- सिटी के कई एरियाज से आ रहे कॉल, होम आइसोलेशन वाले मरोजों के घूमने की आ रही शिकायत

- मोहल्ले के लोगों के शिकायत करने पर शुरू हो गया झगड़ा

- शहर से गांव तक हर जगह शुरू हो गई होम आइसोलेशन को प्रक्रिया

GORAKHPUR: हेलो कंट्रोल रूम से बोल रहे हैं मैं पिपरौली ब्लॉक से बोल रहा हूं। मेरे मोहल्ले में कोरोना मरीज है जिसे होम आइसोलेशन के तहत रखा गया है। लेकिन वह घर में नहीं रहता है। बार-बार मोहल्ले के चौराहे पर चला जाता है। सुबह की जलेबी और चना खाता है। यह कंप्लेन है पिपरौली ब्लॉक के भकरा गांव के डीवी दुबे की जो उन्होंने सीएमओ ऑफिस स्थित कोविड-19 कंट्रोल रूम में दर्ज कराई है। सिर्फ डीवी दुबे ही नहीं सिटी से लेकर रूरल एरिया तक से तमाम लोग होम आइसोलेशन में रखे गए कोरोना पेशेंट्स के बारे में ऐसी कंप्लेंट्स दर्ज करा रहे हैं।

होम आइसोलेशन का बना दे रहे मजाक

पिपरौली ब्लाक के भकरा गांव निवासी डीवी दुबे का कहना है कि होम आइसोलेशन के बावजूद भी उनके मोहल्ले में रहने वाला कोरोना मरीज बाहर घूमता रहता है। टोकने पर कई बार पड़ोसियों से झगड़ा कर लेता है। कमोवेश कौड़ीराम के मेहरौली गांव के चंदन निषाद के साथ भी यही समस्या है। उनके गांव में भी होम आइसोलेशन में रखा गया कोरोना पॉजिटिव मरीज बाहर घूमता रहता है। जबकि सीएमओ की तरफ से निर्देश जारी है कि होम आइसोलेशन वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों को सख्ती से नियमों का पालन करना है। अगर वे नहीं मानते हैं तो उन्हें आइसोलेशन वार्ड में एडमिट करा दिया जाएगा।

भ्रांतियों से रहें दूर

वहीं एडिशनल सीएमओ डॉ। नंद कुमार ने बताया कि अगर कोरोना से लड़ना है तो सबसे पहले समाज में फैले भय और भ्रांतियों से लड़ना होगा। यह भी एक किस्म का फ्लू है जो उनके लिए ही ज्यादा घातक है, जिन्हें ब्लड प्रेशर, शुगर, सांस संबंधी बीमारियां, कैंसर आदि समस्या है। जिनकी इम्युनिटी ठीक है, वह इस बीमारी से लड़कर स्वस्थ हो रहे हैं। इसके बावजूद समाज में कई प्रकार की भ्रांतियां फैलने से लोग अपने पड़ोसियों और परिजनों के प्रति व्यवहार बदल रहे हैं जो अनुचित है। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां परिजन कोरोना संक्रमित के डेडबॉडी का अंतिम संस्कार करने तक को तैयार नहीं हुए। लोगों में भय है कि कोरोना संक्रमित के शव से भी संक्रमण फैल सकता है, लेकिन सावधानी रखी जाए तो ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। सैनिटाइज कर सौंपे गए डेडबॉडी के प्रति व्यवहार बदलना होगा। डॉ। नंद कुमार ने गोरखपुर में पहले कोरोना संक्रमित के मौत के बाद डेडबॉडी का दाह संस्कार करवाया था। वह कोरोना वार्ड में पीपीई किट पहन कर निरीक्षण करते हैं। कोरोना मरीजों के परिवहन में एंबुलेंस सेवा की व्यवस्था देखते हैं और मरीजों के परिवहन से जुड़े कर्मचारियों के संपर्क में भी रहते हैं। कोविड अस्पतालों में लॉजिस्टिक का इंतजाम भी देखते हैं। यानी कोरोना संक्रमितों के संपर्क में सावधानी के साथ इन्हें कई बार प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर आना पड़ता है। लेकिन जागरूकता का असर है कि कोरोना से प्रति उनके मन में कोई भय नहीं है।

भय का था माहौल

उन्होंने बताया, 'जब कैंपियरगंज के पहले कोरोना संक्रमित की इसी साल मई महीने में मौत हुई तो समाज में डर का माहौल था। मृतक के परिजन भी घर चले गए। प्रशासन ने दाह-संस्कार की जिम्मेदारी उन्हें दी। उन्हें मालूम था कि डेडबॉडी से संक्रमण नहीं हो सकता। इसलिए बेहिचक उन्होंने यह जिम्मेदारी स्वीकार की। परिजन भी रात तक वापस आ गए। रात में डेडबॉडी का दाह-संस्कार किया। पीपीई किट की भी वहां आवश्यकता नहीं थी। हां, भारत सरकार द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों का पालन अवश्य किया'। यह बात समुदाय को भी समझनी होगी। उन्होंने कहा,'इतनी सावधानी अवश्य रखें कि डेडबॉडी टच न करें। दो गज की दूरी रखें। लोगों को चाहिए कि वह डेडबॉडी से घबराएं नहीं, बल्कि उसका सम्मान करें और उसकी मर्यादा का ख्याल रखें। सभी लोगों को मिल कर कोरोना संक्रमित, उसके परिजन और कोरोना संक्रमित के डेडबॉडी के प्रति सामाजिक भेदभाव का बहिष्कार करना होगा। संक्रमितों की खोज और इलाज में जुटे चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति भी भेदभाव के रवैये से ऊपर उठ कर उनका सम्मान किया जाना चाहिए।

एम्स ने की है रिसर्च की तैयारी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) इस तथ्य पर शोध करने जा रहा है कि मृतक के शरीर पर अधिकतम कितने देर तक कोरोना वायरस टिक सकता है। अलग-अलग सतह पर कोरोना के टिकने के संबंध में अध्ययन तो है लेकिन कोरोना से मृतक शरीर के बारे में कोई स्पष्ट अध्ययन नहीं है। सावधानी ही संक्रमण से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है।

कोरोना संक्रमित डेडबॉडी के संबंध में भारत सरकार के दिशा-निर्देश

- डेडबॉडी में जो भी ट्यूब लगे हों उसे निकाल दें

- यदि शरीर में कोई बाहरी छेद किया गया हो तो उसे भी भर दें

- यह सुनिश्चित किया जाए कि डेडबॉडी से किसी तरह का लीकेज न हो

- डेडबॉडी को ऐसे प्लॉस्टिक बैग में रखा जाए जो पूरी तरह लीक प्रूफ हो

- ऐसे व्यक्ति के इलाज में जिस किसी भी सर्जिकल सामानों का इस्तेमाल हुआ हो उसे सही तरीके से सेनिटाइज किया जाए

अंतिम संस्कार से पहले बरती जाने वाली सावधानी

- डेडबॉडी को सिर्फ एक बार परिजनों को देखने की इजाजत होगी।

-डेडबॉडी जिस बैग में रखा गया है, उसे खोला नहीं जाएगा, बाहर से ही धार्मिक क्रिया करें।

- डेडबॉडी को स्नान कराने, गले लगने की पूरी तरह से मनाही है।

- शव यात्रा में शामिल लोग अंतिम क्रिया के बाद हाथ-मुंह को अच्छी तरह से साफ करें और सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें।

- शव को जलाने के बाद राख को नदी में प्रवाहित कर सकते हैं।

- शव यात्रा में कम से कम लोग शामिल हों।

वर्जन

अवेयरनेस के अभाव में कोरोना को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इससे यह इस लड़ाई कमजोर हो रही। चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और समुदाय का मनोबल टूटेगा। सैनिटाइज हो चुके संक्रमित के शव के बारे में भ्रांति न पालें। सावधानी रखेंगे तो संक्रमण नहीं होगा।

डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