शाहपुर, अशोक नगर में 20 जनवरी 2016 को हुई वारदात से दहल उठा था शहर

24 घंटे में पुलिस ने खोला राज, आशिक के चक्कर में अर्चना ने बर्बाद किया परिवार

घटना: 20 जनवरी 2016

समय: रात के 12.00 बजे

स्थान: अशोक नगर मोहल्ले में इंस्पेक्टर का घर

शाहपुर के बशारतपुर, अशोक नगर में रहने वाले इंस्पेक्टर के मकान में कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहा था। उस दिन सुबह-सुबह जब मजदूर और मिस्त्री पहुंचे तो उन्होंने इंस्पेक्टर के छोटे भाई ओम प्रकाश यादव को बुलाया। भीतर से कोई आवाज नहीं आई तो सब सीढि़यों से चढ़कर उनके कमरे तक पहुंच गए। भीतर एक डरावनी सी खामोशी छाई हुई थी। एक कमरे का दरवाजा खोलकर मजदूर ने ताकझांक की तो उसके होश गुम हो गए। थोड़ी देर तक वह समझ नहीं पाया कि आखिर क्या करें। बिस्तर पर ओम प्रकाश की डेड बॉडी पड़ी थी। बगल में उनके चार साल के मासूम का शव। किसी तरह से हिम्मत जुटाकर उसने शोर मचाना शुरू किया। बगल के कमरे से ओम प्रकाश की पत्‍‌नी अर्चना की आवाज आई। अर्चना की आवाज सुनकर डरा सहमा मजदूर नीचे भागकर पहुंचा। तब एक-एक करके अन्य सभी पहुंचे। लोगों ने अर्चना के कमरे का दरवाजा खोलकर उसे निकाला। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। थोड़ी ही देर में इंस्पेक्टर के मकान पर पुलिस अधिकारियों, फॉरेसिंक टीम, क्राइम ब्रांच और डॉग स्कवॉयड का जमावड़ा हो गया। 21 जनवरी वर्ष 2016 की सुबह आठ बजे सामने आई यह एक ऐसी वारदात थी जिससे पूरा शहर दहल उठा।

कमरे में ओम प्रकाश और उनके बेटे नितिन की डेड बॉडी पड़ी मिली। बगल में खून से सना हथौड़ा मिला जिससे ओम प्रकाश के सिर पर वार हुआ था। अर्चना ने पुलिस को बताया कि रात में उसके पति लौटे तो बेटे संग सो गए। भोर में उसकी नींद खुली तो दरवाजा बाहर बंद था। उसने शोर मचाया तो कोई आवाज नहीं आई। मामला हाईप्रोफाइल था। एक तरफ इंस्पेक्टर के भाई और भतीजे का कत्ल हुआ था तो दूसरी और अर्चना के फैमिली मेंबर्स का जुड़ाव भी सीएम से था। मौके पर एसएसपी लव कुमार सहित अन्य पुलिस अधिकारी पहुंचे। पहली जांच में लूट की बात सामने आई। ओम प्रकाश की मां बागेश्वरी देवी की तहरीर पर पुलिस ने चेन, मोबाइल, नकदी लूट और मर्डर केस फाइल किया। तभी मां ने क्लू दिया कि उनके बेटे और बहू के ताल्लुकात ठीक नहीं थे। इसलिए बहू एक माह से दूसरे कमरे में अकेली सोती थी। वह रात में ओम प्रकाश के साथ पार्टी में नहीं गई। बागेश्वरी ने बताया कि उनकी बहू किसी ने फोन पर लंबी बात करती है। पुलिस ने जब सीडीआर खंगाला तो एक मोबाइल नंबर ट्रेस हुआ। लेकिन ढीठ अर्चना न तो अपना मोबाइल फोन पुलिस को दे रही थी। न ही वह पति और बेटे के हत्या की गुत्थी सुलझाने में कोई सहयोग करने को तैयार हुई। दो दिनों के बाद यानि कि 22 जनवरी को पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने 20 जनवरी की रात में फेसबुक फ्रेंड संग मिलकर पति और बेटे के मर्डर की बात कबूल की। पुलिस ने आरोपित अजय को भी अरेस्ट कर लिया। उसके पास से ओम प्रकाश का आधार कार्ड, नकदी, मोबाइल, चेन सहित अन्य सामान भी बरामद हुआ।

