गोरखपुर (ब्यूरो).पंडित अवधेश मिश्रा के अनुसार, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व होता है। ब्रज क्षेत्र से आरंभ हुआ यह पर्व संपूर्ण उत्तर भारत में मनाया जाता है। कृष्ण भगवान के अवतार के पूर्व इस दिन इंद्र देवता की पूजा की जाती थी, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू करवाई और उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह पर्वत के रूप में विराजमान हैं। गोवर्धन पूजा के साथ-साथ इस दिन मंदिरों व घरों में अन्नकूट महोत्सव होता है। खरीफ फसल के लिए नए अन्न और सब्जियों को पहली बार इस मौसम में अन्नकूट के रूप में बनाने का प्रचलन है। अन्नकूट बनाकर भगवान विष्णु का भोग लगाया जाता है।
भाई दूज व चित्रगुप्त पूजा
पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार, कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यम द्वितीया, भैया दूज और चित्रगुप्त पूजा मनाई जाएगी। द्वितीया को यमी ने अपने भाई यमराज को अपने घर बुलाकर भोजन कराया था। इसलिए इस दिन भाई अपने बहन के घर जाता है और उसके हाथ का भोजन करता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तिष्क पर तिलक करती हैं और भाई उसे उपहार प्रदान करता है। बहन अपने भाई के दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती है। इस दिन यमलोक के लिपिक का कार्य करने वाले देवता चित्रगुप्त का पूजन, कलम- दवात, पंजिका का भी पूजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त का अवतरण इसी दिन हुआ था।