- एक-एक साल बदल-बदल कर चला रहे तीन सीडी

- पुराने प्रोजेक्टर से दिखती लो क्वालिटी की पिक्चर

GORAKHPUR: आपके गोरखपुर से भी कोई कल्पना चावला निकल सकती है, बस जरूरत है तो यहां के खगोलशास्त्र विभाग को अपडेट होने की। सिटी में बने तारामंडल का हाल ही देख लीजिए। यूपी में केवल चार तारामंडल हैं जिनमें एक गोरखपुर में है। यहां पर तारामंडल बने करीब दस साल पूरे हो चुके हैं लेकिन आज तक इसमें कुछ नया अपग्रेडेशन नहीं हुआ है। हाल ये है कि खगोलशास्त्र विभाग के जिम्मेदार मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से शुरुआत में मिलीं तीन सीडी को ही दस साल से बदल-बदल कर दिखा रहे हैं। इस वजह से यहां आने वालों का इंट्रेस्ट भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

अब चल रहा वंडर ऑफ यूनिवर्स

गोरखपुर तारामंडल में इस समय 45 मिनट का शो चलाया जा रहा है। इसमें 23 मिनट वंडर ऑफ यूनिवर्स और करीब 25 मिनट न्यू होराइजन के बारे में दिखाया जाता है। इसमें प्लेनेट्स की हुई खोज के बारे में दिखाया जाता है। साथ ही शो में मार्स ऑर्बिटर मिशन के साथ ही अन्य ग्रहों के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इस समय इकोविजन कंपनी के शो चलाए जा रहे हैं। एक सीडी का रेट करीब 12-15 लाख रुपए तक होता है।

पुराना हुआ प्रोजेक्टर, खराब दिखती पिक्चर क्वालिटी

जिम्मेदारों की मानें तो करीब दस साल से भी पुराने प्रोजेक्टर को बदलने के लिए चार बार कोऑर्डिनेटर को लेटर लिखा गया है। इसके बाद भी आज तक इस बारे में कुछ नहीं किया गया। प्रोजेक्टर अगर चेंज हो जाए तो पिक्चर की क्वालिटी और भी बेहतर हो जाएगी।

सालाना 20-22 लाख का राजस्व

तारामंडल में 300 लोग एक साथ शो देख सकते हैं। इतने लोगों के बैठने के लिए यहां चेयर्स लगाई गई हैं। शो देखने के लिए एक टिकट का रेट 25 रुपए है। वहीं अगर 30 लोगों का ग्रुप है तो उसके लिए एक पर्सन पर केवल दस रुपए का चार्ज वसूला जाता है। क्षेत्रिय अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि करीब 20-22 लाख रुपए सालाना राजस्व तारामंडल से सरकार के खाते में जाता है। एक दिन में करीब एक हजार लोग शो देखने पहुंचते हैं। डिमांड के हिसाब से स्पेशल शो भी चलाए जाते हैं।

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नहीं लग सकी थ्रीडी टेक्नोलॉजी

कई साल से गोरखपुर तारामंडल को थ्रीडी टेक्नोलॉजी से लैस करने का प्रयास चल रहा है। लेकिन ये अभी तक नहीं हो सका है। इसके लिए गोरखपुर से 1.5 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया था। लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। वर्तमान में जो प्रोजेक्टर लगे हैं वो काफी पुरानी टेक्नोलॉजी के हैं जिससे पिक्चर क्लीयर नहीं दिखती है।

फैक्ट फिगर

पर डे शो देखते - 1000 लोग

टिकट का रेट - 25 रुपए

30 लोगों का ग्रुप - पर पर्सन 10 रुपए

एक साल का राजस्व - 20-22 लाख

सीडी का कॉस्ट - 12-15 लाख

वर्जन

खगोलशास्त्र ऐसी विद्या है जिसे एक बार में नहीं समझा जा सकता है। जब तक इसे रिपीट करके दोबारा ना देखा जाए तब तक सारी बातें क्लीयर नहीं हो पाती हैं। प्रोजेक्टर के लिए डिमांड की गई है जिससे पिक्चर क्वालिटी और बेहतर हो सकेगी।

महादेव पांडेय, क्षेत्रीय अधिकारी, तारामंडल