रामगढ़ताल से अपहृत युवक का सिर और धड़ अलग कर खेत में फेंका

10 अगस्त को बिहार के गया में मिली डेड बॉडी, गोरखपुर में गुहार लगाते रहे परिजन

छह अगस्त की दोपहर करीब दो बजे की बात है। घर में दूसरे कमरे में थी। तभी मेरे बेटे राजेश सिंह उर्फ सर्वेश सिंह के मोबाइल पर किसी का फोन आया। बातचीत के दौरान बेटे से हॉट टाक होने लगी। तभी घर के सामने मैरून फोर व्हीलर आकर खड़ी हुई। उसमें सवार कुछ लोग उतरे और एक मोबाइल नंबर पूछकर बेटे को गाड़ी में बैठा लिया। उसका अपहरण कर ले जाते हुए मुझे धमकी दी। कहा कि किसी से कुछ मत बताना। वरना तुम्हारे बेटे का मर्डर करके फेंक देंगे। बेटे का अपहरण करने वाले बदमाश कभी उसके मोबाइल नंबर से बात कराते तो कभी अपने मोबाइल से बात कर हालचाल बताते थे। इस दौरान न तो मुझसे कोई रंगदारी मांगी गई। न ही किसी ने मेरे बेटे को छोड़ने के लिए कहा। तीन दिनों तक बदमाश सिर्फ यही कहते रहे कि यदि तुम पुलिस के पास जाओगी तो तुम्हारे बेटे का मर्डर कर दिया जाएगा। 10 अगस्त को जब मेरे बेटे का मोबाइल नंबर बंद हो गया तो मुझे अनहोनी की आशंका हुई। कई बार फोन लगाया। लेकिन बेटे से बात नहीं हो सकी। रविवार शाम बिहार की पुलिस हम लोगों को गिरफ्तार करने आई। तब हमको पता लगा कि बेटे का सर धड़ से अलग करके हत्या कर दी गई है। इतना कहते हुए किशोरी देवी दहाड़ मारकर रोने लगीं। किशोरी देवी ने कहा कि बेटे के किडनैपिंग की सूचना देने पर रामगढ़ताल पुलिस समय से कार्रवाई करती तो शायद उनके बेटे की जान बच जाती। मां ने अपना नौजवान बेटा खो दिया, लेकिन हत्यारों को सजा दिलाने के लिए वह मंगलवार को भी पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगाती रहीं। जानिए क्या है पूरा मामला, आखिर पुलिस ने क्या की है लापरवाही।

तहरीर देती रही मां, सोती रही रामगढ़ताल पुलिस

किशोरी देवी का आरोप है कि उनके बेटे के अपहरणकर्ताओं ने असलहा सटाकर जानमाल की धमकी दी थी। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। लेकिन पुलिस ने उसे हत्यारोपी मानकर छानबीन नहीं की। एक माह से वह लगातार थाने से लेकर पुलिस अधिकारियों तक का चक्कर काटती रही। फोन करने वालों का मोबाइल नंबर भी दरोगा को दिया। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने कोई केस भी नहीं दर्ज किया। मर्डर की बात सामने आने के बाद बिहार में जांच की बात कहकर मंगलवार को पुलिस टालमटोल करती रही। उल्टे मां-बाप से पूछताछ करने में समय नष्ट करती रही। परिजनों ने आशंका जताई कि जिसके मर्डर के आरोप में उनका बेटा जेल में बंद था। उसके परिजनों ने वारदात को अंजाम दिया है। लेकिन बदला लेने वाले गोरखपुर में भी मर्डर कर सकते थे। बिहार के गया में ले जाकर हत्या की गुत्थी आरोपियों के पकड़े जाने पर सुलझ सकेगी।

सिर और धड़ अलग करके फेंक गए किडनैपर

मां का कहना है कि सब कुछ ठीक चल रहा था। छह अगस्त को कुछ लोग बेटे का अपहरण करके ले गए। सोमवार शाम बिहार के गया जिले के बेलागंज एसएचओ अविनाश कुमार रामगढ़ताल थाना पर पहुंचे। तभी उनके जरिए बेटे के मर्डर की जानकारी मिली। एसएचओ ने फोटो और कपड़े दिखाए, जिससे बेटे की पहचान हुई। एसएचओ ने बताया कि एनएच तीन के पहले रिसौध नहर के पास धान के खेत में अज्ञात युवक की डेड बॉडी 10 अगस्त को बरामद हुई। उसके दोनों हाथ पीछे से बंधे हुए थे। सिर काटकर शरीर सहित बोरे में कसकर फेंका गया था। वहां पर एक व्हीकल का आरसी पेपर मिला। उसके सहारे वह गाड़ी वालों को अरेस्ट करने आए थे। लेकिन यहां पता लगा कि जिसे अरेस्ट करने आए थे बदमाशों ने उसका मर्डर करके फेंक दिया था।

मर्डर के मामले में जेल से छूटा था राजेश

बेलघाट, पिपरासंडी निवासी श्री नारायण सिंह सेना में सिपाही पद से रिटायर होकर एक स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड हैं। उनकी पत्नी किशोरी देवी अपने तीन बेटों बड़े रिंकू सिंह उर्फ सत्य नारायण सिंह, दूसरे नंबर के राजेश सिंह उर्फ सर्वेश और सबसे छोटे रोशन सिंह उर्फ सत्यपाल सिंह के साथ महुई सुघरपुर मोहल्ले में अनूप पांडेय के मकान में किराए पर कई साल से रह रही हैं। बड़ा बेटा रिंकू सिंह होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर हरियाणा के जिंद में होटल मैनेजर है। गुजरात की फैक्ट्री में राजेश सिंह मशीन मैन था, जबकि रोशन उसी कंपनी में ड्राइवर है। 2014-15 में सुल्तानपुर जिले में कादीपुर में प्रशांत सिंह का मर्डर हुआ था। वारदात के दौरान दो अन्य लोगों की भी जान चली गई थी। इस मामले में राजेश सिंह उर्फ सर्वेश का नाम सामने आया। पुलिस ने अन्य बदमाशों के साथ उसे अरेस्ट कर जेल भेज दिया। नवंबर में हत्या के मामले में जमानत मिलने के बाद वह मां-पिता के साथ घर पर रहकर फैमिली का काम देखने लगा था। अभी उसकी शादी नहीं हुई थी।

आखिर कब जागेंगे जिम्मेदार, क्या होगी कार्रवाई

पिपराइच में एक बालक के अपहरण और मर्डर की घटना सामने आने पर सीनियर पुलिस अधिकारियों ने गुमशुदगी और किडनैपिंग के प्रकरणों में गंभीरता से कार्रवाई का निर्देश दिया था। कहा गया था कि तत्काल जांच पड़ताल शुरू होगी। पीडि़त परिवारों के संपर्क में रहकर पुलिस जांच करेगी। लेकिन यह निर्देश चंद दिनों में बेअसर हो गया। एक माह तक एक बेबस मां अपने बेटे के अपहरणकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती रही। लेकिन पुलिस ने इसे हल्के में ले लिया।

वर्जन

इस बात की जानकारी मिली है। सोमवार को बिहार पुलिस आई थी। इस प्रकरण की जांच वहां पर चल रही है। अभी यहां पर कोई केस नहीं दर्ज किया गया है।

सत्य सान्याल, एसएचओ, रामगढ़ताल

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