द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : अपराध रोकना किसी के बस में हो न हो, लेकिन सावधानी बरतकर अपराध की संभावना तो कम की ही जा सकती है। दिल्ली में एक प्राइवेट टैक्सी में हुई रेप जैसी घटनाएं हमारे शहर में न हो इसलिए आई नेक्स्ट ने अनसेफ ग‌र्ल्स के नाम से एक मुहिम चलाई। आई नेक्स्ट ने ऐसे मुद्दे उठाए जिससे लोग अवेयर हों। इसी सीरीज में सैटर्डे को आई नेक्स्ट ने एक ग्रुप डिस्कशन ऑर्गनाइज किया। सोसाइटी के हर वर्ग से जुड़े लोगों ने करीब तीन घंटे तक विचारों का मंथन किया। पैनल में पुलिस विभाग, नगर निगम, एजुकेशन , प्रोफेसर, टीचर, आटो टैम्पो एसोसिएशन के साथ-साथ कॉलेज गोइंग ग‌र्ल्स भी शामिल थी। इस डिस्कशन में ग‌र्ल्स सेफ्टी के लिए कई सॉल्यूशन सामने आए। जिन्हें इंप्लीमेंट कर सिटी में ईवटीजिंग की घटनाओं को कम किया जा सकता है।

प्राइवेट बसों पर कोई कंट्रोल नहीं है। परिवहन विभाग में छोटे-बड़े माफिया सक्रिय हैं। लाइसेंस जारी करने वाले अथॉरिटी बाकायदा चेकिंग करने के बाद लाइसेंस जारी करे। सिटी में जिला स्तरीय परिवहन कमेटी भी निष्क्रिय है। हमारी ओर से रोडवेज बस स्टैण्ड पर सीसी कैमरे लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा 9415049606 नंबर पर व्हाट्सअप कर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

एसके राय, रीजनल मैनेजर, रोडवेज

स्कूल-कॉलेज के बाहर ईवटीजिंग की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस के साथ-साथ पैरेंट्स को एक्टिव होने की जरूरत है। आटो-टैम्पो के ड्राइवर्स के गले में आईकार्ड होना चाहिए। ग‌र्ल्स में विश्वास जगाने के लिए हर स्कूल को वूमेन सेफ्टी को लेकर अभियान चलाना चाहिए। हेल्पलाइन नंबर 1090 का प्रचार प्रसार करना चाहिए। उन्हें जानकारी दी जाए ताकि वह अपनी समस्याएं मजबूत ढंग से रखें जिससे आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जा सके।

प्रेम चन्द्र श्रीवास्तव, प्रेसिडेंट, गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन

ईवटीजिंग रोकने के लिए महिला फोर्स के साथ पुरूष कांस्टेबल्स को भी हाट स्पॉट पर तैनात किया जाएगा। थाने के भरोसे न रहकर जिला स्तर पर एक्शन कमेटी निर्धारित की जाएगी। किसी भी घटना का फालोअप बेहद जरूरी है। किसी भी मामले में अगर थाना स्तर पर तत्काल एफआईआर न दर्ज हो तो एविडेंस के तौर पर पीडि़ता तत्काल वहां की फोटो खींचकर सीनियर अफसर से कंप्लेंट करें। महिलाएं बेहिचक होकर 1090 पर कंप्लेंट करें, उन्हें लीगल प्रोटेक्शन जरूर मिलेगा। इसके अलावा पुलिस के जरूरी नंबर भी रखें। कम्युनिटी पुलिसिंग के जरिए फीमेल और बच्चों के मन से डर निकालने की कोशिश की जाएगी।

अतुल सोनकर, सीओ गोरखनाथ

दिल्ली जैसी घटनाओं को रोकने के लिए संबंधित डिपार्टमेंट को बिना वेरिफिकेशन ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं करने चाहिए। पुलिस और आरटीओ डिपार्टमेंट औचक चेकिंग कर लाइसेंस का वेरिफिकेशन करें। ऑटो-टैम्पो पर पुलिस के साथ हेल्पलाइन का नंबर साफ और क्लियर लिखा हो चाहिए। ग‌र्ल्स और महिलाएं खुद भी सतर्क रहें। रोडवेज या प्राइवेट बस में किसी तरह की कोई गलत हरकत होने पर फोटो खींच कर व्हाटसअप पर तत्काल शिकायत करें। साथ ही कंट्रोल रूम को इसकी सूचना दे ताकि दोषियों पर तत्काल कार्रवाई हो सके।

महेश चन्द्र श्रीवास्तव, एआरएम रोडवेज

ईवटीजिंग का विरोध करने के लिए ग‌र्ल्स को घर से सपोर्ट मिलना जरूरी है। अगर ग‌र्ल्स घर में ईवटीजिंग की कंप्लेंट करती हैं तो उल्टे उन्हें ही जिम्मेदार ठहरा कर घर से निकलना बंद कर दिया जाता है। इससे वह टूट जाती हैं। ईवटीजिंग रोकने के लिए लड़कियों से ज्यादा लड़कों को अवेयर किया जाना चाहिए कि अगर आप पकड़े जाते है तो आप का सामाजिक और व्यक्तिगत नुकसान होगा। इस तरह की घटनाएं ज्यादातर बेरोजगार यूथ कर रहे हैं। ऐसे यूथ को कैंप लगाकर अवेयर किया जाए।

