गोरखपुर (महेंद्र प्रताप सिंह)।गोरखपुर यूनिवर्सिटी समेत अन्य कॉलेजों से छात्र राजनीति करने वाले कई ऊंचा ओहदे पर पहुंचे, जिनका आज प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक काफी नाम है। इसी सोच के साथ इस बार भी गोरखपुर के कई छात्रनेता नगर निकाय चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। कई के बैनर पोस्टर लग गए हैं और कई तैयारी में जुटे हुए हैं। इनका मानना है कि राजनीति में कोई भी पद छोटा बड़ा नहीं होता। मेहनत के बल पर उनके सीनियर भी आगे बढ़े और नाम रोशन किया। अब वह भी उनके मार्गों का अनुसरण कर रहे हैं।

भाजपा-सपा से टिकट की चाह

करीब आधा दर्जन छात्रनेता ऐसे हैं, जो पार्षदी की टिकट के लिए लगे हुए हैं। इनके बैनर-पोस्टर वार्डों में दिख जाएंगे, लेकिन कई ऐसे हैं जो भाजपा-सपा से टिकट के लिए लगे हुए हैं। टिकट के मिलने के बाद यह एक्टिव होंगे। यही नहीं कांग्रेस और बसपा से भी टिकट के लिए कई छात्रनेता लगे हुए हैं।

पिछली बार कई छात्रनेता जीत चुके हैं चुनाव

2017 के नगर निकाय चुनाव में कई छात्रनेता विभिन्न दलों से चुनाव जीत चुके हैं। वह इस बार भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। डीएवी डिग्री कॉलेज के छात्रसंघ नेता रहे संजीव सिंह सोनू शेखपुर वार्ड से 3 बार के कांग्रेस पार्षद हैं। इस बार भी वे चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। इस बार के चुनाव में छात्रनेताओं की अच्छी खास संख्या सामने आ रही है।

छात्रसंघ पदाधिकारी से कल्पनाथ राय बने थे मंत्री

गोरखपुर से छात्र राजनीति में कदम रखने वाले कई सूरमाओं ने प्रदेश ही नहीं, देश की सियासत में भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। ये न सिर्फ सदन में पहुंचे बल्कि कैबिनेट मंत्री का ओहदा भी हासिल किया। गोरखपुर विश्वविद्यालय में सक्रिय कई नेता सदन पहुंचे। कल्पनाथ रायन 1963 में गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के महामंत्री चुने गए। इसके बाद कदम आगे बढ़े तो घोसी लोकसभा से चार बार सांसद और तीन बार राज्य सभा सदस्य बने। इंदिरा गांधी और नरसिंह राव सरकारों में मंत्री भी रहे।

कौड़ीराम से विधायक चुने गए थे रवींद्र सिंह

गोरखपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय से छात्रसंघ अध्यक्ष रहे रवींद्र सिंह भी 1977 में कौड़ीराम से विधायक चुने गए। रवींद्र सिंह का अपने क्षेत्र में प्रभाव इतना ज्यादा था कि निधन के बाद पत्नी गौरी देवी तीन बार विधायक चुनी गईं।

पप्पू जायसवाल जीते थे निर्दल चुनाव

पिपराइच विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर विधायक और फिर मंत्री बने जितेंद्र जायसवाल उर्फ पप्पू डीएवी डिग्री कॉलेज में छात्रसंघ की राजनीति करते थे।

छात्र राजनीति से जुड़े जनार्दन प्रसाद ओझा उच्च पद पर पहुंचे

जनार्दन प्रसाद ओझा भी गोरखपुर विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से जुड़े रहे। समाजवादी आंदोलन में अगुवा रहे जर्नादन ओझा, छह बार महराजगंज के श्यामदेउरवा विधानसभा से विधायक चुने गए और प्रदेश में मंत्री बने।

विधान सभा के अध्यक्ष बने थे माता प्रसाद पांडेय

गोरखपुर यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में परास्नातक की उपाधि प्राप्त करने वाले सिद्धार्थनगर के माता प्रसाद पांडेय पढ़ाई के दौरान ही आंदोलन में कूद पड़े। सिद्धार्थनगर के इटवा क्षेत्र का छह बार प्रतिनिधित्व कर चुके माता प्रसाद पांडेय ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री, श्रम मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने दो बार विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदार भी निभाई।

छात्र राजनीति से तपकर निकले थे गणेश शंकर पांडेय

पांच बार एमएलसी और विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पांडेय भी छात्र राजनीति से तपकर निकले हैं। वे छात्रसंघ चुनाव तो नहीं लड़े लेकिन छात्र राजनीति में हमेशा सक्रिय रहे।