आए हैैं। जनवरी से अब तक के केसेज में बढ़ोतरी हुई है। पाक्सो एक्ट व धारा 363 व 366 की धाराओं से जुड़े हुए जो केसेज आते हैैं। उन सभी मामले को बाल कल्याण समिति के समक्ष रखे जाते हैैं। उसके बाद अग्रिम कार्रवाई की जाती है।

सरबजीत सिंह, डीपीओ