- गोरखपुर हर साल पकड़े जा रहे सॉल्वर, बेनकाब नहीं हुआ रैकेट

- थानों में मुकदमा दर्ज करने के बाद भूल जाती है पुलिस की टीम

GORAKHPUR: शहर में आयोजित होने वाले हर कॉम्प्टीटिव एग्जाम में सॉल्वर पकड़े जा रहे हैं। इनमें ज्यादातर बिहार से जुड़े हुए हैं, जिनका रैकेट यूपी के कई जिलों में काम कर रहा है। रुपए लेकर किसी दूसरी जगह परीक्षा देने वाले इन सॉल्वर को पकड़ने के बाद पुलिस की कार्रवाई पूरी हो जाती है। पूर्व में सामने आए मामलों में पुलिस किसी गैंग तक नहीं पहुंच सकी है। विवेचक इनके सरगना और सेटिंगबाजों तक पहुंचने में नाकाम रहे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मुकदमों की समीक्षा करके पूरी रिपोर्ट ली जाएगी। किस मामले में कहां तक जांच पहुंची है। इसका परीक्षण करने के बाद आगे की कार्रवाई के निर्देश दिए जाएंगे।

50 हजार में आया खगरिया का महेश

बुधवार को पुलिस ने पीईटी में शामिल दो सॉल्वर को अरेस्ट किया। दोनों मंगलवार को पीईटी में शामिल होने गोरखपुर आए थे। एमपी इंटर कॉलेज के एग्जाम सेंटर पर परीक्षा देकर दोनों बिहार जाने की कोशिश कर रहे थे। इंस्पेक्टर कैंट सुधीर कुमार सिंह, जटेपुर चौकी प्रभारी इत्यानंद पांडेय की टीम को सूचना मिली। दोनों के भागने के पहले पुलिस ने बस स्टेशन के पास से उनको दबोच लिया। उनकी पहचान प्रशांत कुमार और अभिषेक कुमार के रूप में हुई। देवरिया जिले के बरियारपुर, रतनपुरा निवासी अभिषेक कुमार की जगह बिहार के खगरिया जिले के महेशकुट, सिरजुआ निवासी प्रशांत कुमार सॉल्वर के रूप में परीक्षा देने आया था। उसने 50 हजार रुपए में सौदा तय किया था।

बिहार के सॉल्वर ने जमाई गहरी जड़ें

गोरखपुर सहित यूपी के अन्य शहरों में आयोजित होने वाले एग्जाम में बिहार की सॉल्वर की गहरी पैठ है। इनका पूरा रैकेट काम कर रहा है। गोरखपुर, प्रयारागज, वाराणसी, लखनऊ सहित अन्य जिलों में इनके रैकेट से जुड़े हुए लोग सेटिंग करते हैं। पीईटी में पकड़ा गया सॉल्वर भी बिहार का रहने वाला है। जबकि पूर्व में जब सीटेट में एसटीएफ ने कुछ लोगों को अरेस्ट किया तो उसमें बिहार के गोपालगंज, भुजौली कला का यतीन्द्र कुमार सिंह पकड़ा गया। वह प्रतीक सिंह की जगह एग्जाम में बैठा था। सॉल्वर के पकड़े जाने के बाद पुलिस मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई पूरी कर लेती है। लेकिन इस रैकेट से जुड़े सरगना सहित अन्य लोग कभी नहीं पकड़े जाते हैं। ऐसे मामलों पुलिस जालसाजी, कूटरचना करने, आईटी एक्ट और परीक्षा अधिनियमों के तहत केस दर्ज करती है।

इन धाराओं में दर्ज होता मुकदमा

धारा 468 - यदि कोई व्यक्ति इस आशय से कूटरचना करता है कि कूटरचित दस्तावेज़ों को छल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। सात साल का कारावास और आर्थिक दंड का प्राविधान है।

धारा 467 - मूल्यवान प्रतिभूति वसीयत या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को बनाने या हस्तांतरण करने का प्राधिकार, या कोई धन प्राप्त करने आदि के लिए कूटरचना करने की धारा, इसमें आजीवन कारावास या 10 वर्ष कारावास और आर्थिक दंड का नियम है।

