गोरखपुर (ब्यूरो)। कुर्बानी अल्लाह के लिए होती है। दिखावा अल्लाह को पसंद नहीं है। कुर्बानी के समय वीडियो व फोटो बिल्कुल न बनाया जाए और न ही सोशल मीडिया पर डाला जाए। यह मेहमान नवाजी का त्योहार है भाईचारे को आम किया जाए। नायब काजी मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि हेल्पलाइन नंबरों पर कुर्बानी किस पर वाजिब है, मालिके निसाब कौन लोग हैं, कुर्बानी का जानवर कैसा होना चाहिए, कुर्बानी के गोश्त की तकसीम कैसे करें, बड़े जानवर की कुर्बानी में कितने लोग हिस्सा ले सकते हैं, कुर्बानी की खाल कहां देनी है, ईद-उल-अजहा में हमें क्या-क्या करना चाहिए, नमाज का तरीका, तकबीरे तशरीक कब पढऩी है आदि की जानकारियां बस एक फोन कॉल पर घर बैठे मिलेंगी।

ईद-उल-अजहा हेल्पलाइन नंबर

- मुफ्ती खुर्शीद अहमद - 9935892392

- मुफ्ती अख्तर हुसैन - 9956971232

- मुफ्ती मो। अजहर शम्सी - 8604887862 / 9598348521

- मुफ्ती मेराज अहमद - 73880 95737

- मुफ्ती मुनव्वर रजा - 82493 33347

- मौलाना जहांगीर अहमद - 8896678117

- मौलाना मोहम्मद अहमद - 8563077292

- हाफिज रहमत अली - 77549 59739

मुसलमानों का हर त्योहार अमनो शांति का दर्स देता है : महजबीन

-महिलाओं की महफिल

जामिया कादरिया तजवीदुल कुरआन लिल बनात अलहदादपुर में शनिवार को महिलाओं की दीनी महफिल हुई। जिसमें हज, उमरा, कुर्बानी की फजीलत और मां का किरदार बयान किया गया। आलिमा महजबीन खान सुल्तानी ने कहा कि मुसलमानों का हर त्योहार अमनो शांति का दर्स देता है। लिहाजा इसका ख्याल रखें कि हमारे किसी काम से किसी को भी जर्रा बराबर भी तकलीफ न होने पाए।

हर साल कुर्बानी वाजिब

कुछ लोग यह ख्याल करते हैं कि अपनी तरफ से जिदंगी में सिर्फ एक बार कुर्बानी वाजिब है यह शरअन गलत है। यह बेबुनियाद है, इसलिए कि मालिके निसाब पर हर साल अपनी तरफ से कुर्बानी वाजिब है। कुर्बानी के जानवर की उम्र अहम होती है। ऊंट पांच साल, भैंस दो साल, बकरी व खसी एक साल का होना चाहिए। इससे कम उम्र होने की सूरत में कुर्बानी जायज नहीं, ज्यादा हो तो अफजल है। अलबत्ता दुम्बा या भेड़ छह माह का जो इतना बड़ा हो की देखने में साल भर का मालूम हेाता हो उसकी कुर्बानी जायज है। इस मौके पर नाजमीन फातिमा, नूर इरम, तरन्नुम रोजी, गौसिया अंजुम, गजाला सुल्तानी सहित मदरसे की छात्राएं व महिलाओं ने शिरकत की।