अर्चना से हुई दूसरी शादी, टूटकर बिखर गया परिवार

मूल रूप से गाजीपुर निवासी ऑप्टीशियन ओम प्रकाश यादव तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। वह अशोक नगर बशारतपुर में अपने दूसरे नंबर के भाई यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर संग रहते थे। पांच साल की उम्र से ही भाइयों ने उनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठाया। बचपन से ही मिलनसार और शांत स्वभाव के ओम प्रकाश यादव की शादी उनकी मां बागेश्वरी देवी ने गोरखपुर की मूल निवासी सिंगापुर में रहने वाली युवती अर्चना संग कर दी। ससुराल आने के बाद उसका फैमिली मेंबर्स का तालमेल नहीं बैठ पाया। मैरिज के कुछ दिनों के बाद वह सिंगापुर चली गई। इसके बाद उनकी दूसरी शादी अर्चना संग हुई। गाजीपुर निवासी अर्चना के पिता पीएसी में थे। इसलिए उन्होंने लखनऊ में अपना मकान बना लिया। अर्चना भी बचपन से लखनऊ में रही। सुंदर और सुडौल अर्चना को परिवार में काफी दुलार मिलता रहा। इसलिए वह मनमानी भी करने लगती थी। शादी के तीन साल के बाद अर्चना ने एक बेटे को जन्म दिया। मां बनने के बाद उसकी जिम्मेदारियां तो बढ़ीं। लेकिन परिवार से अलग रहने का दबाव वह बनाती रही। शांत और सरल ओम प्रकाश ने किसी तरह से भी फैमिली से अलग न होने का फैसला लिया। लेकिन चूल्हा- चौका अलग हो गया।

खाली समय में सोशल साइट्स, फेसबुक पर हुई मोहब्बत

फैमिली में ज्यादा काम न होने की वजह से अर्चना अक्सर सोशल साइट्स पर बिजी रहने लगी। उसने अपना एक फेसबुक एकाउंट बना लिया। इस दौरान उसकी दोस्ती फिरोजाबाद, शिकोहाबाद में प्राइवेट टीचर अजय यादव संग हो गई। अजय खुद को एक पार्टी का बड़ा नेता बताकर अर्चना पर डोरे डालने में कामयाब रहा। दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर लेकर बातचीत शुरू कर दी। उनकी दोस्ती का सिलसिला अंधे प्यार में बदल गया। वह रात में घंटों में अजय से बात करने लगी। पत्‍‌नी की हरकतों से आजिज ओम प्रकाश अपने बेटे संग अलग कमरे में सोने लगे। हद तो तब हो गई जब अर्चना एक बार लखनऊ गई। वहां उसने अपने आशिक अजय को मिलने के लिए बुला लिया। तब अर्चना घर में अकेली थी। पहली बार दोनों एक दूसरे संग जुड़े तो सामाजिक तानाबाना और मर्यादा टूट गई। फिजिकल रिलेशन की चाहत में अर्चना ने अजय को गोरखपुर बुलाना शुरू कर दिया। कभी पति की मौजूदगी में तो कभी उनकी गैर मौजूदगी में आने वाला अजय धीरे-धीरे अर्चना को काबू करता चला गया। उसके बाद अर्चना ने अपने ब्वायफ्रेंड से कहा कि वह पति और बच्चे से छुटकारा चाहती है।

प्रेमी संग मिलकर कूंच दी पति का सिर

अर्चना ने अपने पति और बच्चे के कत्ल की योजना गढ़ी। उसने प्रेमी को इसके लिए तैयार किया। 20 जनवरी को ट्रेन से अजय यादव गोरखपुर पहुंचा। बच-बचाकर वह अर्चना के घर में दाखिल हो गया। उस समय ओम प्रकाश अपने बेटे संग पड़ोस के घर में एक पार्टी में गए थे। उनके घर पर न होने के दौरान अर्चना और अजय ने एक दूसरे से फिजिकल रिलेशन बनाए। फिर अजय को बगल के कमरे में सोने के लिए कहकर चली गई। रात में 10 पार्टी खत्म होने के बाद ओम प्रकाश घर लौटे। वह अपने बेटे संग कमरे में सो गए। उनको क्या पता था कि अगली सुबह नहीं होगी। आधी रात को अर्चना ने पति और बच्चे की सोने की जानकारी अजय यादव को दी। उसके उकसावे में आकर अजय हथौड़ा लेकर आया। उसने अर्चना संग मिलकर ओम प्रकाश का सिर कूंच दिया।

गोद में बिठाकर दबाया, चार साल के बेटे का गला

बगल में सोए पिता के सिर पर जोर से वार हुआ तो वह चिल्लाए। उनकी चीखकर सुनकर मासूम नितिन की आंखें खुल गई। वह मम्मी अर्चना की गोद में सुबक-सुबक कर रोने लगा। अर्चना ने अजय से कहा कि उसके बेटे का गला दबा दो। तब अजय के हाथ कांप गए। बकौल अजय उसने बच्चे का कत्ल करने से मना कर दिया। पुलिस के अनुसार प्रेमी के इंकार करने पर अर्चना ने पहले बच्चे को गोद में लिटाकर चुप कराया। फिर अपने ही हाथों से उसका गला दबाकर जान ले ली। मां की गोद में चार साल का मासूम नाजायज मोहब्बत की बलि चढ़ गया। इसके घर में लूटपाट का रूप देने के लिए दोनों ने सारा सामान बिखेर दिया। फिर अर्चना के साथ दोबारा फिजिकल रिलेशन बनाया। इसके बाद उसे कमरे में बंद करके अजय भाग निकला। लेकिन पुलिस उससे भी तेज निकली। पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया। अर्चना और उसके प्रेमी को सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया।