- सीनियर सिटीजन को मदद पहुंचा रही पुलिस

- लॉकडाउन में सुरक्षा के साथ बन रहे सहारा

केस 1

राजघाट एरिया में 80 साल की बुजुर्ग महिला को पांडेयहाता के पास कुत्ते ने काट लिया। वह बैंक से रुपए निकालने गई थीं। इसकी सूचना लोगों ने पुलिस को दी। इंस्पेक्टर राजघाट खुद मौके पर पहुंचे। महिला को अस्पताल ले जाकर उन्हें एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाया। पुलिस के इस प्रयास से महिला को राहत मिल सकी।

केस 2

कैंट एरिया के बांसगांव कॉलोनी निवासी सीनियर सिटीजन का गठिया और पेट का उपचार चल रहा है। उनकी दवा खत्म होने पर उन्होंने पुलिस को सूचना दी। व्हाट्सएप पर दवा की पर्ची मंगाकर जटेपुर चौकी इंचार्ज इत्यानंद पांडेय ने उनको पहुंचाया। इस बात पर वह काफी खुश हुए। उन्होंने पुलिस के काम की सराहना की।

केस 3

तारामंडल एरिया में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला को भूख लगी थी। घर में राशन खत्म होने पर वह रुपए निकालने जा रही थीं। रास्ते में रामगढ़ताल पुलिस चौकी पर पहुंचकर वह लेट गईं। पुलिस कर्मचारियों ने पहले उन्हें भोजन कराया। फिर उन्हं अपनी जीप से बैंक ले गए।

GORAKHPUR: लॉकडाउन की मुश्किल घड़ी में एक दर्जन से अधिक मामलों में सीनियर सिटीजन को पुलिस की मदद मिल चुकी है। मुसीबत में पड़े किसी सीनियर सिटीजन की कॉल आने पर पुलिस तत्काल पहुंच रही। इतना ही नहीं, थानेदार अपने एरिया में रहने वाले बुजुर्ग व्यक्तियों का हालचाल भी पूछ रहे हैं ताकि लॉकडाउन में उनको कोई प्रॉब्लम न हो सके। सवेरा योजना की वजह से पुलिस सीनियर सिटीजन की आसानी से मदद कर पा रही।

पुलिस के पास डाटा, सर्च में होती आसानी

शहर के भीतर रहने वाले तमाम ऐसे सीनियर सिटीजन हैं जिनके बेटे, बहू और फैमिली के दूसरे सदस्य बाहर रहते हैं। नौकरी, बिजनेस और फॉरेन में होने की वजह से सीनियर सिटीजन की देखभाल नहीं हो पाती। ऐसे लोगों की देखभाल के साथ-साथ सुरक्षा की चिंता हरदम रहती है। इसको देखते हुए यूपी पुलिस ने सवेरा योजना की शुरूआत की जिसके तहत सीनियर सिटीजन का डाटा तैयार कराया गया। लॉकडाउन के कारण तमाम बुजुर्ग व्यक्तियों के परिजन दूसरी जगहों पर फंसे हुए हैं। इसलिए उनकी देखभाल की समस्या भी बनी हुई है।

रजिस्टर्ड किए मोबाइल नंबर, मिस्ड कॉल से भी मदद

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सवेरा योजना में सभी सीनियर सिटीजन के बारे में जानकारी जुटाई गई। इसमें उनका नाम, पता, मोबाइल नंबर और लैंड मार्क तक दर्ज किया गया। थाना क्षेत्र के किस बीट में कितने बुजुर्ग अकेले रहते हैं। इसका डाटा तैयार होने पर उसे डायल 112 से जोड़ दिया गया। दरोगाओं और बीट सिपाहियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई कि वह जब अपने क्षेत्र में गश्त पर निकलेंगे तो सीनियर सिटीजन का हालचाल जरूर पूछेंगे। इसलिए थानेदार और दरोगा जब अपने क्षेत्र में निकल रहे तो बुजुर्गो का हालचाल जरूर ले रहे हैं। 112 नंबर से जुड़े होने की वजह से यदि कोई मिस्ड कॉल भी देगा तो इसकी जानकारी पुलिस को मिल जाएगी।

यह हैं फायदे, ऐसे मिल रही मदद

इस योजना में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को सुरक्षा देने की कवायद हुई है।

किसी इमरजेंसी में पुलिस टीम आसानी से पहुंच सके। इसलिए डाटा फीड किया गया है।

सीनियर सिटीजन के बीमार होने, उनके साथ किसी तरह का क्राइम होने पर पुलिस मदद करेगी।

बुजुर्ग को किसी योजना का लाभ चाहिए, उनको पेंशन मिलने में असुविधा होने पर पुलिस सहयोग करेगी।

रजिस्टर्ड बुजुर्ग व्यक्तियों के अन्य विभागों से संबंधित समस्याओं को समाधान के लिए अधिकारी ट्रांसफर करेंगे।

अकेले रहते 14026 सीनियर सिटीजन

गोरखपुर पुलिस ने जो डाटा तैयार किया है, उसके अनुसार करीब 14026 सीनियर सिटीजन अकेले रहते हैं। इतने लोगों के मोबाइल सहित अन्य जानकारी को डायल 112 से जोड़ दिया गया है। यह प्रक्रिया लगातार चल रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हाल के दिनों में जहां से भी मदद के लिए कॉल आई है। उनके घर पहुंचकर पुलिस ने सहयोग किया है।

वर्जन

डायल 112 में रजिस्टर्ड सीनियर सिटीजन के साथ-साथ अन्य बुजुर्ग व्यक्तियों का ख्याल पुलिस रख रही है। पीआरवी और थानों की पुलिस टीम को इस बात के निर्देश भी दिए गए हैं। सीयूजी नंबर और डायल 112 पर सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंच जाती है। लोगों को राशन, दवा और उपचार की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जा रही है।

डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी