गोरखपुर (ब्यूरो).पंडित शरद चंद मिश्र ने बताया कि करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। जो इस वर्ष 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को पड़ रहा है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति के मंगल और समृद्धि के लिए करती है। इस व्रत में सुहागिन महिलाएं, उक्त दिवस को मुंह अंधेरे से चंद्रमा निकलने तक निर्जला रहकर करती है। दिन भर भजन व मांगलिक कार्यों में व्यतीत करती हैं और संध्या से ही चंद्र दर्शन और उसे अर्घ्य देने की तैयारी करती हैं। इस दिन वे सुंदर वस्त्र तथा आभूषण धारण कर संपूर्ण श्रृंगार कर करवा की पूजा करती हैं। पूजन तथा अर्घ्य देने के बाद भी भोजन ग्रहण करती हैं।

रोहिणी नक्षत्र और सिद्धि योग भी

बताया कि इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 14 मिनट पर और कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि का मान सम्पूर्ण दिन और रात में 2 बजकर 58 मिनट तक, कृत्तिका नक्षत्र सांय काल 7 बजकर 43 मिनट पश्चात रोहिणी नक्षत्र और सिद्धि योग भी है.चन्द्रमा की स्थिति वृषभ राशि पर होने से वह उच्च स्थिति में रहेंगे। बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को केवल चंद्र देवता की पूजा नहीं होती है, बल्कि शिव- पार्वती और स्वामी कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। जिस प्रकार शैलपुत्री पार्वती ने घोर तपस्या कर भगवान शंकर को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था वैसे ही महिलाएं प्रार्थना करती है कि उन्हें भी अखंड सौभाग्य प्राप्त की कामना करती हैं। गौरी पूजन का कुंवारी कन्याओं और विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व है।

अर्घ्य का समय

इस दिन चन्द्रोदय रात में 7 बजकर 54 मिनट पर है। इसी समय अर्घ्य दिया जाएगा।