-एमएमएमयूटी के एमटेक स्टूडेंट्स ने लगाया घोटाले का आरोप

- स्टाइपेंड न मिलने से पढ़ाई हो रही बाधित, कर रहे उच्चस्तरीय जांच की मांग

GORAKHPUR : स्टाइपेंड केलिए परेशान एमटेक स्टूडेंट्स के मामले में एक नया मोड़ आया है। मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्निकल के एमटेक स्टूडेंट्स की मानें तो ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) में उनके रजिस्ट्रेशन न होने से मामला और पेचीदा हो गया है। स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि स्टाइपेंड के करीब क्.ब्ब् करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। इसके अलावा स्टूडेंट्स सदर सांसद महंत योगी आदित्यनाथ से भी लगातार संपर्क साधने की कोशिश में जुटे हैं, ताकि मामला शार्टआउट हो सके। उधर, यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स की तरफ से बजट रिलीज नहीं हुआ, जिसके चलते एमटेक स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड नहीं दिए जा सके।

क्00 स्टूडेंट्स हैं स्टाइपेंड से वंचित

स्टाइपेंड को लेकर एमएमएमयूटी स्टूडेंट्स की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। न तो इन स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन एमएचआरडी में हुआ है और न ही एआईसीटीई में। करीब क्00 एमटेक स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो गेट क्वालिफाई कर एमटेक की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन ये स्टूडेंट्स प्रत्येक माह मिलने वाले स्टाइपेंड क्ख्,ब्00 रुपए से पूरी तरह वंचित हैं। इन स्टूडेंट्स की मानें तो करीब क्.ब्ब् करोड़ रुपए स्टाइपेंड के हैं जिसका भुगतान नहीं किया गया है। अगर समय रहते यूनिवर्सिटी प्रशासन एआईसीटीई में रजिस्ट्रेशन करा लेती तो यह समस्या उत्पन्न नहीं होती।

प्रदर्शन के बावजूद नहीं सुलझी समस्या

भ् मई की इन स्टूडेंट्स ने सुबह यूनिवर्सिटी गेट बंद कर प्रदर्शन किया था। स्टूडेंट्स पोस्टर लेकर आए थे, जिसपर कई स्लोगन लिखे हुए थे। लेकिन स्टूडेंट्स के इस प्रदर्शन के बाद भी कोई हल नहीं निकला। स्टूडेंट्स का कहना है कि उनकी समस्या को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन अभी भी गंभीर नहीं है। यही कारण है कि मामले के हल के लिए अब वे सदर सांसद से मिलने की कोशिश कर रहे हैं।

आठ हजार से बढ़कर हो गई है क्ख्,ब्00 रुपए

एमएमएमयूटी के एमटेक स्टूडेंट्स ने बताया कि उन्हें हर माह स्टाइपेंड देने का नियम है। स्टाइपेंड की राशि दिसंबर से पहले आठ हजार रुपये प्रतिमाह थी। जो अब बढ़कर क्ख्,ब्00 रुपए हो चुकी है, लेकिन अब तक किसी भी स्टूडेंट्स को इसका भुगतान नहीं किया गया है। इस दौरान वैभव श्रीवास्तव, स्वेता सिंह, मिताली गुप्ता, अदिति सिंह, शालिनी त्रिपाठी, प्रीति सिंह, अजय, अमित पांडेय, सौरभ आदि ने कहा कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

स्टाइपेंड की समस्या हमारे यहां से नहीं हुई है। जो भी समस्याएं आई हैं। वह उपर से हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए एमएचआरडी को फिर से लेटर लिखा गया है।

डॉ। केपी सिंह, रजिस्ट्रार, एमएमएमयूटी

यह बेहद ही गंभीर मामला है। इसके लिए एमटेक स्टूडेंट्स हमें पत्र लिखें। अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

प्रो। राम शंकर कठेरिया, यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर एचआरडी