गोरखपुर (ब्यूरो)।दूसरी तरफ इंप्रूवमेंट और सप्लीमेंट्री एग्जाम देने वाले स्टूडेंट की संख्या में दो से तीन गुना वृद्धि हुई है। दोनों ही समीकरण को देखते हुए एक्सपर्ट का मानना है कि नॉन स्कूलिंग की वजह से ही स्टूडेंट 11 वीं में अच्छे स्कूलों में एडमिशन नहीं ले रहे हैं। वहीं इस बार नॉन स्कूलिंग यानी कोचिंग करने वाले स्टूडेंट ने बोर्ड एग्जाम में अच्छा स्कोर नहीं किया। लिहाजा अधिक संख्या में खराब नंबर पाकर पास होने वाले स्टूडेंट इंप्रूवमेंट और फेल होने वाले बच्चे सप्लीमेंट्री एग्जाम देने के लिए आवेदन किए हैं।

तीन हजार से अधिक स्टूडेंट देंगे एग्जाम

स्कूलों की मानें तो बोर्ड एग्जाम में प्रयागराज जोन में गोरखपुर का रिजल्ट काफी खराब रहा है। गोरखपुर में जहां पहले इंप्रूवमेंट के लिए करीब 900-1000 बच्चे ही आवेदन करते थे। एक या दो सेंटर पर यह एग्जाम ऑर्गनाइज कराया जाता था। इस बार रिजल्ट खराब होने के कारण गोरखपुर में करीब 3 हजार स्टूडेंट इंप्रूवमेंट और सप्लीमेंट्री एग्जाम के लिए आवेदन किए हुए हैं।

स्कूलों को मिला टॉपर का साथ

स्कूल प्रबंधन की मानें तो इस साल दसवीं का रिजल्ट आने के बाद स्कूलों के टॉपर स्टूडेंट यानी 85 परसेंट से ऊपर नंबर पाने वाले बच्चों ने 11वीं में एडमिशन लिया है। जबकि 60 से 75 परसेंट माक्र्स पाने वाले स्टूडेंट्स ने 11वीं में एडमिशन नहीं लिया है। वह स्कूल छोड़कर कंपटीशन की तैयारी में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि पढ़ाई जारी रहे और स्कूल भी ना जाना पड़े इसके लिए इन स्टूडेंट्स ने दूर-दराज के सीबीएसई बोर्ड और यूपी बोर्ड के स्कूलों में एडमिशन लिया है।

नॉन स्कूलिंग के खिलाफ बोर्ड और स्कूल

लगातार बोर्ड एग्जाम में गिरता रिजल्ट का ग्राफ देख बोर्ड ने पहले ही स्कूलों को चेता दिया है कि वह ऐसे किसी बच्चे का एडमिशन नहीं लेंगे। जो स्कूल ना आकर दूसरी जगह कोचिंग करता हो। वहीं स्कूल भी इसको लेकर गंभीर हैं।

सीबीएसई स्कूल- 125

आईसीएससीई स्कूल- 19

बच्चे पैरेंट्स को बड़े-बड़े ख्वाब दिखाकर स्कूल से दूरी और कोचिंग ज्वाइन कर रहे हैं। जो बच्चों की नींव को कमजोर कर रहा है। स्कूल की पढ़ाई से दूरी बनाकर एक दिन यही बच्चे पैरेंट्स पर भार बन जाते हैं। समय निकल जाने के बाद इन बच्चों का भविष्य बना पाना भी मुश्किल होता है।

अजय शाही, अध्यक्ष, गोरखपुर स्कूल एसोएिशन

स्टूडेंट की संख्या नॉन स्कूलिंग की वजह से घटी है। पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 से 25 प्रतिशत हर स्कूल में स्टूडेंट्स की संख्या कम हुई है। सीबीएसई ने भी इसका संज्ञान लिया है। जल्द ही बोर्ड से इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी होने की संभावना है।

सलील के। श्रीवास्तव, जिला ट्रेनिंग कोआर्डिनेटर, सीबीएसई