गोरखपुर (ब्यूरो)।मैं डिजिटल और मैनुअल एक्सरे प्लेट के संकट से जूझ रहा हूं। एक्सरे कराने के लिए पहुंच रहे मरीजों को सेवा नहीं दे पा रहा हूं। डिमांड के बावजूद गवर्नमेंट की ओर से मुझे बजट रूपी मरहम नहीं मिला। मेरे पास डिजिटल मशीन के साथ तीन मैनुअल मशीनें चालू हालत में हैं, मगर प्लेट के अभाव में सिर्फ एक मशीन से ही सेवा दे पा रहा हूं्। चार साल से यहां खराब ईको मशीन से दिल की जांच नहीं हो रही। अक्सर मैं दवाएं नहीं दे पाता.Ó ये पीड़ा है जिला अस्पताल गोरखपुर की, जिससे अस्पताल प्रशासन और पेशेंट रोज परेशान होते हैं।

जिला अस्पताल में एक्सरे प्लेट नहीं

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम सोमवार को 12 बजे जिला अस्पताल के आरडीसी सेंटर पहुंची। एक्सरे जांच के लिए मरीजों की सेंटर के अंदर और बाहर भीड़ थी। बांसगांव की पूनम देवी ने बताया, चोटिल होने की वजह से बाएं हाथ में काफी दर्द हो रहा था। 19 जनवरी को आर्थो ओपीडी में डॉक्टर से परामर्श लिया तो उन्होंने एक्सरे कराने की सलाह दी। आरडीसी सेंटर में एक्सरे के लिए पहुंची तो काफी भीड़ थी किसी तरह एक्सरे जांच हुई। सोमवार को जब एक्सरे प्लेट लेने के लिए पहुंची तो काउंटर पर तैनात कर्मी ने बताया कि प्लेट खत्म हो गई हैं। इसलिए एक्सरे प्लेट नहीं मिली। ऐसी पीड़ा कई पेशेंट की है।

मुट्ठीभर प्लेट बचीं, सिर्फ मेडिको लीगल में दे रहे

जिला अस्पताल में मैनुअल मशीन से होने वाली एक्सरे जांच के लिए करीब 800 एक्स-रे फिल्म बची हैं। जबकि डेली 115 से 150 एक्सरे प्लेट की खपत है। फिल्म की कमी को देखते हुए अस्पताल प्रशासन अब सिर्फ मेडिकोलीगल केस में ही एक्सरे प्लेट दे रहा है।

डेली होते हैं 150 से अधिक एक्सरे

जिला अस्पताल में डेली करीब दो से ढाई हजार मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। साथ ही एमएलसी केस भी पहुंचते हैं। वहीं, सामान्य मरीजों के डेली करीब 125 से 150 एक्सरे होते हैं।

डेली होती एक्सरे की जांच

150-175 डिजिटल एक्सरे मशीन

125-150 मैनुअल एक्सरे मशीन से जांच

15-18 एमएलसी

घर में पैर फिसलने से नीचे गिर गई। इस बीच बाएं हाथ में चोट आ गई। 19 जनवरी को जिला अस्पताल के आर्थो ओपीडी में डॉक्टर से परामर्श लिया। उन्होंने एक्सरे जांच लिखी। एक्सरे प्लेट लेने के लिए पहुंची थी, लेकिन प्लेट नहीं मिली।

पूनम, बांसगांव

गांव के जवाहर के पैर में एक महीने पहले चोट लगी था। पैर में काफी दर्द हो रहा था। सोमवार को आर्थो ओपीडी में डॉक्टर से परामर्श लिया। उन्होंने एक्सरे जांच लिख दी। सुबह 11 बजे से ही लाइन में लग गया, लेकिन एक्सरे जांच नहीं हो सकी।

वीरेंद्र कुमार, सिकरीगंज

पैर में चोट लगने से मेरे देवर कई दिनों से चल नहीं पा रहे हैं। डॉक्टर के परामर्श पर एक्सरे जांच के लिए पहुंची लेकिन एक मैनुअल एक्सरे मशीन चालू होने के चलते काफी भीड़ लगी है। अब लग रहा है कि समय से जांच नहीं हो पाएगी।

लक्ष्मीना, खोराबार

मेरे बाएं हाथ में गंभीर चोट लगी है। जिला अस्पताल की ओपीडी में डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने एक्सरे जांच लिख दी। काउंटर पर नंबर लगाने के लिए पहुंचा तो हेल्थ कर्मी ने वेटिंग बताकर लौटा दिया।

साधना, भटहट

अस्पताल में प्लेट की कमी है। अस्पताल में एक्सरे प्लेट नहीं है। प्लेट खरीदने के लिए अस्पताल के पास बजट नहीं हैं। शासन से बजट की डिमांड की जा रही है। बजट मिलते ही फिर से एक्सरे फिल्म मिलनी शुरू हो जाएगी।

डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी जिला अस्पताल

चार साल से ईको मशीन बीमार, नहीं हो हार्ट की जांच

हार्ट की धड़कन तेज होने से परेशान महराजगंज निवासी राजमती देवी जिला अस्पताल के हृदय रोग विभाग में इलाज के लिए पहुंचीं तो डॉक्टर ने ईको जांच लिखी। लेकिन मशीन खराब होने से वह जांच नहीं करा पाई। इसके लिए उन्हें निजी सेंटर पर जाना पड़ा। इसी तरह सिकरीगंज निवासी रामेश्वर कुमार ने मजबूरी में बेतियाहाता के निजी सेंटर में 1300 रुपए देकर ईको जांच कराई। जबकि जिला अस्पताल की मशीन ठीक होती तो यहां मात्र 300 रुपए में यह जांच हो जाती है। जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ। राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि नई ईको मशीन की लागत करीब 25 लाख है। बजट के लिए कई बार शासन को पत्र लिखा जा चुका है। मगर बजट नहीं मिलने की वजह से मशीन नहीं खरीदी जा सकी है।