गोरखपुर (ब्यूरो)। आरोपियों के पास से पुलिस ने पकड़े गए अभियुक्तों के पास से एक करोड़ 52 हजार 30 रुपए के फर्जी स्टाम्प, गैर न्यायिक स्टाम्प यूपी, टिकट, लैपटॉप, प्रिंटर, प्रिटिंग व स्कैनर मशीन, स्टाम्प व करेंसी नोट छापने वाले विभिन्न कंपनियों की इंक लगभग 100 पैकेट, पेपर कटर मशीन और सादे कागज अधिक मात्रा में बरामद हुआ है। आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

एसआईटी का गठन किया गया

एसएसपी डॉ। गौरव ग्रोवर, एसपी सिटी केके विश्नोई, एएसपी अंशिका वर्मा ने पुलिस लाइंस में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर गिरोह का पर्दाफाश किया। गोरखपुर कोर्ट में इस्तेमाल किए गए फेक स्टाम्प का मामला सामने आने के बाद कैंट थाने में केस दर्ज किया गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी का गठन किया गया। एएसपी अंशिका के नेतृत्व में एसओटी टीम को भेजा गया। कुशीनगर के वेंडर के गिरफ्तार होने के बाद बिहार के सिवान के कमरुद्दीन का नाम सामने आया। कमरुद्दीन अपने ससुर से स्टाम्प में फर्जीवाड़ा कैसे होता है, इसकी जानकारी हासिल की थी। इसमें उसका सपोर्ट नाती साहेबजादे कर रहा था। यह गिरोह बिहार और यूपी में अपना जाल फैला रखा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद पूरा मामला खुलकर सामने आया। आरोपियों ने गोरखपुर के अलावा देवरिया, कुशीनगर के भी वेंडर शामिल हैं।

इनकी हुई गिरफ्तारी

बिहार के सिवान जिले के मोफस्सिल थाना क्षेत्र के नई बस्ती निवासी मोहम्मद कमरुद््दीन, उसका नाती साहेबजादे, गोरखपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र के समय माता मंदिर के पास रहने वाला रामलखन जायसवाल, कुशीनगर के कसया थाना क्षेत्र के जानकीनगर निवासी ऐश मोहम्मद, कुशीनगर के पडऱौना के सिरसिया निवासी रविंद्र दीक्षित, देवरिया के भाटपार थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 22 निवासी संतोष गुप्ता और पडऱौना के बकुलहा निवासी नंदू उर्फ नंदलाल के रूप में हुई है।

19 जनवरी को अरेस्ट हुआ वेंडर

बताते चलें कि जाली स्टाम्प के मामले में गोरखपुर कैंट थाने में 10 जनवरी 2024 को केस दर्ज किया गया था। एसएसपी डॉ। गौरव ग्रोवर ने इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने 19 जनवरी को रवि दत्त मिश्र नाम के एक वेंडर को अरेस्ट किया। जांच में सामने आया कि रवि दत्त ही गोरखपुर और आस-पास के जिलों में जाली स्टाम्प की सप्लाई करता है।

इस तरह से सामने आया मामला

हुमायूंपुर दक्षिणी दुर्गाबाड़ी रोड के राजेश मोहन की शिकायत पर कैंट पुलिस ने 10 जनवरी को पुर्जी स्टाम्प का मामला दर्ज किया था। सहायक महानिरीक्षक निबंधन गोरखपुर के कार्यालय में 28 फरवरी 2023 को ऑनलाइन आवेदन से भारतीय कोर्ट फीस 53 हजार का स्टाम्प रिफंड के लिए राजेश मोहन ने आवेदन किया था। जिसमें पचास हजार के स्टाम्प फर्जी मिले थे। इसी मामले में कैंट थाने में केस दर्ज किया गया।

खुद प्रिंटिंग कर तैयार करते थे फेक स्टाम्प

एसएसपी ने बताया कि अभियुक्त कमरूद्दीन, साहेबजादे और नवाब आरजू उर्फ लालू तीनों मिलकर बिहार के सिवान जिले में अवैध फेक स्टाम्प, टिकट, करेंसी नोट आदि खुद प्रिटिंग कर तैयार करते थे। ये यूपी के गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर सहित अन्य जिलों व बिहार राज्य में स्टाम्प वेंडर्स से संपर्क कर सप्लाई करते थे। इसका प्रयोग न्यायालय में दाखिल वा व लोगों द्वारा कराए जा जा रहे रजिस्ट्री बैनामा में स्टाम्प का वेंडर्स से क्रय करते थे।

कमरुद्दीन जा चुका है जेल

बताया गया कि पूर्व में कमरुद््दीन को वर्ष 1986 व 2014 में उक्त अपराध में अरेस्ट कर बिहार पुलिस जेल भेज चुका है। अभियुक्त नवाब आरजू उर्फ लालू भी मामले में जेल जा चुका है। जो एक साल पहले जमानत पर रिहा हुआ। बिहार पुलिस अभियुक्त नवाब आरजू उर्फ लालू की तलाश कर रही थी। उक्त अभियुत अपना कारोबार गोरखपुर में स्थापित करना चाहते थे।

ऐसे हुआ मामला उजागर

न्यायलय में एक मामला आया। जिसमें कोर्ट फीस के रूप में 53,128 रुपए का स्टाम्प लगाया गया था। मुकदमे में मेरिट के आधार पर कोर्ट फीस वापस नहीं होती। अभियुक्त ने इसका फायदा उठाकर फेक स्टाम्प विक्रय किया था। चूंकि उक्त मामले में सुलह समझौता के आधार पर केस का निस्तारण लोक अदालत में हुआ था। स्टाम्प वापसी के लिए आवेदन कोषागार कार्यालय गोरखपुर में किया गया। उक्त फेक स्टाम्प सदर सहसील गोरखपुर के कोषागार में जारी न होने के कारण उसकी जांच प्रयोगशाला में कराई गई। तो पांच-पांच हजार के दस स्टाम्प कुल 50 हजार पाया गया। इस संबंध में उप निबंधक प्रथम सदर तहसील के प्रार्थना पत्र के आधार पर केस दर्ज किया गया।

यह गिरोह प्रदेश के कई जिलों में फेक स्टाम्प बेचता है, अभी इसकी जांच जारी है। जिला का नाम साफ होने के बाद संबंधित जिले से पत्राचार कर जानकारी भी दी जाएगी। गिरोह में शामिल कई और लोगों के नाम भी सामने आए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।

डॉ। गौरव ग्रोवर, एसएसपी गोरखपुर