धारा 419 : जो भी कोई प्रतिरूपण द्वारा छल करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जाएगा। इसमें तीन साल के अधिकतम कारावास, आर्थिक दंड और दोनों हो सकता है।

धारा 465 : जो कोई कूटरचना करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

कई मामले आ चुके हैं सामने

25 अगस्त 2021: कैंट पुलिस ने पीईटी में शामिल सॉल्वर सहित दो युवकों केा अरेस्ट किया। उनके पास से फर्जी दस्तावेज बरामद हुए।

01 फरवरी 2021: गोरखपुर और प्रयागराज से एसटीएफ ने कोसीटेट में सॉल्वर गिरोह का भंडाफोड़ किया। इस दौरान प्रयागराज से सरगना प्रशांत सिंह, धर्मेंद्र सिंह, शिवपूजन पटेल, मुनेश कुमार, आदित्य शाही, पूजा देवी और गोरखपुर से यतेंद्र कुमार सिंह को गिरफ्तार किया था। गिरोह ने केपी उच्च शिक्षा संस्थान झलवा और गोरखपुर के इंदिरा गांधी ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज रामपुर में तीन मूल अभ्यर्थियों की जगह सॉल्वर को बिठाया था।

28 नवंबर 2020: पैडलेगंज से एसटीएफ गोरखपुर की टीम ने अंतर्राज्यीय सॉल्वर गिरोह के सरगना समेत 12 आरोपितों को गिरफ्तार कर फोन, डायरी, प्रवेश पत्र सहित कई सामान बरामद किया था। कर्मचारी चयन आयोग मध्य क्षेत्र की ओर से आयोजित दिल्ली पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में धांधली करने का आरोप लगा। सभी के खिलाफ कैंट थाना में मुकदमा दर्ज किया गया।

20 दिसंबर 2020: शाहपुर पुलिस ने शनिवार की शाम जेल वार्डर की परीक्षा देने पहुंचे सॉल्वर को गेट पर पकड़ लिया। वह फिरोजाबाद जिले का रहने वाला है। शाहपुर पुलिस ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने का केस दर्ज किया।

14 अगस्त 2019: नौसढ़ के एक परीक्षा केंद्र पर पुलिस टीम ने सॉल्वर को अरेस्ट किया। यहां पर कुल 11 सॉल्वर के बैठने की सूचलना थी। लेकिन सॉल्वर ही पुलिस के हाथ लग सका।

07 अगस्त 2019: कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के ऑनलाइन परीक्षा केंद्र से दो साल्वर, एक परीक्षार्थी समेत चार को पुलिस ने अरेस्ट किया। इस दौरान गैंग का सरगना नालंदा निवासी कुंदन फरार हो गया।

14 सितंबर 2018: नौसढ़ के परीक्षा केंद्र उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल)की सहायक समीक्षा अधिकारी के पद पर भर्ती परीक्षा में वास्तविक परीक्षार्थियों की जगह परीक्षा दे रहे बिहार के दो साल्वरों को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा चिलुआताल में भी केस सामने आया।

31 अक्तूबर 2018 : रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा में बिहार के जहानाबाद निवासी साल्वर दिनेश कुमार और नालंदा निवासी राजीव कुमार पकड़े गए।

21 सितंबर 2018 : पिपराइच स्थित एक ऑनलाइन परीक्षा केंद्र से रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा में अभ्यर्थी अमित, सॉल्वर अभिषेक, रोहित, राजीव व पंकज पकड़े गए थे।

15 सिंतंबर 2017 :दरोगा के प्लाटून कमांडर की ऑनलाइन परीक्षा में स्वास्तिक परीक्षा सेंटर से अभिषेक रंजन, अभ्यर्थी रमेश प्रसाद, मास्टरमाइंड अवधेश गिरफ्तार हुए थे।

सॉल्वर गैंग की सक्रियता पर पुलिस ने कार्रवाई की। पूर्व में जो भी मामले दर्ज हुए हैं। उनकी समीक्षा की जाएगी। ऐसे प्रकरणों में अन्य लोगों के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस संबंध में जानकारी लेकर आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे।

- डॉ। विपिन ताडा, एसएसपी