गोरखपुर (ब्यूरो)।विभागीय उदासीनता के कारण ड्यूटी को लेकर सवाल उठने लगे हैैं, दरअसल, बिलासपुर मंडल के सिंहपुर रेलवे स्टेशन पर हुए रेल हादसे में एक चालक की मौत हो गई, जबकि सहायक चालक गंभीर रूप से घायल है। लेकिन गोरखपुर में ट्रेन ड्राइवर्स से अधिकतम 10 घंटे की ड्यूटी कराए जाने की सख्ती के बाद भी मनमानी जारी है। एनई रेलवे के कुछ रूटों पर मालगाड़ी के ट्रेन ड्राइवर्स को 13 से 15 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ रही है। आलम यह है कि चालक को सिग्नल नहीं दिखने पर ओवरशूट जैसे घटना होने के चांसेज बढ़ जाते हैैं।

लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने उठाए सवाल

एनई रेवले के गोरखपुर-रोजा और गोंडा-छपरा रूट पर मालगाड़ी के चालकों की ड्यूटी 10 घंटे के बजाय 13 से 15 घंटे तक ड्यूटी हो रही है। ऐसे में अगर सुधार न हुआ तो यहां भी सिग्नल ओवरशूट जैसी घट सकती है। वहीं ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के जोनल सेक्रेटरी विनय शर्मा ने बताया कि पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों के चालकों को तो नियमानुसार रेस्ट भी मिलता है और 10 घंटे में वे अपने हेड क्वार्टर या मंडल में लौट जाते हैं। दिक्कत तो मालगाड़ी के चालकों और सहायक चालकों के साथ होती है। विनय बताते हैं कि सबसे अधिक दिक्कत गोरखपुर-रोजा और गोंडा-छपरा रूट पर है। इस रूट पर चालकों को 13 से 15 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ जाती है, जबकि 10 घंटे से अधिक ड्यूटी नहीं कराई जा सकती है।

क्या है रेलवे बोर्ड का आदेश

रेलवे बोर्ड ने हाल ही में रनिंग स्टाफ को हेड क्वार्टर पर 16 घंटे एवं बाहरी स्टेशनों पर आठ घंटे रेस्ट पूरा होने के बाद बाद ही कॉल बुक देकर गाड़ी पर भेजने के निर्देश दिए थे। रनिंग स्टाफ को गाड़ी से आने के बाद ऑफ ड्यूटी होने पर हेड क्वार्टर पर 16 घंटे एवं बाहरी स्टेशनों पर रनिंग रूम में मिनिमम आठ घंटे रेस्ट देय है। उन्हें वर्तमान में अगली गाड़ी पर ड्यूटी जाने के लिए हेड क्वार्टर पर 16 घंटे एवं रनिंग रूम में 8 घंटे रेस्ट पूरा होने के दो घंटे पहले ही कॉल बुक देकर गाड़ी वर्क करने के लिए सूचना दे दी जाती है। इससे रनिंग स्टाफ का विश्राम पूरा नहीं हो पाता एवं उन्हें काफी असुविधाएं होती थी। साथ ही रनिंग स्टाफ के अंडर रेस्ट होने के कारण रेलवे की संरक्षा एवं सुरक्षा को भी खतरा बना रहता है।

मानक से अधिक करनी पड़ती है ड्यूटी

नाम न छापने के शर्त पर मालगाड़ी के एक ड्राइवर ने बताया कि गोरखपुर और गोंडा बेस पर कुल लोको पायलट और सहायक लोको पायलट की संख्या 182 है। जबकि यहां ट्रेनों की संख्या 160 से ज्यादा है। पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों में तो कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन मालगाड़ी में अक्सर ही मानक से अधिक ड्यूटी करनी पड़ती है।