महिला हिंसा और कानूनी जानकारी को लेकर महिलाओं को किया जागरुकता

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र की ओर से 'महिला हिंसा व कानूनी जागरुकता' विषयक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन गुरुवार को किया गया। वेबिनार में जिले की विभिन्न महिला प्रधानों को राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी, एसएचओ महिला थाना अर्चना सिंह और सीनियर अधिवक्ता अंबिका शर्मा ने महिला अधिकारों के प्रति जागरुक किया। इस दौरान उन्हें महिला हेल्पलाइन नंबर 1090 और 112 की भी जानकारी प्रदान की गई।

महिलाएं नहीं ले पा रही मदद

राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष डॉ। अंजू चौधरी ने कहा कि न्याय और जीवित रहना सबका अधिकार है। राज्य महिला आयोग महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए बना है। महिलाओं को न्याय देने, सशक्त करने और जागरुकता बढ़ाने की दिशा में आयोग सक्रियता से काम कर रहा है। मगर जागरुकता के अभाव में आज भी महिलाएं आयोग की मदद नहीं ले पा रही हैं। महिला आयोग अपने कैंप का आयोजन जिला, ब्लॉक से लेकर तहसील स्तर तक करता है जो जागरुकता महिलाएं उन्हें आयोग ने हर संभव मदद की है। इसलिए अपने अधिकारों के प्रति महिलाओं का जागरुक होना बदलते वक्त की मांग हैं। घरेलू हिंसा की शिकार केवल महिलाएं ही नहीं हैं। कई बार ससुराल पक्ष भी महिला उत्पीड़न का शिकार होते हैं। उन महिलाओं के अधिकारों का भी महिला आयोग संरक्षण करता है।

शिकायत पत्र लिखने में करती हैं मदद

महिला थाना प्रभारी अर्चना सिंह ने कहा कि महिलाएं अपनी समस्याएं पुरुषों से बताने में असहज महसूस करती हैं। उनकी सहूलियत के लिए हर थाने पर महिला हेल्प डेस्क स्थापित की गई है। जहां महिला सिपाही तैनात रहती है, वो महिलाओं की समस्याओं को सुनकर शिकायत पत्र लिखने में भी मदद करती हैं। इसके साथ ही शहर में महिला सुरक्षा के लिए दो महिला सिपाही पेट्रोलिंग भी करती हैं। अगर किसी महिला के साथ लूट, छिनैती या छेड़छाड़ जैसा कोई भी मामला प्रकाश में आता है तो ये टीम मौके पर जाकर उनकी मदद करती है। इसके साथ ही जिले में स्थापित पिंक बूथ पर हेल्प डेस्क के साथ साथ शौचालयों का प्रावधान किया गया है। ताकि महिलाओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़ा।

धाराओं की दी गई जानकारी

सीनियर एडवोकेट अमिता शर्मा ने महिला ग्राम प्रधानों को कानूनी सलाह देते हुए घरेलू हिंसा और पारिवारिक विवाद में लगने वाली धाराओं के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि अदालतें भी गांव में पंचायत स्तर तक चैपाल लगाकर महिलाओं की समस्याओं को सुनती है। कानून की नजर में महिला और पुरूष दोनों एक समान हैं। अपना नंबर शेयर करते हुए उन्हें किसी भी समस्या के फोन करने के लिए प्रेरित किया। प्रो। सुषमा पांडेय ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। महिला अध्ययन केंद्र की समन्वयक प्रो। दिव्या रानी सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ। अनुपमा कौशिक के साथ महिला अध्ययन केंद्र की सभी सहयोगी टीम ने सराहनीय भूमिका निभाई।