डॉ। अनुभूति दुबे, साइकोलॉजिस्ट, डीडीयू

फिजिकल एजुकेशन के साथ वूमेन सेफ्टी एजुकेशन भी शुरू की जानी चाहिए। ऐसे कोर्स और ट्रेनिंग को एजुकेशन का आवश्यक पार्ट बना देना चाहिए। वूमेन सेफ्टी के लिए 1090 का प्रचार-प्रसार तो बहुत किया जा रहा है, लेकिन शिकायत के बाद प्रशासन सख्त कार्रवाई नहीं करता। कार्रवाई में देरी नहीं होनी चाहिए। ऐसे आरोपियों को जमानत पर रिहा नहीं करना चाहिए, उनके केस की सुनवाई की प्रक्रिया में विलम्ब न किया जाए तभी ऐसी समस्या से निदान मिल सकेगा।

डॉ.कीर्ति पांडेय, समाज शास्त्र विभाग डीडीयू

स्कूल की छुट्टी के समय अगर रैंडम चेकिंग की जाए तो कई ऐसे बच्चे मिलेंगे जो स्कूल ड्रापआउट हैं और छेड़छाड़ करते हैं। स्कूल में एजुकेशन के साथ उन्हें सोशल एटिकेट्स का पाठ पढ़ाना आवश्यक हो गया है। रोड पर ऐसी हरकत करने वाले कोई बाहरी नहीं, बल्कि हमारे समाज के ही बच्चे हैं। परिवार उनकी इच्छाएं पूरी करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है, जबकि बच्चे बाहर क्या करते है, इसके बारे में पैरेंट्स कभी नहीं सोचते हैं। पुलिस एक बार सख्ती दिखाए तो ऐसी वारदातों पर बहुत हद तक अंकुश लग सकता हैं।

आरपी शाही, डायरेक्टर, आरपीएम स्कूल

ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई जाए जिसमें प्रशासन के उच्च अफसर, पुलिस, आरटीओ और नगर निगम के एक्सप‌र्ट्स शामिल हों। कमेटी की तरह से ड्राइवर्स को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाए। उन्हें मोटर व्हीकल एक्ट के साथ सेफ ड्राइविंग और सोशल एजुकेशन के बारे में भी बताया जाए। समय-समय पर बनाए गए नियम कायदों की मॉनिटरिंग की जाए। टेम्पो और ऑटो के पीछे एसोसिएशन की तरफ से वूमेंस हेल्प लाइन नंबर 1090 अंकित कराया जाएगा। इसके अलावा टेम्पो के पीछे पुलिस अधिकारियों का भी नंबर लिखवाया जाएगा।

जीके द्विवेदी, अध्यक्ष, ऑटो-टैम्पो एसोसिएशन

टीचर्स अपने स्टूडेंट्स को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करें। ग‌र्ल्स जब तक बोल्ड नहीं होंगी, तब तक शोहदों की हिम्मत कम नहीं होगी। 90 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जिसमें एक बार ग‌र्ल्स ने पलटवार कर दिया तो शोहदे भी अपने पैर खींच लेते हैं। ग‌र्ल्स को अपने अधिकारों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर वह अपने फैमिली या पैरेंट्स से भी ऐसी प्रॉब्लम शेयर करें ताकि कानूनी कार्रवाई कर शोहदों के खिलाफ ठोस कदम उठाया जा सके। चुप रहने से ऐसी घटनाओं को बढ़ावा मिलता हैं।

अंजली श्रीवास्तव, टीचर, लिटिल फ्लावर स्कूल धर्मपुर

आजकल छोटे-छोटे अपराधों में पढ़े-लिखे परिवारों के बच्चे शामिल हो रहे हैं। बच्चों में समाज का डर बिठाने की जरूरत है ताकि वे कुछ गलत करने से पहले परिणाम के बारे में जरूर सोचें। सीसीटीवी कैमरे लगाने से ईवटीजिंग नहीं रोकी जा सकती। ईवटीजिंग रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं, लेकिन उन्हें सख्ती से लागू नहीं किया जा रहा है। हमारे देश में सख्त कानून को और सख्ती से लागू करने की जरूरत है।

जिआउल इस्लाम, पूर्व डिप्टी मेयर

ऐसी सोच वाले व्यक्ति अविकसित मानसिकता के होते है जो अपनी बेटी-बहन को तो इज्जत से देखते हैं और दूसरों की बेटी पर बुरी नजर डालते हैं। सामाजिक स्तर पर सबसे पहले बच्चों को एजुकेशन देने की जरूरत है। आज सोच बदल रही है, परिवर्तन से विकास तो हो रहा है, लेकिन संबंधों के दौर का विकास नहीं हो रहा। परिवार के सदस्य भी ध्यान नहीं देते हैं। हम नगर निगम की कार्रवाई में लखनऊ की 'सखी बस' की तर्ज पर 'सखी टैम्पो' चलाने का प्रस्ताव रखेंगे। कार्रवाई में पूरे शहर में सीसी कैमरे लगाने का भी प्रस्ताव रखा गया है, उम्मीद है कि जल्द से जल्द यह काम शुरू भी हो जाएगा।

