गोरखपुर (ब्यूरो).पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रकरण की जांच करके कार्रवाई की जाती है। पुलिस कर्मचारियों पर लगे आरोपों की जांच सीनियर अफसर करते हैं।

केस एक: पति की आंख फूटी, कार्रवाई नहीं कर रही पुलिस

रामगढ़ताल एरिया के मिर्जापुर, रुस्तमपुर निवासी राकेश सिंह की पत्नी अनीता सिंह ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि प्रॉपर्टी हड़पने के लिए उनके पति को मनबढ़ों ने जमकर पीटा। इससे राकेश सिंह की एक आंख खराब हो गई। इस मामले की शिकायत पर एनसीआर दर्ज हुआ। महिला का आरोप है कि पुलिस आरोपितों की मदद कर रही है। सोमवार को भी महिला ने पुलिस अधिकारियों को पत्र देकर कार्रवाई की गुहार लगाई। महिला का कहना है कि दरोगा उनको धमकी दे रहे हैं। इस मामले की जांच भी एसएचओ को सौंपी गई है।

केस दो: मनबढ़ कर रहे बेघर, शिकायत नहीं कोई कार्रवाई

रामगढ़ताल एरिया के चिलमापुर बगहा बाबा रोड निवासी विष्णु, मोनिका शर्मा, विनीता शर्मा और नीलिमा ने पुलिस पर मदद न करने का आरोप लगाया है। सीनियर अफसरों को पत्र भेजकर पीडि़तों ने कहा है कि दबंगों ने उनको घर से बाहर कर दिया है। वह पुश्तैनी मकान में हिस्सा नहीं दे रहे हैं। इसकी शिकायत करने पर पुलिस ने मदद नहीं की। इस मामले की जांच भी एसएचओ रामगढ़ताल को सौंपी गई है।

केस तीन : रिश्तेदारी में गए युवक ने गायब कर दी बाइक

चौरीचौरा एरिया के टेल्हनापार निवासी सोमनाथ ने आरोप लगाया कि उनकी बाइक मांगकर एक व्यक्ति रिश्तेदारी में गया। रिश्तेदारी से लौटने के बाद वह बाइक देने से इंकार करने लगा। सोमनाथ का कहना है कि आरोपित ने बाइक गायब कर दी है। उलाहना देने पर उनके साथ मारपीट गई। इस मामले में चौरीचौरा पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। शिकायत पर चौरीचौरा पुलिस को ही कार्रवाई का निर्देश दिया गया।

ऐसे मामले रोजाना सामने आते हैं जिनमें थानेदार कार्रवाई से इंकार करते हैं। हर मामले में कोई न कोई हवाला देकर एसएचओ-एसओ केस टाल देते हैं। इस वजह से पीडि़तों को चक्कर लगाना पड़ रहा है। पीडि़त जब सीनियर अफसरों के पास पहुंच रहे हैं तो थानेदार और चौकी प्रभारियों पर कार्रवाई न करने का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में मामले की जांच दोबारा एसएचओ को ही लौटा दी जा रही है। बावजूद इसके कई बार कार्रवाई नहीं हो रही है। पीडि़त थाने से लेकर सीएम के जनता दर्शन तक चक्कर काटते रहते हैं।

यह होनी चाहिए व्यवस्था

- एसएचओ-एसओ पर कार्रवाई न करने के आरोप में सीनियर अफसरों से जांच कराई जानी चाहिए।

- विवेचना में किसी तरह की लापरवाही या आरोपित के फेवर की बात होने पर दूसरे थाने को मामला सौंपा जाए।

- आरोपों से घिरे हुए इंस्पेक्टर और दरोगाओं को थाना-चौकी जिम्मेदारी देने के बजाय उनको विभिन्न विभागों में तैनात किया जाए।

- ऐसे दरोगा और कांस्टेबल जिनकी बार-बार शिकायत आती है। उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेना चाहिए।

पब्लिक के सामने आ रही समस्या

- थानों पर बात न सुने, कार्रवाई न होने की शिकायत लेकर पीडि़त सीनियर अफसरों से मिलते हैं।

- ऐसे मामलों में सीनियर अफसर काल करके जानकारी लेते हैं। लेकिन जांच, कार्रवाई के लिए उसी जगह पर पत्र भेज देते हैं।

- थाने पर लौटकर जाने पर पीडि़त को धमकाया जाता है। कई बार कहा जाता है कि शिकायत कहीं करोगे। जांच हमारे पास ही आएगी।

- सोशल मीडिया पर आने वाली शिकायतों में जांच करके कार्रवाई का निर्देश दिया जाता है। लेकिन उसका रिजल्ट सामने नहीं आता।