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नंबर गेम
50 परसेंट से अधिक घट गए गर्ल्स स्कूलों में आवेदन
04 एडमिशन ही हुए डीएवी गर्ल्स इंटर कॉलेज में हुए
250 से अधिक एडमिशन होते थे भगवती गर्ल्स इंटर कॉलेज में पहले
10 एडमिशन केवल इस साल भगवती गर्ल्स इंटर कॉलेज में हुए
20 परसेंट गर्ल्स ने लिया अभी तक एडमिशन एमपी गर्ल्स इंटर कॉलेज की सीनियर क्लासेज 9-12 में
20 परसेंट सीनियर तो 30 परसेंट जूनियर गर्ल्स ने नहीं कराया स्प्रिंगर लौरेटो गर्ल्स स्कूल में
40 परसेंट गर्ल्स गायब हैं यूपी बोर्ड के अधिकतर स्कूलों में ऑनलाइन क्लास से
-लॉकडाउन में स्कूल बंद हुए तो बेटियों की पढ़ाई पर लगा ग्रहण
-स्कूलों में आ रहे बेटियों की दर्द भरी कम्प्लेन
anurag.pandey@inext.co.in
'मैम मैं पढ़ना चाहती हूं। घरवाले मेरी शादी करा रहे हैं। गोरखपुर के एक बालिका इंटर कॉलेज में 11वीं क्लास की स्टूडेंट ने जब रोते हुए यह बात बताई तो प्रिंसिपल की आंखें भी नम हो गई। प्रिंसिपल उसकी शादी तो नहीं रोक सकीं लेकिन बिहार स्थित स्टूडेंट की ससुराल में कॉल कर उसकी पढ़ाई जारी रखने की रिक्वेस्ट की। इसके बाद ससुराल वालों ने उसे प्री बोर्ड एग्जाम देने के लिए गोरखपुर भेजा। ये तो महज एक केस है। इधर दो साल में कोविड की वजह से ना जाने कितने बच्चियों की पढ़ाई पर ग्रहण लग चुका है। स्कूलों के साथ बातचीत और वहां से मिले आंकड़े इसकी सच्चाई बयां करते हैं।
अब तुम्हें नहीं पढ़ना है
अप्रैल महीने में 11वीं में पढ़ने वाली एक स्टूडेंट की शादी करवा दी गई। लड़की जब ससुराल पहुंची तो वहां कहा गया कि तुम्हारा पति मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। तुम पढ़कर क्या करोगी। इसके बाद उस स्टूडेंट ने अपने स्कूल से सम्पर्क किया। वहां अपने प्रिंसिपल को सारी बात बताई। इसके बाद प्रिंसिपल ने पूछा तुम क्या चाहती हो? इस पर स्टूडेंट ने पढ़ने की इच्छा जताई। इसके बाद प्रिंसिपल ने उसके हसबैंड से बात की और उसे समझाया।
मुझे घर में नहीं दिया जाता मोबाइल
इसी तरह एक स्कूल में एक गर्ल्स स्टूडेंट ने रोते हुए कॉल किया। उसने बताया कि घर पर भाई को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल दिया जाता है लेकिन मुझे कोई सुविधा नहीं दी जाती है। ऐसे में मेरी पढ़ाई छूट जा रही है। उसने बताया कि घरवालों से कई बार कह चुकी हूं लेकिन वो मेरी बात को सीरियसली नहीं लेते हैं।
बच्चियों का नहीं कराया एडमिशन
सिविल लाइन स्थित एक इंग्लिश मीडियम गर्ल्स स्कूल में तो जूनियर हाई स्कूल में 30 और हाई स्कूल से इंटर तक में 20 परसेंट बच्चियों के पैरेंट्स ने उनका एडमिशन ही नहीं करवाया। उनको कॉल करने पर वो इसका सही जवाब भी नहीं देते हैं। इधर-उधर की बात कहकर फोन काट देते हैं।
कोट
कई बच्चियां रोते हुए कॉल करती हैं। उनकी बात सुनकर हैरानी होती है। आज भी गोरखपुर में बहुत से लोग लड़का और लड़की में अंतर समझते हैं। कई बच्चियों की कंप्लेंट के बाद उन्हें दोबारा पढ़ाई से जोड़ा गया है।
-कृष्णा चटर्जी, प्रिंसिपल, एमपी गर्ल्स इंटर कॉलेज
बच्चियों के एडमिशन में पैरेंट्स इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं। जो बच्चियां पिछले साल तक ऑनलाइन क्लास में शामिल थीं वो अब इससे बाहर हो गई हैं। उनके पैरेंट्स का कहना है कि जब माहौल सही होगा तब पढ़ाया जाएगा।
-रीमा श्रीवास्तव, डायरेक्टर, स्प्रिंगर लौरेटो गर्ल्स स्कूल
मेरे कॉलेज की सबसे तेज बच्ची को हाईस्कूल में 80 परसेंट नंबर मिले थे। इस समय वो ऑनलाइन क्लास में शामिल नहीं हो पाती है। इसका कारण जानने के लिए उससे कॉल कर बात की तो उसने बताया कि घर पर खाना और नाश्ता बनाने से फुर्सत ही नहीं मिल पा रही है।
-रमा जायसवाल, प्रिंसिपल, डीएवी गर्ल्स इंटर कॉलेज
टीचर्स के पास बहुत सी बच्चियों के कॉल आते हैं। उनको घर से पढ़ने के लिए जरा भी सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है। बच्चियों के एडमिशन भी बहुत खराब हो गई है। केवल दस परसेंट बच्चों के एडमिशन आए हैं।
-पुनिता रावत, प्रिंसिपल, भगवती गर्ल्स इंटर कॉलेज