-एडीजी ने ट्रांसफर की जांच, दरोगा ने लगाई एफआर

-भू माफिया से परेशान होकर चक्कर काट रही महिला

GORAKHPUR: कैंट थाना में दर्ज धोखाधड़ी, जालसाजी और अपराधिक साजिश रचने के जिस मामले में दो माह तक विवेचना पूरी नहीं हुई। उस मुकदमे को एडीजी के आदेश पर बस्ती ट्रांसफर करने के चंद घंटे के बाद ही विवेचक दरोगा ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी। दरोगा के कारगुजारी की शिकायत पीडि़त ने दोबारा एडीजी से दर्ज कराई। हालत यह है कि जिस मामले में अफसर निष्पक्ष विवेचना का आदेश दे रहे हैं। उस केस में दरोगाओं की मनमानी जारी है। पीडि़त ने अन्य पुलिस अधिकारियों को भी पत्र भेज दिया है।

भू माफिया के खिलाफ एफआईआर

चिलुआताल, सिक्टौर की शारदा देवी की कीमती भूमि गुलरिहा एरिया में है। एक भू माफिया ने फर्जी तरीके से उनकी भूमि की रजिस्ट्री करा ली। इसकी जानकारी होने पर उन्होंने कैंट थाना में धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश रचने का मुकदमा दर्ज कराया। भू माफिया काफी प्रभावशाली निकला। विवेचक दरोगा के साथ मिलकर उसने खुद को बचा लिया। महिला को जानकारी हुई तो वह एसएसपी के पास पहुंचीं। उन्होंने ने एसएसपी को मामले की जानकारी दी। दोबारा विवेचना का आदेश कराया तो फिर उसी राह पर पुलिस चल पड़ी। मुकदमे की जांच में दरोगा ने अभियुक्तों ने बचाना शुरू कर दिया। दरोगा ने महिला से कह डाला कि बड़े लोगों से लड़ने के बजाय समझौता कर लो। जमीन तो तुम्हारी बिक चुकी है। कुछ रुपए लेकर शांत हो जाओ। फिर भी शारदा ने हार नहीं मानी। वह अपने बेटे संग एडीजी से मिलने पहुंचीं। उन्होंने निष्पक्ष जांच पर संदेह जताया। एडीजी ने तत्काल इस मामले की विवेचना बस्ती ट्रांसफर कर दी। ना जाने कहां से इसकी भनक दरोगा को लग गई। एडीजी के आदेश को धता बताते हुए दरोगा ने आनन-फानन में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। सोमवार को फिर से शारदा ने एडीजी ऑफिस को मामले से अवगत कराया। परेशान हाल शारदा के परिजनों का कहना है कि एडीजी के आदेश का क्या मतलब है। जब दरोगा जो चाहेंगे वही होगा।

कब, क्या हुआ

27 अप्रैल 2019 को सीएम से शिकायत होने पर कैंट थाना में तीन नामजद और रजिस्ट्री आफिस के लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई। आरोप है कि अभियुक्तों के प्रभाव में आकर विवेचक ने गलत तरीके से अंतिम रिपोर्ट लगा दी।

27 दिसंबर 2019: मामले की जानकारी होने पर पीडि़त पक्ष ने एसएसपी से मुलाकात की। उनसे फिर से विवेचना कराने की मांग उठाई। एसएसपी ने दोबारा विवेचना का आदेश दिया। आरोप है कि अभियुक्तों के प्रभाव में पुलिस ने पीडि़त पर समझौते का दबाव बनाया।

26 फरवरी 2020: विवेचक के रवैये से परेशान होकर पीडि़त ने एडीजी को पत्र दिया। उनसे विवेचना को गैर जनपद ट्रांसफर करने की मांग की।

27 फरवरी 2020: एडीजी ने मुकदमे की विवेचना बस्ती जिले में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। इसकी सूचना संबंधित लोगों को दी गई।

28 फरवरी 2020: एडीजी के विवेचना ट्रांसफर करने के आदेश बावजूद रात में नौ बजकर नौ मिनट पर अंतिम रिपोर्ट लगा दी।

रोजाना सामने आते केसेज, अफसर रह जाते हैरान

शारदा देवी महज एक बानगी हैं। लेकिन ऐसे मामले लगभग रोजाना ही सामने आते हैं। जिनमें पुलिस कर्मचारियों की मनमानी चलती है। रविवार को एसएसपी ने दो अलग-अलग मामलों में कार्रवाई की थी। एक्सीडेंट के एक मामले में चौरीचौरा में तैनात हेड कांस्टेबल सहित दो लोगों को सस्पेंड किया गया। बेलीपार में किशोरी के अपहरण की सूचना में लापरवाही बरतने पर दरोगा और सिपाही निलंबित हुए। ऐसे मामलों में आए दिन एसएसपी कार्रवाई कर रहे हैं। लेकिन इसका कोई असर मातहतों पर नहीं पड़ रहा। इससे पब्लिक की प्रॉब्लम दूर होने के बजाय बढ़ती जा रही है।

वर्जन

इस प्रकरण के बारे में पूरी जानकारी लेंगे। मामले से संबंधित लोगों की भूमिका की जांच कराई जाएगी। मुकदमा वादी के आवेदन पर मामले की विवेचना बस्ती जिले को स्थानांतरित की गई थी।

दावा शेरपा, एडीजी जोन