गोरखपुर (ब्यूरो)। वाहनों की फिटनेस जांच ऑटोमेटिक मशीनों से होगी। जांच की व्यवस्था आरटीओ की जगह प्राइवेट हाथों में होगी। सेंटर से ही फिटनेस प्रमाणपत्र जारी हो जाएंगे। शासन ने गोरखपुर में तीन ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर खोलने की संस्तुति कर दी है। एक सेंटर पर एक हल्के तथा दूसरा भारी वाहन के लिए लेन बनाए जाएंगे। सेंटर के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गया है। इच्छुक व्यक्ति, कंपनी, एजेंसी और फर्म आवेदन कर सकती है। 19 जनवरी को होने वाली आरटीओ की बैठक में अंतिम मुहर लगाई जा सकती है।

19 को लग सकती है मुहर

नई व्यवस्था से वाहन मालिकों को फिटनेस जांच को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा। वाहन मालिकों को सुविधा शुल्क देने से भी मुक्ति मिलेगी। वाहनों की फिटनेस जांच समय से और पारदर्शिता के साथ होगी। निर्धारित प्लेटफॉर्म पर लगते ही ऑटोमेटिक मशीन वाहनों की टेस्ट पूरी कर लेगी। आरटीओ में वाहनों की फिटनेस जांच मैनुअल होती है। टेस्ट के नाम पर खानापूरी होती है, बदले में वाहन मालिकों को मनमाना टेस्ट शुल्क देना पड़ता है। फिटनेस की अवधि समाप्त होने पर प्रतिदिन 50 रुपये जुर्माना लगता है।

फिटनेस के लिए इन बिंदुओं की होती है जांच

- ब्रेक, हार्न, वाइपर, इंडिकेटर, साफ-सफाई, प्रदूषण, स्टेयरिंग, लाइट, ढांचा (लंबाई व चौड़ाई), वाहन चलने लायक है कि नहीं, शाकर, चेसिस, बाडी, इंजन, स्पीडोमीटर, गेयर, टायर, शीशा, इलेक्ट्रिकल (वायरिंग), डेंट-पेंट, नंबर प्लेट, परवर्ती टेप, टैक्स और बीमा और अन्य।

ऐसे बनता है फिटनेस प्रमाणपत्र

- व्यावसायिक वाहनों के लिए आठ साल तक प्रत्येक दो वर्ष के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र।

- आठ साल बाद अधिकतम 15 वर्ष तक प्रत्येक साल फिटनेस प्रमाणपत्र बनवाना अनिवार्य।

- गैर कामर्शियल वाहनों के लिए 15 साल के लिए एक बार ही बनता है फिटनेस प्रमाणपत्र।

9480 ट्रक

860 टैंकर

13121 फोर व्हीलर

1531 ई-कार्ट

602 सरकारी वाहन

2260 बस

3010 मोटर कैब

65816 कुल वाहनों की संख्या

ऑटोमेटिक टेस्टिंग सेंटर के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इच्छुक व्यक्ति नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं। इसे लेकर 19 जनवरी की बैठक होने हैं। इसके बाद मोहर लगा दी जाएगी। सेंटर खुल जाने से वाहन मालिकों को राहत मिलेगी।

- अरुण कुमार, एआरटीओ, प्रशासन गोरखपुर