सोचा नहीं था सपना होगा सच

यूपी के भदोही के रहने वाले भूपेंद्र कुमार जायसवाल की इकोनॉमी कंडीशन काफी खराब थी। अपनी फैमिली को दो वक्त की रोटी खिलाने के लिए वे जॉब की तलाश में मुंबई चले गए। वहां पहले से सेटल अपने भाई के साथ रह कर भूपेंद्र ने एक छोटी सी दुकान खोली और मिठाई बेचना स्टार्ट किया। भूपेंद्र का छोटा बेटा यशस्वी क्रिकेट का दीवाना है। फैमिली की कंडीशन देख यशस्वी ने अपने इस सपने को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया, मगर अपने से दूर भी नहीं किया। क्रिकेट की दीवानगी इस कदर थी कि वह मैच देखने मुंबई के आजाद ग्राउंड पहुंच जाता था। क्रिकेट सीखने के लिए यशस्वी कई माह तक ग्राउंड के बाहर बने टेंप्ररी टेंट में माली के साथ रहता रहा।

फरिश्ता बन कर आया

एक दिन ज्वाला स्पोट्र्स फाउंडेशन के डायरेक्टर ज्वाला सिंह एक जरूरी काम से आजाद ग्राउंड गए। वहां उन्होंने यशस्वी की बैटिंग देखी। उस दिन के बाद यशस्वी आजाद ग्राउंड के टेंट नहीं गया। ज्वाला यशस्वी को अपने साथ ले आए और अपने घर पर रखने के साथ ट्रेनिंग देनी शुरू की। यशस्वी का टैलेंट पहले मैच में ही देखने को मिला। बीनू मांकड़ क्रिकेट टूर्नामेंट के पहले मैच में ही यशस्वी ने नाटआउट सेंचुरी ठोंकने के साथ दो विकेट लिए। फिर क्या था यशस्वी की बैटिंग और बॉलिंग के कायल लोगों की संख्या बढऩे लगी। मुंबई में स्कूल लेवल पर होने वाले 4 बड़े टूर्नामेंट में यशस्वी ने पार्टिसिपेट किया और रन बनाने के साथ विकेट भी दनादन चटकाए। 2014 के जनवरी फस्र्ट वीक में हुए जाइल्स शील्ड इलाइट इंटर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट के तीन मैच खेले गए, जिसमें यशस्वी का शानदार प्रदर्शन रहा। यशस्वी ने पहले मैच में 47 रन और 5 विकेट, दूसरे मैच में नाटआउट 319 रन और 13 विकेट, तीसरे मैच में नाटआउट 202 रन और 12 विकेट लिए हैं।

सिटी के छोरे ने निखारा टैलेंट

ज्वाला सिंह को यशस्वी फरिश्ता मानता है। यह फरिश्ता मुंबई का नहीं बल्कि गोरखपुर का है। सिटी के रुस्तमपुर में रहने वाले ज्वाला सिंह मुंबई की ओर से अंडर-16 और अंडर-19 खेल चुके हैं। नए टैलेंट को निखारने के लिए ज्वाला अब मुंबई में सबसे बड़ा लीग करा रहे हैं, जिसका इस साल सीजन-4 है, जिसमें इंडियन टीम के एक्स मेंबर, आईपीएल के खिलाडिय़ों के साथ न्यू टैलेंट को साथ-साथ खेलने का मौका मिलता है। ज्वाला ने बताया कि यशस्वी जल्द मुंबई की टीम में खेलेगा और वह इंडिया टीम का फ्यूचर है।