रणंजय सिंह जुगनू, पार्षद

ऑटो-टैम्पो एसोसिएशन हर स्टैण्ड पर बोर्ड लगाएगा जिसपर एसोसिएशन के पदाधिकारी का नंबर लिखा होगा। इन नंबरों पर ग‌र्ल्स शिकायत कर सकेंगी। वालंटियर सिस्टम शुरू कर ऑटो ड्राइवर्स की पूरी डिटेल रखी जाएगी। आटो और टैम्पो के पीछे गाड़ी के मालिक के साथ-साथ ड्राइवर का मोबाइल नंबर भी दर्ज कराया जाएगा। कोशिश की जाएगी कि ड्राइवर वर्दी के साथ अपना आईकार्ड भी लगाकर चले ताकि उनकी पहचान सुनिश्चित की जा सके।

शत्रुघ्न मिश्रा, महामंत्री, आटो टैम्पो एसोसिएशन

कॉलेज गोइंग ग‌र्ल्स हो या वर्किग लेडीज, हर किसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस के साथ सोसाइटी की भी है। सुरक्षा के लिए चौराहों पर तो पुलिस तैनात है, लेकिन क्या ऑफिस से निकल कर अपनी गली में जाने वाली ग‌र्ल्स पर हमले नहीं हो रहे। इन लोगों की मानसिकता बदलने की जरूरत हैं। पुलिस के साथ-साथ स्कूल कॉलेज अगर इन्हें सुधारने की जिम्मेदारी उठाते हैं तो दिल्ली जैसी घटनाओं को रोका जा सकता है। हम केवल पुलिस पर तोहमत थोप कर फ्री नहीं हो सकते, पुलिस के साथ हमें भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

पूर्णेन्दु शुक्ला, प्रोफेशनल

हम जब स्कूल, कॉलेज जाने के लिए टैम्पो में बैठते हैं तो सबसे ज्यादा प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती हैं। कई बार साथ में बैठे लोग ऐसी हरकतें करते हैं जिससे हमें परेशानी होती है.अगर बोल्ड होकर हम विरोध भी करते है तो हमेशा डर लगता है कि कहीं वह शख्स हमसें बाद में बदला तो नहीं लेगा। इस डर के चलते कई बार चुप रहना पड़ता है। अगर ग‌र्ल्स के लिए कोई स्पेशल टैम्पो या ऑटो सुविधा सिटी में चालू हो जाए तो ग‌र्ल्स को इस प्रॉब्लम से निजात मिल सकती है।

भारती, स्टूडेंट

ईवटीजिंग की घटनाएं सबसे ज्यादा स्कूल-कॉलेज गोइंग ग‌र्ल्स को बर्दाश्त करनी पड़ती हैं। घर से निकलने से लेकर आटो या टैम्पो में बैठने पर भी फब्तियां कसी जाती हैं। कंप्लेंट करने के बाद भी हर जगह मैनेज गेम चलता है। अगर पुलिस मौके पर एक्शन ले तो शायद इस पर अंकुश तो नहीं, लेकिन अल्पविराम लगाया जा सकता है। चार साल पहले टैम्पो में रूट नंबर लिखा होता था, लेकिन अब नहीं। अगर रूट नंबर लिखा हो तो शायद हम उसी रूट के टैम्पो में स्कूल कॉलेज जाने के लिए बैठे। इससे हमें न तो भटकना पड़ेगा और न ही अपरिचित टैम्पो में बैठने की जरूरत पड़ेगी। इससे हमारी कई प्रॉब्लम सॉल्व हो सकती हैं।

श्वेता गुप्ता, स्टूडेंट

क्यों रखा गया ग्रुप डिस्कशन

दिल्ली में हुए कैब रेप कांड के बाद गोरखपुर में ऐसी वारदात को होने से पहले ही रोका जाए, इसके लिए आई नेक्स्ट ने 'अनसेफ ग‌र्ल्स' कैंपेन चलाया। कैंपेन के पहले दिन हमने सिटी के टैम्पो और बसों की स्थिति दिखाई जिसमें सिक्योरिटी तार-तार नजर आई। दूसरे दिन स्कूल-कॉलेज की छुट्टी के दौरान होने वाली परेशानियों पर फोकस रहा। तीसरे दिन हमने नाइट पुलिसिंग का रिएलिटी चेक किया। जिसमें रात के वक्त होने वाली घटनाओं को लेकर पुलिस की सक्रियता सवालों के घेरे में रही। सैटर्डे को समाज के जिम्मेदार लोगों को एक मंच पर लाकर उनसे ही जाना कि किस तरह ये घटनाएं रोकी जा सकती हैं।