- काम मिलता तो दो गुनी हो जाती खुशी

- दिन भर के लिए रोजाना बिकते हैं मजदूर

GORAKHPUR: दिवाली मनाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। लोग धनतेरस की शॉपिंग में सुबह से ही जुटे नजर आए। सोमवार की सुबह रोज की अपेक्षा दुकानें कुछ पहले ही सज गई। सूरज चढ़ने के साथ ही मार्केट में चहल-पहल बढ़ती गई, लेकिन बाजार की रौनक से मजदूर मंडी महरूम रही। दो जून की रोटी की तलाश में कोसों दूर से आए मजदूरों को काम न मिलने से निराश लौटना पड़ा। मजदूरों ने कहा आज काम मिला होता तो शाम को खरीदारी अच्छी हो जाती।

रोजाना लगता है बाजार

सिटी के विभिन्न हिस्सों में रोजाना मजदूर मंडी लगती है। सालों से लगने वाली इस मंडी में दूर-दराज गांवों से आकर मजदूर बिकते हैं। जरूरतमंद लोग मजदूरों को एक दिन की दिहाड़ी पर तय करके ले जाते हैं। कभी-कभार मजदूरों को लगातार कई दिनों का काम एक साथ मिल जाता है। दीपावली की तैयारी के लिए मजदूरों यही उम्मीद लगाए मंडियों में पहुंचे, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी और सोमवार को काम न मिलने से इन्हें यूं ही मायूस घरों को लौटना पड़ा।

कोई नहीं लेता इनकी सुधि

सिटी में लगने वाली मजदूर मंडी की कोई सुधि नहीं लेता। दूर-दराज के इलाकों से आकर मजदूर मंडी में खड़े हो जाते हैं। विभिन्न जगहों पर करीब तीन हजार मजदूर मार्केट में खड़े मिलते हैं। सुबह छह बजे के बाद से 10 बजे तक मजदूर काम का इंतजार करते रहते हैं। काम न मिलने पर वह वापस लौट जाते हैं। ऐसे उनका किराया-भाड़ा बेकार चला जाता है। सालों से रोज बिकने वाले मजदूरों के लिए ऐसा कोई इंतजाम नहीं जिससे उनको काम मिलने में आसानी हो।

इन जगहों पर लगता है मजदूर बाजार

मोहद्दीपुर, गोरखनाथ, अलीनगर, शाहपुर- आम बाजार, आजाद चौक, रानीडीहा, नंदानगर, गोलघर

आज काम मिला होता तो शाम को घर लौटते समय सामान खरीद लेते। सुबह से कोई नहीं आया जो काम दे सके।

श्रवण कुमार, महुअवा, पिपराइच

सुबह छह बजे से बैठे हैं। आज कोई पूछने नहीं आया। बहुत सारे लोग लौट गए। हम लोग अभी उम्मीद है कि कोई काम मिल जाएगा।

प्रजापति, हाटा बाजार

दो दिन काम नहीं मिला तो दीपावली का त्योहार बेकार हो जाएगा। धनतेरस पर सभी लोग कुछ न कुछ न खरीदते हैं। हम लोग सिर्फ लौटने भर का किराया लेकर आते हैं।

नंदलाल, जंगल चवरी

मैं यहां किराये पर कमरा लेकर रहता हूं। मंगलवार की शाम गांव लौटना है। काम न मिलने पर बड़ी समस्या हो जाएगी।

झिनकू, दोहरीघाट