गोरखपुर (ब्यूरो).पिछले महीने ही जीन सिक्वेंसर मशीन आ गई थी। उसे एक सप्ताह के अंदर इंस्टाल भी कर दिया गया। मीडिया प्रभारी डा। अशोक पांडेय ने बताया कि कंपनी को सूचना देने के बाद भी इंजीनियर नहीं आए, इस वजह से अभी ट्रायल नहीं हो पाया है। आरएमआरसी में मशीन आ जाने से एक उम्मीद जगी थी कि अब गोरखपुर में वायरस की जीनोम सिक्वेंङ्क्षसग हो सकेगी और 72 से 96 घंटे के भीतर रिपोर्ट मिल जाएगी। मशीन का ट्रायल व वायरोलाजिस्टों का प्रशिक्षण न होने से जीनोम सिक्वेंङ्क्षसग शुरू नहीं हो पाई है। अभी यहां के नमूनों की जीनोम सिक्वेंङ्क्षसग ङ्क्षकग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ में होती है। दो माह पहले कोरोना के 65 नमूने जांच के लिए भेजे गए थे लेकिन रिपोर्ट नहीं आई है। इस वजह से अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि तीसरी लहर में यहां कोरोना के किस वैरिएंट का प्रभाव ज्यादा था। यदि आरएमआरसी की लैब शुरू हो गई होती तो जांच यहीं हो जाती। इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता।

हो सकेगी एंटीबाडी की जांच

जीन सिक्वेंसर के साथ ही फ्लोसाइकोमीटर मशीन भी इंस्टाल की जा चुकी है। इसके माध्यम से मात्र एक कोशिका का भी अध्ययन संभव हो सकेगा। खून की जांच से लेकर प्रतिरोधक क्षमता तक का इससे पता लगाया जा सकेगा। अर्थात यह मशीन एंटीबाडी की भी जांच करेगी।

जीन सिक्वेंसर मशीन का ट्रायल व वायरोलाजिस्टों का प्रशिक्षण शीघ्र ही करा दिया जाएगा। जीनोम सिक्वेंङ्क्षसग ऐसी चीज नहीं है कि हमेशा की जाए। बहुत जरूरी होने पर या शोध के लिए यह जांच की जाती है।

-डा। रजनीकांत, डायरेक्टर आरएमआरसी