- साल दर साल इंडस्ट्रियल एरियाज में बढ़ता ही जा रहा है पॉल्युशन लेवल
- पॉल्युशन से निपटने के कहीं पर भी नहीं हैं कोई इंतजाम, ग्रीनरी भी होती जा रही है कम
GORAKHPUR: गोरखपुर के इंडस्ट्रियल एरिया में लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है। वहां से गुजरने पर दम घुट रहा है। शहर और इंडस्ट्रियल एरियाज के एटमॉस्फियर में काफी फर्क आ गया है। पॉल्युशन विभाग के आंकड़े इस बात को पुख्ता कर रहे हैं। जहां पीएम 10 मानक से दोगुना हो चुका है, तो वहीं एयर क्वालिटी इनडेक्स भी मॉडरेट जोन में बना हुआ है। इसकी वजह से लोगों की मुश्किलें अब तक कम नहीं हो सकी हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह आंकड़ा महीना बीतने के साथ बढ़ता ही जा रहा है। पिछले चार महीनों की बात करें तो आंकड़े एलार्मिग हैं। अगर अब भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी सिटी भी वाराणसी, आगरा की तरह पॉल्युटेड सिटी की कैटेगरी में होगी और हमें हर सांस की कीमत चुकानी पड़ेगी।
नहीं फॉलो हो रहा है रूल
इंडस्ट्रियल एरियाज में पॉल्युशन के आंकड़े काफी परेशान करने वाले हैं। इसकी वजह भी है। पहला यह कि यहां से रोजाना सैकड़ों गाडि़यां फर्राटा भर रही हैं। वहीं आसपास की फैक्ट्रियों से भी बड़ी मात्रा में पॉल्युटेंट निकल रहे हैं, जिससे एटमॉस्फियर काफी पॉल्यूट हो जा रहा है। इसके साथ ही सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि गवर्नमेंट रूल के मुताबिक ज्यादातर फैक्ट्रीज के जिम्मेदार पॉल्युशन से निपटने के उपाय नहीं कर सके हैं। इसकी वजह से भी यहां काफी पॉल्युशन हो रहा है, जिससे एटमॉस्फियर की हवा जहरीली होती जा रही है।
आरएसपीएम सबसे ज्यादा
इन पॉल्युटेड एरियाज में रेस्पिरेटरी सस्पेंडेट पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) की मात्रा मानक से काफी ज्यादा है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी हार्ट और अस्थमा के पेशेंट्स को हो रही है। वहीं छोटे नन्हें मासूम भी पॉल्युशन का शिकार हो रहे हैं। पॉल्युटेंट आरएसपीएम के फॉर्म बॉडी में एंटर कर जा रहे हैं, जिससे सांस लेने में परेशानी तो हो ही रही है। वहीं फेफड़ों पर भी इसका असर पड़ रहा है, जो लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन रहा है। डॉक्टर्स की मानें तो इन एरियाज में बिना मास्क पहने एंट्री न करें, वरना लेने के देने पड़ सकते हैं।
गाडि़यों का कम करें इस्तेमाल
शहर की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसकी वजह से पॉल्युशन का ग्राफ दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। शहर की आबोहवा में फैले पॉल्युशन की बात करें तो टोटल एयर पॉल्युशन का 68 फीसद हिस्सा सिर्फ गाडि़यों से निकलने वाले धुएं का होता है। इससे सबसे ज्यादा एयर क्वालिटी प्रभावित होती है, जो दमा और अस्थमा वाले मरीजों के लिए काफी खतरनाक और जानलेवा है। वहीं दूसरे तरह के पॉल्युटेंट भी हवा में मौजूद होते हैं, जिनमें प्लास्टिक या वेस्ट जलने से निकलने वाले पॉल्युटेंट के साथ ही फायर वर्क्स भी शामिल हैं।
कुछ यूं रहा है इंडस्ट्रियल एरियाज का डाटा -
अप्रैल - 2017
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
230.2 31.8 53.3 187
मई 2017
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
232.3 32.3 54.9 188
जून 2017
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
231.1 31.8 54.1 187
जुलाई 2017
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
201.7 22.8 42.9 168
अगस्त 2017
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
108.3 13.9 25.8 106
सितंबर 2017
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
119.8 17.9 30.3 113
अक्टूबर 2017
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
135.0 22.3 40.9 123
नवंबर 2017
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
266.59 31.16 49.14 217
दिसंबर 2017
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
231.15 39.44 57.98 187
जनवरी 2018
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
237.37 39.89 58.41 192
फरवरी 2018
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
239.25 42.10 59.32 193
मार्च 2018
पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
240.66 41.09 59.25 194
क्या है मानक
पीएम 10 - 60 माइक्राग्राम प्रति घन मीटर
एसओ2 - 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
एनओ2 - 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
पैरामीटर्स एंड इफेक्ट्स
0-50 - मिनिमम इंपैक्ट
51-100 - सेंसिटिव लोगों को सांस लेने में थोड़ी प्रॉब्लम
101-200 - लंग, हर्ट पेशेंट के साथ बच्चों और बुजुर्गो को सांस लेने में दिक्कत
201-300 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने में प्रॉब्लम
301-400 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस की बीमारी
401 या ऊपर - हेल्दी लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत, रेस्पिरेटरी इफेक्ट
वर्जन
इंडस्ट्रियल एरिया में पीएम10 और एनओ2 मानक से ज्यादा हो गए हैं। इससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। वहीं हार्ट और अस्थमा के पेशेंट्स को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए मास्क और हेलमेट का इस्तेमाल करें।
- प्रो। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट