गोरखपुर (ब्यूरो)।यही नहीं नगर निगम प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान भी बना लगा। अभी तक लखनऊ व गाजियाबाद ने 150-150 करोड़ के बांड जारी किए हैं।

सेबी में करानी होगी लिस्टिंग

बांड को जारी करने से पहले नगर निगम को सेबी में लिस्टिंग करानी होगी। बांड को बाजार में लाने से पहले नगर निगम को तीन साल की बैलेंस शीट, सपंत्तियों का ब्योरा रेटिंग देने वाली एजेंसियों के सामने रखना होगा। इसी के आधार पर नगर निगम की रेटिंग जारी की जाएगी। रेटिंग पर नगर निगम सेबी में बांड के रूप में खुद को दर्ज करा सकेगा। नगर निगम का म्यूनिसिपल बांड खरीदने वालों को अच्छा खासा ब्याज भी मिलेगा।

क्या होता है बांड

बांड एक तरह का लेटर ऑफ क्रेडिट होता है। इसके तहत आम लोगों या संस्थाओं से पैसे जुटाए जाते हैं। बांड जारी करने वाली संस्था एक निश्चित समय के लिए रकम उधार लेती है और निश्चित रिटर्न के साथ वापस करने की गारंटी देती है। सरकार या बैंकों से ऋण के बजाए बाजार से फंड एकत्र करना बेहतर माना जाता है। बांड में पैसा लगाने वाले को परिपक्वता अवधि पूरा होने पर सालाना ब्याज मिलता है। रिटर्न भी पूरी तरह से आयकर मुक्त होता है।

नगर निगम बनवाएगा कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स

बांड के जरिए आई रकम से नगर निगम मल्टीस्टोरी बिल्ंिडग और कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स बनवाएगा। इसके जरिए नगर निगम को अच्छी खासी आय होगी। इसकी वजह से बांड की वैल्यू बढ़ेगी और निवेश करने वालों को लाभ होगा। नगर निगम का दावा है कि बांड की रकम और भी रेवेन्यू वाले कई सेक्टर में खर्च की जाएगी। इससे नगर निगम नई ऊचाइयों को प्राप्त करेगा। साथ ही निवेशकों को सुनिश्चित लाभ मिलेगा।

2021 में भी हो चुकी है पहल

नगर निगम अगस्त 2021 में 200 करोड़ रुपए का बांड जारी कराने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। इसके लिए एचडीएफसी बैंक की मुंबई से आई टीम ने नगर निगम बोर्ड की बैठक में पार्षद के सामने प्रस्तुति भी दी थी। हालांकि अब बांड की कवायद अब पूरी होने जारी है।

बांड की ज्यादातर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस दिशा में और तेजी से काम शुरू किया जा रहा है। निवेश के जरिए आई रकम को नगर निगम अपनी जमीन पर कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स व मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण कर बिक्री करेगा।

अविनाश सिंह, नगर आयुक्त